इलाहाबाद। इलाहाबाद शहर संगम के बाद अपने अमरूदों के लिए भी जाना जाता है, यहां के लाल और मीठे अमरूद पूरे भारत में पसंद किये जाते हैं। ठण्ड के मौसम में अमरूदों की पैदावार होती है लेकिन इस बार ठण्ड कम पडऩे से इनकी पैदावार में बहुत कमी आई है।
जहां पहले एक पेड़ से एक से डेढ़ कुंटल अमरूद होते थे, वहीं इस बार एक पेड़ से सिर्फ 50 से 70 किलो अमरूद की पैदावार हुई है। ठण्ड कम पड़ने और धूप ज्यादा होने से अमरूदों की पैदावार में ये कमी आई है। शहर से 15 किलोमीटर की दूर कई बगीचे हैं, जिनमें अमरूद की खेती होती है। सोनू सोनकर (25 वर्ष) जिनका 500 पेड़ों का अमरूद का बाग है, बताते हैं, ”जब ठण्ड कम होती है तो अमरूद की खेती कम होती है और इस बार एक तो ठण्ड देर से पड़ी और धूप भी ज्यादा रहती है जिससे फल में कीड़े पड़ जाते हैं।” सोनू आगे बताते हैं, ”इस बार फसल तो कम हुई ही है और जो हुई भी है, उसमें भी फसल खऱाब हो रही है, जिससे इस वर्ष ज्यादा नुकसान हो रहा है।”
आज कल बाज़ार में कई तरह के अमरूद आ रहे हैं, जिनकी कीमत अलग-अलग है। सामान्य अमरूद 20 से 30 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं, जबकि लाल वाले अमरूद 40 से 70 रुपए प्रति किलो तक बिक रहे हैं। ये तो बाज़ार का फुटकर भाव है, अगर थोक रेट की बात करें तो सामान्य अमरूद 2000 रुपए कुंटल और लाल वाले अमरूद 4000 से 4500 रुपए कुंटल बिक रहे हैं। रामबाबू (40 वर्ष) बागोंं से अमरूद खरीद कर बाज़ार में बेचते है। उन्होंने बताया, ”एक सीजन में दो बार अमरूद की पैदावार होती है लेकिन इस बार जो फसल हुई है वो काफी कमजोर है और पैदावार भी पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार कम हुई है।” जहां पहले फसल एक से दो महीने तक चलती थी वहीं इस बार धूप के कारण अमरूदों में कीड़े पड़ रहे हैं, जिससे ये 15 दिनों में ही खऱाब हो जाते हैं।” रामबाबू आगे बताते है। इलाहाबाद के बाज़ारों में भी इस बार अमरूद कम ही दिखाई दे रहे हैं, जहां पहले हर चौराहों पर अमरूदों का बाज़ार लगता था, वहीं इस बार गिने चुने चौराहों पर ही दिखाई देते हैं।
रिपोर्टर – आकाश द्विवेदी