प्रतापगढ़। सरकार भले ही लाख दावे कर ले कि अल्ट्रासाउंड सेंटर पर लिंग परीक्षण करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है पर जिले में बने अल्ट्रासाउंड सेंटर में बेधड़क लिंग परीक्षण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है।
प्रसव पूर्व लिंग जांच अधिनियम 1994 में प्रसव पूर्व जांच करना और पेट में पल रहे बच्चे का लिंग बताना गम्भीर अपराध की श्रेणी में आता है जिसमें दोषी पाये जाने पर सजा और जुर्माना दोनों प्रावधान शामिल हैं। अभी हाल ही में जिलाधिकारी के निर्देश पर जनपद की पांचों तहसीलों में वहां के उपजिलाधिकारियों के नेतृत्व में अभियान चलाकर 26 सेण्टरों का निरीक्षण किया गया था जिसमें शहर के एक सेण्टर को सील करने के साथ अन्य 13 सेण्टरों को उनकी कमियों के अधार पर उन्हें नोटिस दी गयी थी जिसमें आठ सेण्टरों ने ही जवाब दिया है। आज भी पांच सेण्टरों ने कोई जवाब देना मुनासिब नहीं समझा।
ऐसे ही एक सेण्टर संचालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रसव पूर्व लिंग जांच करने के एवज में मुंहमांगी रकम मिल जाती है। पीड़ित पैसा भी देता है और सिफारिश भी करता है, यदि इसे न किया जाय तो लागत निकलना भी मुश्किल है। इस काम में कुछ आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां भी संचालकों से सांठ-गांठ करना पड़ता है, उन्हें इसके एवज में कमीशन भी देना पड़ता है। अल्ट्रासाउण्ड मशीन लगाने के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी के यहां रजिस्ट्रेशन के बाद लाइसेन्स प्राप्त करना होता है। अल्ट्रासाउण्ड मशीन संचालन के लिए रेडियोलाजिस्ट की डिग्री होना पहली शर्त है। साथ ही मशीन स्थापना के लिए स्थल का नजरी नक्शा भी प्रस्तुत करना होता है। जनपद में दर्जनों ऐसे सेण्टर हैं जहां रेडियोलाजिस्ट नहीं हैं। ऊषा देवी (35 वर्ष) का कहना है कि पहले से उसकी तीन बेटियां हैं। चौथा गर्भ पेट में आते ही परिवारजनों का दबाव पड़ना लगा और जांच के लिए शहर के कई सेण्टरों पर चक्कर लगाने के बाद एक नामी अल्ट्रासाउण्ड सेण्टर के पास स्थित मेडिकल स्टोर संचालक की मध्यस्थता में जांच के बाद मोटी रकम लेकर पेट में पल रहे बच्चे का लिंग बताया गया।
इस सम्बन्ध में पीसीपीएनडीटी का जनपद में कार्यभार देख रहे आरजी चौधरी का कहना है कि अभी बडे़ पैमाने पर जांच करायी गयी है। कमी वाले सेण्टरों को नोटिस दी गई है, कुछ के जवाब मिले हैं, जल्दी ही जवाब न देने वाले सेण्टरों के सम्बन्ध में सलाहकार समिति की बैठक में मामला रखकर उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी। पीसीपीएनडीटी सलाहकार समिति के समुचित प्राधिकारी, जिलाधिकारी डॉ. आदर्श सिंह और मुख्यचिकित्साधिकारी वीके पाण्डेय के निर्देश पर प्रदेश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर अभियान चलाकार सेण्टरों की जांच कराई गई। अब आगे देखना यह है कि अनियमित पाये जाने वाले सेण्टरों के खिलाफ कार्यवाही होती भी है या नहीं।