मैं शिक्षकों के परिवार से आता हूँ। मेरे पिता और माँ दोनों शिक्षक रहे हैं, मेरी सास, मेरी दोनों चाचियाँ, मेरी भाभी, मेरे तीन चचेरे भाइयों की पत्नियां भी टीचर हैं।
इसलिए टीचर कनेक्शन प्रोजेक्ट मेरे दिल के बहुत करीब है और व्यक्तिगत तौर पर इन शिक्षकों के लिए एक सम्मान भी है। और आज मैं जो हूँ वो न होता तो मैं भी एक टीचर ही होता। लेकिन शायद ये कहना गलत होगा, क्योंकि जिन लेखकों की कहानियाँ मैं सुनाता हूँ, उस मंडली को सिखाने के लिए तो मैं शिक्षक ही हूँ। लेकिन किसी दिन आप ज़रूर मुझे किसी क्लास में पाएँगे, जहाँ मैं बच्चों और युवाओं के साथ एक बेहतरीन समय बिता रहा होऊँगा।
मेरे माता-पिता ने पिछले साल अपनी शादी की 50वीं सालगिरह मनाई थी – लेकिन उसके एक महीने बाद, उनके एक प्रयास की भी सालगिरह थी, जो उनके लिए बहुत ख़ास है और जिसने हमारे परिवार को एक अदृश्य डोर से बाँध रखा है। यह गाँव के स्कूल की 50वीं वर्षगांठ थी, जिसे उन दोनों ने 1972 में, अपनी शादी के एक महीने बाद ही ज़मीन के एक टुकड़े पर एक छोटी सी झोपड़ी से शुरू किया था, जिसे मेरे पिता ने कनाडा में अपनी सेविंग्स से खरीदा था।
उन्होंने इसका नाम रखा ‘भारतीय ग्रामीण विद्यालय’। मेरे पिता डॉ. एस.बी. मिसरा हर दिन 12 किलोमीटर पैदल चलकर अपने स्कूल जाते थे और उनके बचपन का सपना था कि वह अपने गाँव के पास एक स्कूल बनाएँगे ताकि दूसरे बच्चों को इतनी लंबी पैदल दूरी तय न करनी पड़े।
#TeacherConnection वो स्कूल जिसने ग्रामीण इलाके के हजारों छात्र-छात्राओं की जिंदगियाँ बदलीं। वो स्कूल जिसके खुलने के बाद इस इलाके की लड़कियों ने सपने देखने शुरु किए।
मिलिए @GraminSchool के संस्थापक डॉ एसबी मिसरा और निर्मला मिसरा से
पूरा वीडियो देखिए: https://t.co/zAKuOyJZw7 pic.twitter.com/H0IHBjrvxY
— GaonConnection (@GaonConnection) September 5, 2023
मेरी माँ लखनऊ शहर में एक टीचर थीं और उन्होंने गाँव की ज़िंदगी अपनाने के लिए अपनी शहरी सुख-सुविधाओं वाली ज़िंदगी कही पीछे छोड़ दी और अपने पति के सपने को खुद का सपना बना लिया। साथ में, उन्होंने हज़ारों जिंदगियाँ बदल दी हैं और आज भी, उनके जिंदगी की सबसे बड़ी रोज़मर्रा की खुशी उसी स्कूल परिसर की तारीफ करते हुए बीतती है। जो उन्होंने मेरी माँ के गहनों, मेरे पिता की सेविंग्स और स्कूल के संसाधनों से बनाया है। उन्होंने वह सब कुछ दे दिया जो उनके पास था।
शिक्षक दुनिया के सबसे नि:स्वार्थ लोगों में से हैं। भारतीय शिक्षक तो हमेशा से जाने जाते हैं। गुरु-शिष्य परंपरा हमारे डीएनए में है, इसने हमारी संस्कृति और मूल्यों और विश्व भर में पहचान दिलाई है। शिक्षक अपने छात्रों को वह सब कुछ देते हैं जो वे जानते हैं, लेकिन बदले में कुछ भी नहीं चाहते हैं। मैं यह नहीं कह रहा कि सभी शिक्षकों में यह गुण, यह गुप्त शक्ति, यह महाशक्ति होती है।
मुझे यकीन है कि बहुत बड़ी संख्या में शिक्षक इसे केवल आजीविका के स्रोत के रूप में देखते हैं, जोकि काफी हद तक सही भी है। लेकिन ऐसे शिक्षक आज भी कहीं गुमनाम हैं जो हर दिन क्लास में खुशी, आशा और उत्थान की भावना जगाते हैं, और कभी उनका जश्न नहीं मनाया जाता है।
On Teacher’s Day today, @GaonConnection is releasing a new book dedicated to the nearly 10 million teaching workforce of the country. Here is the link for a free download, in case you wish to flip through it, or share with someone.@GaonConnectionE https://t.co/KHyeS31ylD pic.twitter.com/2bMBARsjMH
— Neelesh Misra (@neeleshmisra) September 5, 2023
भारत भर में सैकड़ों-हजारों शिक्षकों ने छोटे और बड़े बलिदान दिए हैं, और हर दिन अपने स्कूलों और अपने छात्र-छात्राओं के लिए छोटे और बड़े योगदान देते हैं, जिनमें से कुछ नज़र आते हैं, कुछ तो नज़र भी नहीं आते हैं। ये योगदान जीवन को आकार देते हैं, लेकिन इन्हें कहीं दर्ज़ नहीं किया जाता है। हमारी यह मुहिम “टीचर कनेक्शन” हर दिन शिक्षकों के लिए जश्न मनाती है, न कि सिर्फ शिक्षक दिवस पर।
गाँव कनेक्शन में हम आशा करते हैं कि हमारे प्रयास कहीं न कहीं भारतीय शिक्षकों को समाज में वह सम्मान और जगह वापस दिलाने में एक छोटा सा योगदान देंगे जो पहले हुआ करता था।
आइए, हम वापस उन्हीं क्लास में चलें। आइए हम अपना टीचर कनेक्शन बनाएँ।
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