प्रदेश के ग्रामीणों ने सियासी परिवार में मचे कलह पर कहा, “परिवार की रार से दरक रही समाजवादी दीवार”

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प्रदेश के ग्रामीणों ने सियासी परिवार में मचे कलह पर कहा, “परिवार की रार से दरक रही समाजवादी दीवार”सपा मुख्यालय पर उमड़ पड़ी सपाइयों की भीड़।

स्वयं डेस्क (मेरठ से परवेज, बाराबंकी से वीरेंद्र सिंह, सोनभद्र से विष्णु तिवारी, रायबरेली से किशन, लखऩऊ से अश्वनी दि्वदेदी)

लखनऊ। सूबे के सबसे बड़े सियासी परिवार में मची कलह अब जगजाहिर हो चुकी है। सपा में आई इस दरार पर प्रदेश की जनता ने भी अपने विचार रख रहे हैं। कमोबेश सभी यही का कहना है कि वे मुख्यमंत्ररी अखिलेश यादव के साथ हैं। हालांकि, आरोप-प्रत्यारोप के दौर ने दिलों में ऐसी फांट डाली है कि पूरा कुनबा ही सदमे में है।

मैनपुरी सपा का अभेद्य गढ़ है। खुद सपा मुखिया इसे अपनी राजनीतिक कर्मभूमि कहते हैं। पार्टी के बीच सियासी संग्राम का असर अभेद्य गढ़ पर भी पड़ रहा है। हाल यह है कि समाजवादी सिपाही कहे जाने वाले जिले के नेता अपने-अपने नेताओं का दामन थामने में लगे हैं। जिले में भी विरोध है। प्रोफ़ेसर रामगोपाल यादव के समर्थक एक विधायक और उनके भान्जे एमएलसी अरविन्द यादव अपने समर्थको को एकजुट कर रहे हैं तो शिवपाल यादव के समर्थक उनका रास्ता रोक रहे हैं। अगर यही हाल रहा तो आने वाले विधानसभा चुनाव में बगावत पार्टी पर भारी पड़ सकती है।

वहीं, मेरठ शहर के शास्त्री नगर निवासी त्रिनाथ मिश्रा का मानना है, “सपा की घरेलू कलह पूरी तरह सरकार पर हावी होती दिख रही है, इस तरह के बर्ताव से पार्टी का जनाधार खतरे में है, अखिलेश की साफ छवि के आगे परिवार का अहम दोबारा सरकार बनने की राह में रोड़ा बनकर खड़ा है।” वहीं, जली कोठी अब्दुल वाहिद कहते हैं, “इस आपसी लड़ाई से सपा को भारी नुकसान हो रहा है। आज की घटना के बाद जनता में पार्टी की छवि गिरी है। चुनाव में इसका बड़ा नुकसान भी होगा।” मुस्लिम बाहुल्य श्याम नगर निवासी महजबीं सुल्ताना का सपा की आपसी लड़ाई को लेकर मानना है, “भविष्य को लेकर पार्टी की चाहे जो रणनीति हो, लेकिन फिलहाल ये सब और आज का अप्पिसोड बड़े नुक़सान का सबब बन सकता है।”

वहीं, बाराबंकी में युवजन सभा के उपाध्यक्ष अयाज खां ने कहा, “हम सब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ हैं। आने वाले समय में सपा की ही सरकार बनेगी। इस बीच जो भी पार्टी व अखिलेश यादव को कमजोर करेगा हम उसका विरोध करेंगे।” इस बीच इतिहास में पहली बार समाजवादी पार्टी के बड़े नेताओं की राजनीतिक रंजिश के बाद अब विरोधी पार्टियों को बैठे बैठाए एक बड़ा मामला मिल गया है। बीएसपी पार्टी के जिलाध्यक्ष सुरेश गौतम ने इन नेताओं पर निशाना साधते हुए स्थानीय नेताओं को भी आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा, “जिस परिवार में लोग एक दूसरे के लिए इतनी बड़ी रंजिश रखते हैं उस पार्टी से जनता का कैसे भला हो सकता है। सरकार के इन पांच सालों में सिर्फ समाजवादियों की लडा़ई झगडा़ ही देखने को मिला है। वहीं भाजपा नेता जंग बहादुर पटेल का कहना है, “बीजेपी की ताकत देखकर सभी लोग बौखला गये हैं। जो लोग आपस में ही लड़ने लगे है।”

