मुंडेरवा (बस्ती)। सन 2002 तक मुंडेरवा एग्रो केंद्र में रौनक थी, किसानों का आना-जाना बना रहता था, लेकिन अब यहां सन्नाटा है। भवन के चारो ओर झाडिय़ां उग आई हैं, फर्श और दीवार का प्लास्टर उखड़ रहा है। बदहाली का आलम यह है कि वर्षों से इस भवन का ताला ही नहीं खोला गया है।
मुंडेरवा में यूपी स्टेट एग्रो का यह केंद्र किसानों को कृषि यंत्र, रसायन और उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए खोला गया था। सीमा पर स्थित होने के कारण बस्ती और संतकबीर नगर के सैकड़ों गाँवों के किसान इससे लाभान्वित हो रहे थे, लेकिन 11 दिसम्बर 2002 को मुंडेरवा में हुए गन्ना किसान आंदोलन में उग्र भीड़ ने इस दिन इसमें आग लगा दी थी। केंद्र पर रखी लाखों की कृषि सामग्री जल कर राख हो गयी थी, तब से यह केंद्र पुन:संचालित नहीं हुआ।
वर्षों से बंद भवन में सांप और बिच्छू का बसेरा है। कभी यहां दिन भर चहल-पहल हुआ करती थी परंतु अब सन्नाटा है। किसानों को मिलने वाली सुविधा तो छिन ही गयी अब यह भवन भी उपेक्षा की भेंट चढ़ चुका है। शीघ्र ही भवन की मरम्मत और परिसर की सफ़ाई नहीं हुई तो लाखों की सम्पत्ति खंडहर बन जाएगी।