वर्षों से बंद पशु चिकित्सालय, भू-माफिया के कब्ज़े में चारागाह

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भावलखेड़ा(शाहजहांपुर)। सिसौआ गाँव में आठ एकड़ का विशाल तालाब है, 13 एकड़ चारागाह की जमीन है फिर भी पशुओं को पानी पिलाने व उन्हें चराने के लिए पशुपालक तरसते हैं। 

ब्लॉक भावलखेड़ा ग्राम सिसौआ (न्याय पंचायत बरमौला अर्जुनपुर) काफी बड़ी ग्रामसभा है, जिसमें पशुपालन की काफी संभावनाएं हैं। सिसौआ ग्रामसभा में जिला मुख्यालय से पूरब दिशा की ओर मात्र 20 किमी की दूरी पर स्थित है। जिला मुख्यालय तक आने के लिए पक्का मार्ग बना है। इस ग्राम सभा में कई छोटे-बड़े तालाब हैं, जिसमें सबसे बड़ा तालाब कब्रिस्तान के पास वाला तालाब जिसका रकबा लगभग आठ एकड़ है। इसी ग्राम सभा में सन 2009-2010 में एक काफी बड़े पशु चिकित्सालय का निर्माण कराया गया था जिसके लिए 31.79 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे, जिसे उत्तर प्रदेश विधायन एवं निर्माण सहकारी संघ लिमिटेड, पैकफेड निर्माण प्रखण्ड, बरेली ने बनाया था।

इस पशु चिकित्सालय में पशु चिकित्सक व अन्य स्टाफ  के रहने के लिए सभी सुविधाओं से युक्त आवास बनाये गये थे तथा एक बड़ा हाल और गाय भैंसों के कृत्रिम गर्भाधान व अन्य उपचार हेतु एक पक्का कटघरा शेड बनाया गया था, जिसमें गाँव वाले आज कल कण्डे सुखाकर रखने का काम करते हैं।

सिसौआ गाँव के रहने वाले इसरार शाह (55 वर्ष) बताते हैं, “पशुओं को चराने की बहुत समस्या पैदा हो गयी है, बंधे-बंधे पशु बीमार व कमजोर हो जाते हैं तथा दुधारू पशुओं का दूध भी कम हो जाता है। चारागाह की जमीन लोगों ने जोत रखी है, तालाब पर भी लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है। अगर धोखे से चारागाह पर कोई जानवर पहुंच जाता है तो जिन लोगों ने चारागाह की जमीन पर कब्जा रखी है वह लड़ाई-झगड़े पर आमादा हो जाते हैं, ताकतवर लोग हैं उनसे झगड़ा कौन करे? इसलिए जानवर पालना बन्द कर दिया है, जिनके पास जमीनें नहीं हैं वह लोग जानवर पालकर दूध बेचकर गुजारा कर लिया करते थे और अब मजदूरी करके जैसे-तैसे गुजारा करते हैं।” वो आगे बताते है, “जानवरों वाला अस्पताल पांच-छह वर्ष पूर्व हमारे गाँव में बना था तो हम लोगों को उम्मीद जगी थी कि चलो अब कम से कम पशुओं का इलाज तो यहीं हो जाया करेगा और आस-पास के पशुपालकों को फायदा पहुंचेगा परन्तु अस्पताल जब से बना है आज तक चालू ही नहीं हुआ।”

शाहजहांपुर ज़िले के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ.इन्द्रमणि ने बताया, “निर्माणकारी संस्था ने पशु चिकित्सालय में जो-जो बनना था, वह बनाया नहीं तथा चिकित्सालय में कोई चौकीदार भी नहीं रखा, जिससे वहां का काफी सामान टूट-फूट गया और चोरी हो चुका है। अभी तक चिकित्सालय को हमारे विभाग के सुपुर्द नहीं किया गया है। इस सम्बन्ध में काफी लिखा-पढ़ी भी की जा चुकी है तथा वहां पशु चिकित्सक डॉ. गौरव की नियुक्ति भी हो चुकी है, जिन्हें हमने सेहरामऊ पशु चिकित्सालय में सम्बद्ध कर रखा है। जनपद में सात पशु चिकित्सकों, 19 पशुधन प्रसार अधिकारियों, 17 फार्माशिष्टों व 40 चपरासियों की कमी चल रही है, जिनकी नियुक्तियां होना आवश्यक हैं।”

आवासों में पानी की टंकियां टूटी हैं, पानी की मोटर व अन्य सामान चोर ले गये हैं। इसी ग्राम सभा में 13 एकड़ चारागाह की जमीन भी है, जिसे भू-माफियाओं ने जोत रखा है। गाँव के ही निवासी जाविद खां बताते हैं, “कई बार तालाब व चारागाह की जमीन पर अवैध कब्जे हटवाने के लिए अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं परन्तु भू-माफिया कब्जेदारों के सामने जिला प्रशासन बौना साबित हो रहा है, जिसके चलते चन्द लोगों की वजह से पूरे गाँव के पशुपालकों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दबंगई के चलते कोई तालाब पर न तो अपने पशुओं को पानी पिला सकता है और न ही उन्हें तालाब में नहला सकता है।”

रिपोर्टर – रमेश चन्द्र गुप्ता

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