उन्नाव। गाँव बारा सगवर स्थित जर्जंर राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय उपेक्षा के चलते अपना अस्तित्व खोता नजर आ रहा है। थोड़ी सी बरसात में टापू बन जाने वाले अस्पताल परिसर में मरीजों को पहुंचना मुश्किलों भरा रहता है।
45 वर्ष पूर्व क्षेत्र की जनता की चिकित्सा व्यवस्था के लिए शासन द्वारा लालू प्रसाद पांडेय आयुर्वेदिक चिकित्सालय को प्रारंभ किया गया था। दशकों तक सैकड़ों गाँव के गरीब लोगों के लिए चिकित्सा का केंद्र रहा अस्पताल आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। चिकित्सकों के बैठने के लिए बना कमरा जगह-जगह से बरसात में टपक रहा है। समय से बिल्डिंग की मरम्मत ना होने के चलते सरिया निकल आई हैं।
अस्पताल में तैनात चिकित्सा अधिकारी कृष्ण कांत तिवारी भी सप्ताह में दो दिन आते हैं जिससे क्षेत्रीय लोगों को ऊंचगाँव या बीघापुर तक 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। चार दिन अस्पताल फार्मासिस्ट प्रमोद कुमार व बा बॉय विजय शंकर के ही हाथों रहता है7 स्वच्छकार छोटेलाल अपनी जि मेदारी का निवज़्हन नहीं करते जिससे अस्पताल मक्खी मच्छरों का डेरा बन गया है7 बदहाल स्थिति में भी लगभग 1 महीने में 1000 रोगी अस्पताल पहुंचते हैं7 बारा निवासी लाला पंडित, अनिल हंसराज, रामू, अभिषेक पांडे, पूवज़् बीडीसी श्यामू पांडे, मुन्ना सिंह क्षेत्री विधायक से बदहाल अस्पताल की बिल्डिंग सुधरवाने और डॉक्टरों की पूरे सप्ताह उपस्थिति कराने की मांग की है।