'सांप काटे तो अस्पताल ही है इलाज, झाड़ फूंक पर न करें समय बर्बाद' - नुक्कड़ नाटक के जरिए किया गया जागरूक

ग्रामीण क्षेत्र में सर्पदंश के काटने के बारे में जागरूकता बढ़ाने लिए गाँव कनेक्शन ने अपने 'द गोल्डन ऑवर' अभियान के तहत नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया।

Divendra SinghDivendra Singh   23 July 2022 11:45 AM GMT

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खेत में फावड़े से गुड़ाई कर रहे बिरजू अपने काम में मगन थे कि अचानक उन्हें लगा उनके पैर में कुछ काट गया, देखा तो उधर से एक काला सांप जा रहा था। बिरजू खेत से डर के मारे चिल्लाने लगे कि उधर से गुजर रहे गाँव के दो लोग भागते हुए खेत में पहुंच गए।

उन्हें खेत से गाँव लाया गया, उनकी पत्नी भी रोने लगीं, अब सबसे बड़ा सवाल था कि बिरजू को कहां लेकर जाया जाए, तब तक गाँव के प्रधान भी पहुंच, सबसे ने फैसला कि पास के गाँव के बाबा के पास लेकर चलते हैं, जो झाड़फूंक से सांप काटे का इलाज करते हैं।

फिर क्या सब बिरजू को लेकर बाबा के पास पहुंच गए, लेकिन थोड़ा झाड़ फूक करने के बाद बाबा को समझ में आ गया कि किसी जहरीले सांप ने काटा है, बाबा ने कहा- "सांप के साथ पुरानी दुश्मनी है, अब तो कुछ नहीं होगा अब तो बिरजू नहीं बचेगा।


परेशान गाँव वाले बिरजू को लेकर गाँव वापस आ गए, तब तक बिरजू की कॉलेज में पढ़ने वाली बेटी भी वहां पहुंच गई अपने पिता की हालत देखकर बोली- "इन्हें जल्दी डॉक्टर के पास ले चलिए, वहीं पर इनका इलाज हो पाएगा।" बेटी के इतना कहते है गाँव के दूसरे लोग नाराज होकर बोले इतना पढ़ ली हो कि हम बड़े-बुजुर्गों की बात काटोगी"

लेकिन आखिरकार कुछ लोगों के कहने पर बिरजू को सरकारी अस्पताल लेकर गए, जहां पर एंटीवेनम दिया गया, जिससे समय रहते बिरजू की जान बचा ली गई।

ये थे बिरजू, जिनकी कहानी नुक्कड़ नाटक के जरिए बतायी गई। ये तो कहानी थी, लेकिन ऐसा ही किसी के साथ भी हो सकता है। ऐसे में लोगों को जागरूक करने के लिए गाँव कनेक्शन 'द गोल्डन ऑवर' चला रहा है, जिसके तहत उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के करुआ गाँव में पर्यावरणम सोसाइटी के सदस्यों ने ग्रामीणों को नुक्कड़ नाटक के जरिए जागरूक किया गया। इस अभियान में ग्राउंड रिपोर्ट, वीडियो, पॉडकास्ट, वर्कशॉप, नुक्कड़ नाटक और विशेषज्ञों की सलाह शामिल किए गए हैं ताकि सांप के काटने से होने वाली मौत को रोकने में मदद मिल सके।

भारत में हर साल कम से कम 58,000 लोग सांप के काटने से अपनी जान गंवा देते हैं, जिनमें से ज्यादातर लोग गाँवों के रहने वाले है। अभी भी लोग सांप काटने पर सीधे अस्पताल में न जाकर झाड़ फूक के चक्कर में पड़ जाते हैं, जिससे कई बार उनकी जान भी चली जाती है।

करुआ के गाँव के तिवारी ने कहा, "अभी भी लोग सांप काटने पर झाड़फूंक के चक्कर में पड़ जाता है, नुक्कड़ नाटक में आज ये तो पता ही चल गया कि सांप काटने पर समय कितना जरूरी होता है।" वो आगे बताते हैं, "अब हम लोग अपने गाँव में ही नहीं दूसरे लोगों को भी ये जानकारी देंगे, जिससे लोगों की जान बचा सकें।

गाँव के लोगों के लिए नुक्कड़ नाटक नई चीज थी, उन्होंने कहा कि वो अब दूसरों को जागरूक करेंगे।

यही नहीं पर्यावरणम सोसाइटी के आदित्य तिवारी ने बताया कि कैसे जहरीले और गैर जहरीले सांपों को पहचान सकते हैं। अगर घर या खेत में सांप दिख जाए तो क्या करना चाहिए। क्योंकि कई बार लोग समझ नहीं पाते हैं कि उन्हें किस सांप ने काटा है। आदित्य तिवारी ने गोल्डन ऑवर यानी उस समय का महत्व समझाया जिसका ध्यान रखकर सर्पदंश से लोगों को बचाया जा सकता है। अगर किसी का सांप काटता है तो बिना समय गवाएं अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाकर एंटी-वेनम का इंजेक्शन लगवाएं।

गाँव की बुजुर्ग महिला राधा देवी के लिए नुक्कड़ नाटक बिल्कुल नई बात थी, उन्होंने बताया, "आज तो हमने बहुत कुछ नया सीखा, अब तो हम दूसरों से भी बताएंगे कि अगर सांप काटे तो झाड़-फूंक न करवाओ सीधे डॉक्टर के पास जाओ, वहीं इलाज होगा।"

The Golden Hour snake bites #story 

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