लखनऊ। क्वीन मेरी अस्पताल में टीका लगाने के बाद बच्चे की हालत बिगड़ने के बाद उसकी मौत हो गई। बच्चे की मां फरीना का रो-रो कर बुरा हाल है। उसका यही कहना है कि कोई ना आना इस अस्पताल में। यहां बच्चों को जिंदगी कम, मौत ज्यादा मिलती है।
नक्खास चूड़ी वाली गली निवासी फरीना को 18 अप्रैल की रात प्रसव पीड़ा होने पर क्वीनमेरी अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां अगले दिन उसने ऑपरेशन के बाद साढ़े तीन किलो के स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया। फरीना के पति इमरान ने बताया कि बच्चे के जन्म लेते ही नर्सों से लेकर दाई तक सभी पांच-पांच सौ रुपए की मांगने लगीं जिसमें मेरा करीब तीन हजार रुपया खर्च हो गया।
उसने बताया कि ऑपरेशन के टांके कच्चे होने की वजह से फरीना को एक हफ्ते के लिए अस्पताल में रुकने के लिए कहा गया। बच्चे को पहले भी एक टीका लग चुका था। बच्चा पिछले चार दिनों में बिल्कुल स्वस्थ्य था। उसकी जांच की रिपोर्ट भी सब नॉर्मल थी। 22 तारीख की रात डॉक्टर ने सुबह टीका लगाने के लिए बुलाया था। इसलिए 23 की सुबह करीब नौ बजे बच्चे को बच्चा वॉर्ड ले जाया गया।
इमरान ने बताया कि काफी समय बीत जाने पर जब हम लोगों ने बच्चे का हाल-चाल लेना चाहा तो वहां महिला डॉक्टर ने बताया कि आपके बच्चे की हालत ठीक नहीं है। उसे ऑक्सीजन दी जा रही है। जब जिद करके दोपहर करीब दो बजे देखने गए तो बच्चा मर चुका था। शरीर नीला पड़ चुका था, फिर भी डॉक्टर उसे ऑक्सीजन देने का नाटक कर रहे थे। डॉक्टरों से पूछने पर की हमारे अच्छे-भले बच्चे को क्या हुआ। डॉक्टरों ने गाली-गलौज कर हम लोगों को वहां से भाग जाने को कहा। जिस पर हम लोगों ने जब शोर मचाना शुरू किया तो गार्ड लाठी-डंडे लेकर हम लोगों पर हावी हो गए। वहां के डॉक्टरों ने बाथरूम के दरवाजे और शीशे खुद तोड़े और अब हम लोगों पर इल्ज़ाम लगा रहे हैं।
परिजनों का कहना है कि महिला डॉक्टर इस घटना के बाद बच्चे की जांच रिपोर्ट लेकर भाग गई है। हम लोगों को न्याय चाहिए। मामले को बढ़ता देख बवाल बढ़ने के डर से अस्पताल प्रशासन ने पुलिस सुरक्षा बल बुला लिया। इसी दौरान पीड़ित परिवार ने डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन पर बच्चे के इलाज में लापरवाही करने का मुकदमा दर्ज कराया है।