वहीं, सोनभद्र के रॉबटर्सगंज के नंदलाल पाठक (45) बताते हैं, “ये शुभ संकेत नहीं है। पार्टी के लिए जो हो रहा है अच्छा नहीं है। अखिलेश की छवि साफ सुथरी है। हम लोग चाहते हैं वही आगे बढ़े।” इस बारे में लोढ़ी के ही चंद्रमोह ओझा (46) कहते हैं, “ये पारिवारिक विवाद है लेकिन जनता का नुक़सान हो रहा है।”

रायबरेली के रहने वाले गुड्डू मिश् (52) कहते हैं, “अखिलेश यादव के पर कतर रहे हैं शिवपाल।” वहीं, सत्यपाल (62) का कहना है, “पार्टी का कायाकल्प करने और अखिलेश की छवि बनाने की कोशिश हो रही है। हालांकि, हर नुक्कड़ चौराहे की चर्चा में अखिलेश के प्रति जबर्दस्त सहानुभूति दिख रही है।”

इस बीच ललितपुर के महरौनी के गुलसन कुमार गुप्ता बताते हैं, "यदी सीएम का चेहरा अखिलेश यादव नही हैं तो सपा का करियर संकट में पड़ सकता है। इसीलिए सपा की राजनीतिक पृष्ठभूमि बनाए रखने के लिये अखिलेश का सीएम का दावेदार होना जरूरी है।” वहीं, दरौना गाँव के आशुतोष सिंह सेंगर बताते हैं, "पारिवारिक खुन्नस मीडिया के गलियारों में हांफती नजर आ रही है। ऐसे में परिवार के सदस्यों को परस्पर विचार-विमर्श करने की जरूरत है अन्यथा सपा की स्थिति खराब हो जाएगी।" वहीं, ललितपुर के पुष्पेन्द्र परिहार ने बताया, "सपा के मतभेद की बजह से यूपी का बुरा हाल है। अखिलेश युवा मुख्यमंत्री हैं व युवा इनके साथ है। ऐसा न हो कि पारिवारिक कलह से मतदाता भटक जाएं।"

उधर, रायबरेली से किसान अविनाश सिंह कहते हैं, “सपा में मचे घमासान को लेकर राजनीति गर्मा गई है। लोगों में पार्टी में मचे घमासान को लेकर चर्चा का आलम है। इस कलह से पार्टी को ही नुकसान हो रहा है। वैसे भी पांच सालों में जिले में विकास को कुछ हुआ नहीं है।” वहीं, उमेश कुमार कहते हैं, “सपा में यह तो होना ही था। पहले खुद ही गुंडई, दबंगई कराई और खुद ही लड़ रहे हैं। विस चुनाव में सपा का सफाया होने वाला है। राजेश दीक्षित कहते हैं कि सपा में अंतकर्लह केवल चुनावी स्टंट लग रही है।”

इस बाबत पूछे जाने पर मलिहाबाद के ग्राम पंचायत अल्लू नगर दिगुरिया के पप्पू यादव का कहना है, “अखिलेश बहुत अच्छा काम कर रहे थे वर्चस्व की लड़ाई में सपा खत्म हो जायेगी अगर अखिलेश नयी पार्टी बनाते हैं तो भी अखिलेश अच्छा चुनाव लड़ेंगे।” वहीं, गौरभीत निवासी बाल मुकुंद तिवारी कहते हैं, “मुलायम के परिवार में आपसी सामंजस्य न होने के चलते गायत्री जैसे प्रमाणित भ्रष्ट नेता को फिर वापस लेना, फिर बर्खास्त करके सपा पार्टी ने खुद जनता में ये सन्देश दिया है कि मुख्यमंत्री का निर्देश पार्टी में मायने नहीं रखता। आखिर अखिलेश के फैसले को बदल कर मुलायम क्या साबित करना चाहते हैं। जहां एक तरफ जनता में ये मैसेज जाता है कि पार्टी में मुलायम सर्वोपरि हैं। वहीं मुख्यमंत्री पर लोग सवाल उठा रहे हैं।”

(गाँव कनेक्शन नेटवर्क के तहत प्रदेश के सभी जिलों के ग्रामीणों से की गई बात पर आधारित खबर।)

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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