टीचर्स डायरी: “बच्चों के साथ फर्श पर ही बैठकर पढ़ाता हूँ, जिससे बना रहे एक कनेक्शन”

अनुराग चतुर्वेदी उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के प्राथमिक विद्यालय कछपुरा में सहायक अध्यापक हैं, टीचर्स डायरी में वो अपने उन अनुभवों को्र साझा कर रहे हैं जिनसे स्कूल से बच्चों का लगाव और गहरा हो गया।
Teacher'sDiary

मैं बच्चों के बीच फर्श पर बैठकर उन्हें पढ़ाता हूँ ,जिससे बच्चों का और मेरा कनेक्शन हमेशा जुड़ा रहे। मेरे क्लास के बच्चे अभी कक्षा एक में पढ़ते हैं तो उनके लिए सारी चीजे नई हैं। इसलिए उन्हें खास ढंग से पढ़ाना होता है। बाकी प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को पहले घर में बहुत सारी चीजें सीखा दी जाती हैं, लेकिन हमारे यहाँ बच्चे स्कूल में आकर ही सीखते हैं। बच्चों के साथ बैठकर पढ़ाने से बच्चों में पढ़ाई के प्रति उत्साह बढ़ता है।

एक ऐसा वाक्या है जो आज भी मुझे याद है। स्कूल मे लंच के समय मे दो बच्चियाँ लंच नहीं कर पायी थीं, तब मुझे लगा बच्चों ने खाना नहीं खाया तो कैसे चलेगा। मैंने अपना लंच बॉक्स उठाकर उन्हें दिया। पहले तो बच्चे खाना खाने को तैयार नहीं थे, फिर मेरे मनाने के बाद बच्चों ने लंच तो कर लिया उसके बाद छुट्टी के पहले दोनों घर जाकर वहां से मेरे लिए खाना बनवाकर ले आयी। और बोला सर आप भी खा लीजिए। मुझे उन बच्चियों की बातें बहुत अच्छी लगीं कि मैंने बच्चों को खाना खिलाया तो बच्चों ने भी मेरा ध्यान रखा। वो पल मेरे लिए बहुत खास था।

स्वास्थ्य विभाग और अखबार के ज़रिए तम्बाकू, पान मसाला से नुकसान के बारे मे मैंने कई जानकारी जुटाई। मुझे लगा बच्चों को भी इसके प्रति जागरूक करना चाहिए। मैंने स्कूल के बच्चों को तम्बाकू से होने वाले नुकसान की जानकारी दी, कैसे इसके प्रयोग से कई तरह की बीमारियाँ हो जाती हैं? कैसे इन हानिकारक पदार्थों से दूर रहना चाहिए? इन जानकारी से बच्चों पर काफी असर पड़ा। आज वो अपने घरों में जाकर परिवार वालों को इससे दूर रहने को कहते हैं।

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जैसा कि अनुराग चतुर्वेदी ने गाँव कनेक्शन की इंटर्न अंबिका त्रिपाठी से बताया

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