Gaon Connection Logo

तालाबों से कब्जेदारों को हटाने की कर्रवाई सिर्फ कागज़ों पर

India

मलिहाबाद(लखनऊ)। एक ओर प्रदेश को 50 फीसदी से अधिक सूखाग्रस्त घोषित किए जा चुके हैं, वहीं दूसरी ओर सरकारी तालाबों पर धड़ल्ले से कब्जा करने का सिलसिला जारी है।

उच्च न्यायालय के आदेश पर शासन और जिलाधिकारी ने तालाबों और सार्वजनिक भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त कराने के आदेश कई बार जारी किये किन्तु तहसील प्रशासन कब्जा हटवाने की कार्रवाई कागजों मे दर्ज कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री करता आ रहा है। ग्राम पंचायत हटौली की गाटा संख्या 446 रकबा 6.324 हेक्टेयर तालाब की भूमि पर इसी गाँव के छोटू, जमुना, सन्तू, रामकिशोर, अशोक सहित एक दर्जन से अधिक लोग अवैध कब्जा कर गत कई वर्षों से खेती करते चले आ रहे हैं। पूर्व मे अनेक शिकायतों को देखकर लेखपाल की रिपोर्ट के आधार पर तहसीलदार न्यायालय मे अवैध कब्जेदारों के विरुद्ध मुकदमा चला था। इसमें तहसीलदार ने सभी को अवैध कब्जे से बेदखकर करते हुए कब्जेदारों पर जुर्माना भी लगाया था। 

तहसीलदार न्यायालय का यह आदेश पत्रावली मे ही कैद हो गया। कब्जेदारों ने न तो भूमि छोड़ी और न ही जुर्माना अदा किया। वर्तमान प्रधान रामकली ने जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी और राजस्व विभाग के आला अधिकारियों को पत्र भेजकर तालाब को अवैध कब्जों से मुक्त कराने की मांग कर चुकी हैं। प्रधान का कहना है कि लेखपाल बेंचालाल की अवैध कब्जेदारों से सांठगांठ होने के कारण उनके शिकायती पत्रों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

गंदगी से तालाब में मर गईं मछलियां 

बाराबंकी। तालाब की सफाई और कायापलट के लिए विगत कुछ वर्षों में सरकार ने लाखों रुपए खर्च करके तालाब को स्वच्छ व सुंदर बनाया गया। चारों ओर दीवारों पर रंगरोगन कर आकर्षक डिजाइन बनाए गए। 

तालाब में मछलियां भी डाली गईं लेकिन तालाबों में फैली गंदगी मछलियों के लिए काल बन गई। इसके कारण करीब दिघरा गाँव के तालाब में करीब 20 किलो मछलियां अब तक मर चुकी हैं।

जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर हैदरगढ़ तहसील के अन्तर्गत आने वाले गाँव दिघरा में तालाब के आसपास बने मकानों, व्यवसायिक परिसर और जानवरों का तालाब में नहाने से तालाब में कचरा जमा होने लगा है। इस कारण मछलियां मरनी शुरू हो गईं। मछलियों के तालाब में मरने के बाद आ रही दुर्गंध से लोगों का जीना दूभर हो गया है। दिघरा गाँव के तालाब के आसपास के एरिया में करीब 100 मकान और सैकड़ों जानवर है। ग्रामीणवासी अपने घरों का निकाला हुआ कचरा सीधा तालाब में या फिर तालाब के किनारे फेंकते हैं। 

दिघरा गाँव के शैलेश कुमार बताते हैं, “दुर्गंध इतनी तेज है कि घरों तक आ पहुंची है। आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों का जीना दुश्वार है। मरी हुई मछलियां जल्द से जल्द नहीं हटवाई गई तो बीमारी फैलने का अंदेशा है। तालाब वर्षों तक गंदगी और दलदल से भरा पड़ा था। ग्रामीणवासियों को तालाब में कचरा फेकनें से मना किया जाता था। कोई कचरा फेंकता तो जुर्माना किया जाता लेकिन अब स्थिति उलट है।

तालाब में कचरा फेंका जा रहा है। दीवारें ही नहीं, तालाब का कोना-कोना गंदगी से भरा पड़ा है। गंदगी होने की वजह से तालाब में पल रही मछलियां मर रही हैं।” मछली विभाग के अधिकारी रामचन्द्र बताते हैं कि मछलियां मरने का कारण वहां पर रहने वाले ग्रामीणों का तालाब में कचरा फेंकना है। इस वजह वहां के तालाब की मछलियां मर रही हैं। जल्द ही इस समस्या पर निदान पाया जाएगा और तालाब से मरी मछलियों को निकाला जाएगा।

गाँव के रमेश मौर्य, गुड्डू और रामचन्द्र का कहना है कि 32 बीघे के इस तालाब की 22 बीघा भूमि पर लोग अवैध कब्जा कर कई वर्षों से लगातार खेती करते चले आ रहे हैं। इसी प्रकार भूमि संख्या 411 रकबा 0.031 जो सरकारी नाली है। इस पर भी लोग अवैध कब्जा किये हैं।

इस नाली का पक्का निर्माण कार्य वह ग्राम पंचायत निधि से कराना चाहती हैं लेकिन अवैध कब्जेदार मारपीट पर आमादा हो रहे हैं। इसकी शिकायत भी उन्होंने अधिकारियों से की। लेकिन कोई भी प्रशासनिक अधिकारी इस सार्वजनिक नाली को अवैध कब्जे से मुक्त नहीं कराना चाहता। ऐसे ही ग्राम पंचायत ढ़ेढ़ेमऊ, नई बस्ती धनेवा,जौरिया, जिन्दौर, कसमण्डीकलां और मोहम्मदनगर मे सार्वजनिक भूमि व तालाबों की भूमि पर लोग अवैध कब्जा किये हुए हैं।  

More Posts

मोटे अनाज की MSP पर खरीद के लिए यूपी में रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है, जानिए क्या है इसका तरीका?  

उत्तर प्रदेश सरकार ने मोटे अनाजों की खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिया है। जो किसान भाई बहन मिलेट्स(श्री...

यूपी में दस कीटनाशकों के इस्तेमाल पर लगाई रोक; कहीं आप भी तो नहीं करते हैं इनका इस्तेमाल

बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा देने और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने...

मलेशिया में प्रवासी भारतीय सम्मेलन में किसानों की भागीदारी का क्या मायने हैं?  

प्रवासी भारतीयों के संगठन ‘गोपियो’ (ग्लोबल आर्गेनाइजेशन ऑफ़ पीपल ऑफ़ इंडियन ओरिजिन) के मंच पर जहाँ देश के आर्थिक विकास...