Gaon Connection Logo

ये दुनिया है तेज धूप, तो मां है ठंडी छांव

India

लखनऊ। बदलते समय के साथ-साथ लोगों की पारिवारिक भाषा शैली में भी परिवर्तन होते जा रहे हैं। पहले परिवार में बच्चे मां, पिता, चाचा, चाची जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते थे, वहीं अब इन शब्दों की जगह मॉम, डैड, अंकल, आन्टी ने ले ली है। 

पाश्चय सभ्यता का बढ़ता प्रभाव हमारे समाज और संस्कृति पड़ रहा है। मां रूपान्तरित होकर मम्मी हो गईं और फिर मॉम हो गईं। बालागंज में रहने वाली मीनू अग्रवाल उम्र (50 वर्ष) बताती हैं, “मैंने बचपन से ही अपने बच्चों को मां कहने का संस्कार दिया है क्योंकि मां में अपनापन सा लगता है।” मम्मी का अर्थ तो उन्होंने ममी (मिस्र में मरने के बाद शवों को पट्टी से लपेट दिया जाता है जिसे ममी कहते हैं) से लगाया।

वहीं ऐशबाग की रहने वाली अरुण वैश्य उम्र (45 वर्ष) बताती हैं कि मेरा बेटा मुझे मैडम, माम कहकर बुलाता है। मोती झील निवासी अनीता गर्ग (35 वर्ष) कहती हैं कि मेरी आठ साल की बेटी जो मुझे मम्मा कहती है जबकि मैंने कितनी बार बताया मम्मा नहीं, मां होता है तो मेरी बेटी कहती है कि लेकिन टीवी में तो मम्मा ही कहते हैं, मैं भी मम्मा ही कहूंगी। राजाजीपुरम में रहने वाली कृति मिश्रा उम्र  40 वर्ष यह बताती हैं कि मेरे बच्चे मुझे बचपन से ही अम्मा कहकर बुलाते है।

रिपोर्टर – दीक्षा बनौधा

More Posts

मोटे अनाज की MSP पर खरीद के लिए यूपी में रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है, जानिए क्या है इसका तरीका?  

उत्तर प्रदेश सरकार ने मोटे अनाजों की खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिया है। जो किसान भाई बहन मिलेट्स(श्री...

यूपी में दस कीटनाशकों के इस्तेमाल पर लगाई रोक; कहीं आप भी तो नहीं करते हैं इनका इस्तेमाल

बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा देने और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने...

मलेशिया में प्रवासी भारतीय सम्मेलन में किसानों की भागीदारी का क्या मायने हैं?  

प्रवासी भारतीयों के संगठन ‘गोपियो’ (ग्लोबल आर्गेनाइजेशन ऑफ़ पीपल ऑफ़ इंडियन ओरिजिन) के मंच पर जहाँ देश के आर्थिक विकास...