‘हम शिक्षकों को गाँव में फैली कुप्रथाओं के खिलाफ खड़े होना होगा’

दयावती उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के प्राथमिक विद्यालय शेखपुरवा में शिक्षिका हैं, टीचर्स डायरी में वो अपना अनुभव साझा कर रही हैं।
Teacher'sDiary

साल 2015 में मेरी ट्रेनिंग बहादुरपुर के प्राथमिक विद्यालय में हुई, उस गाँव में छोटी-छोटी बच्चियों की शादी कर दी जाती थी। कई बार मैं बच्चों के यहाँ जाकर उन्हें पढ़ाती थी, वहाँ जाकर देखा कि कई बच्चियों की शादी हो गई है। पूछने पर पता चला कि शादी जल्दी कर देते हैं और गौना पाँच साल बाद करते।

मेरे स्कूल में एक बच्ची खुशी पढ़ती थी, उसकी उम्र बस 14 साल की थी और उसके घर वाले उसकी शादी करना चाह रहे थे। जब मुझे पता चला कि तो मैंने उन्हें रोकना चाहा कि ये ठीक बात नहीं। इतनी छोटी बच्ची की शादी क्यों करना चाहते हैं, तब उन लोगों ने मुझसे कहा कि शादी अभी कर देंगे, लेकिन गौना पाँच साल बाद करेंगे।

मैंने उन्हें समझाया कि आप लोग अगर ऐसा करेंगे तो जेल चले जाएँगे, उसे पढ़ने दीजिए, बहुत समझाने के बाद वो लोग शादी नहीं करने के लिए मान गए।

ट्रेनिंग के बाद मेरी नियुक्ति प्राथमिक विद्यालय शेखनपुरवा में हो गई, धीरे-धीरे बच्चों से जुड़ाव हो गया। मेरी क्लास में एक बच्चा अमित था, पढ़ने में काफी होशियार था। लॉकडाउन के दौरान उसने सारे बच्चों को ऑनलाइन जोड़ने में काफी मेहनत की थी। मुझे लगता था कि अमित आगे पढ़कर ज़रूर कुछ अच्छा करेगा।

लेकिन अमित के घर आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। मेरे स्कूल से निकलने के बाद उसका दूसरे स्कूल में एडमिशन हो गया, लेकिन काफी समय के बाद पता चला कि वो गाँव से मुंबई कमाने के लिए चला गया। उस समय उसकी उम्र सिर्फ 14 साल थी, उसके घर वालों को बहुत समझाने पर उसे वापस बुला लिया। वापस उसका स्कूल में एडमिशन कराया। लेकिन अभी भी वो यहाँ बेकरी की दुकान पर काम करता है। ऐसे बच्चों को देखकर बहुत बुरा लगता है। 

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