लखनऊ। नीलगीरी माउंटेन रेलवे जिसे टॉय ट्रेन के नाम से भी जाना जाता है वो 15 जुलाई यानि शुक्रवार को अपनी 11वीं साल गिरह मना रही है। 15 जुलाई 2007 को यूनेस्को ने नीलगीरी माउंटेन रेलवे को वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा दिया था।
नीलगीरी माउंटेन रेलवे तमिलनाडु में है और मद्रास रेलवे का हिस्सा है। इसके इंजन को 1908 में ब्रिटिश सरकार भारत लेकर आई थी। इसे स्विटज़रलैंड की कंपनी स्विस लोकोमोटिव एंड मशीन वर्क्स ने बनाया था। टॉय ट्रेन अभी भी भाप के इंजन से ही चलती है। ये ट्रेन रोज़ाना मेटुपलायम और कोन्नूर के बीच चलाई जाती है। नीलगीरी पैसेंजर ट्रेन का रूट 26 किलोमीटर लंबा है।
नीलगीरी पैसेंजर ट्रेन ये दूरी 208 घुमावदार मोड़, 16 सुरंगों, 250 पुलों से होकर तय करती है। इस सफर को तय करने में करीब 4 घंटे और 10 मिनट का वक्त लगता है। नीलगीरी पैसेंजर ट्रेन जिस ट्रैक पर चलती है वो एशिया की सबसे पतली और सबसे खतरनाक रेल ट्रैक्स में से एक है।