लखनऊ। गाँव के लोगों के विरोध व तानों के बावजूद भी कुछ लड़कियों ने एथलीट बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत व संघर्ष किया और सही मुकाम पाने के लिए अभी भी मेहनत कर रही हैं।
ये ग्रामीण लड़कियां केडी सिंह बाबू स्टेडियम में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। एथलीट में उत्तर प्रदेश को प्रतिनिधित्व करेंगी।
100 मीटर व 200 मी की दौड़ का प्रशिक्षण ले रही विजया (17 वर्ष) बताती हैं, ” गाँव में शादी होने के कारण मां खेल में आगे बढ़ नहीं सकी, अब वो चाहती है कि मैं उनका सपना पूरा करूं। मेरी बड़ी बहन की भी खेल में रूचि थी लेकिन गाँव बड़े-बूढ़ों के विरोध के कारण वो इसमें आगे नहीं बढ़ सकी लेकिन जब मैं हुई तो मां ने फैसला कर लिया कि मुझे जरूर आगे बढऩे का मौका देगीं।’’
विजया अपनी मां के सपने को पूरा करने के लिए 2013 में लखनऊ आई व एथलेटिक्स में दौड़ का प्रशिक्षण लेने लगी। खेल के साथ-साथ विजया बालिका विद्या निकेतन में पढ़ाई भी करती हैं। वो कक्षा 11 में हैं और पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में भाग भी लिया है, जिसमें रांची जूनियर नेशनल चैंपियनशिप के 100 मीटर की दौड़ में छठवें और 200 मी की दौड़ में चौथे स्थान पर आयी थीं।
विजया की तरह ही विजयलक्ष्मी (21 वर्ष) भी खेल में अपना करियर बनाना चाहती हैं। अंबेडकरनगर जिले के छोटे से गाँव की रहने वाली विजयलक्ष्मी को खेलने की प्रेरणा उनके आसपास के लोगों से ही मिली। मुस्कुराते हुए वो बताती हैं, ”गाँव में जब अपने भाईयों को उसके दोस्तों के साथ एथलेटिक्स करते हुए देखती थी तो हमेशा सोचती थी कि अगर ये लोग खेल सकते हैं तो मैं क्यों नहीं खेल सकती। बस इसी बात ने मुझे प्रेरित किया।’’
वो आगे बताती हैं, ”खेल में आने के लिए परिवार वालों ने तो पूरा सहयोग दिया कोई सिखाने वाला नहीं था। ऐसे में मेरे भाई ने ही कोच बनकर मुझे एथलेटिक्स के गुरु बताए।’’
कोच विमला सिंह का धन्यवाद करते हुए विजयलक्ष्मी बताती हैं, ” मैं हॉस्टल में रहती थी, मुझे एक बार गंभीर चोट लगी, मुझे हॉस्टल से निकालने का आदेश हो गया था पर कोच की मदद से मुझे यहां रहने की अनुमति मिली।’’
विजयलक्ष्मी ने राष्ट्रीय स्तर पर अनेक मेडल प्राप्त किए हैं और 2014-15 में ऑल इण्डिया इंटर यूनिवर्सिटी पटियाला में स्टेपल चेज़ में सिल्वर मेडल जीता। वर्ष 2015-16 ऑल इण्डिया इंटर यूनिवर्सिटी पटियाला में तीन किमी स्टेपल चेज़ में न्यू मीट रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल भी जीता है। विजयलक्ष्मी का लक्ष्य एशियाड और ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर मेडल प्राप्त करना है।
खेल में करियर बनाने के अपने सपने में ग्रामीण क्षेत्रों की इन लड़कियों के सामने सबसे बड़ी बाधा जहां गाँव वालों की रूढि़वादी सोच आड़े आ रही थी वहीं इन लड़कियों के पास सुविधाओं की भी भारी कमी थी। प्रतिदिन छह घंटे अभ्यास के साथ अपनी पढ़ाई को पूरा करना एथलीट खेल रही इन लड़कियों को यह मुकाम आसानी से नही मिला है।
रायबरेली जिले के घुरवारा गाँव से आई विभा यादव (20) रुंधे गले से बताती हैं, ”मेरा परिवार बड़ा था, हम 10 बहन और एक भाई थे। बचपन से ही खेल में रूचि थी, जब मैं गाँव में अभ्यास करती थी तो गाँव के लोग कई तरह की बातें बनाते थे कि घर का काम सीखो, वो काम आएगा। तब मेरे पिता ने मुझ पर भरोसा किया जिससे मुझे आगे बढऩे में मदद की।’’
विभा ने ऑल इण्डिया इंटर यूनिवर्सिटी पटियाला में बाधा दौड़ में पांचवां स्थान प्राप्त किया। गुरुनानक गल्र्स डिग्री कॉलेज लखनऊ से स्नातक कर रही विभा अपने गेम पर पूरा ध्यान दे रही है।
विभा अपनी प्रेरणा रायबरेली की ही एशियन गेम्स कांस्य पदक विजेता सुधा सिंह को मानती है और सीनियर ओपन नेशनल गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती है।
रिपोर्टर – सुप्रिया श्रीवास्तव