सर्पदंश से होने वाली मौतों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए गाँव कनेक्शन ने शुरू किया 'द गोल्डन ऑवर' अभियान

भारत में सर्पदंश के मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने के मकसद से, गाँव कनेक्शन एक महीने का अभियान शुरू करने जा रहा है, जिसका शीर्षक 'द गोल्डन ऑवर' है। इस अभियान में ग्राउंड रिपोर्ट, वीडियो, पॉडकास्ट, वर्कशॉप, नुक्कड़ नाटक और विशेषज्ञों की सलाह शामिल होगी ताकि सांप के काटने से होने वाली मौत को रोकने में मदद मिल सके।

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भारत में बारिश के मौसम को सर्पदंश की घटनाओं में बढ़ोतरी का कारण माना जाता है। देश में सांप के काटने के खतरे से निपटने के लिए गलत सूचना, जागरूकता की कमी को दूर करने और चिकित्सा के बुनियादी ढांचे को सही करने के लिए, गाँव कनेक्शन 16 जुलाई 2022 से 'द गोल्डन ऑवर' नाम का एक महीने का जागरूकता अभियान शुरू कर रहा है।

अभियान में पीड़ितों और सांप के काटने से बचे लोगों के मामलों की ग्राउंड रिपोर्ट के साथ-साथ उनके केस स्टडी को दर्शाने वाली वीडियो कहानियां भी शामिल होंगी। इसमें पोस्टर, पॉडकास्ट, मीडिया वर्कशॉप और विशेषज्ञों के इंटरव्यू भी शामिल होंगे जो इस बात पर प्रकाश डालेंगे कि अगर सांप काट ले तो क्या किया जाए और क्या न किया जाए।

सर्पदंश के मामलों में, वक्त का महत्व काफी ज्यादा होता है, इसी वजह से सर्पदंश के बाद के पहले घंटे को 'द गोल्डन ऑवर' के रूप में जाना जाता है, जब हस्तक्षेप कर के जीवन को बचाया जा सकता है। लेकिन अगर जहर-रोधी दवा देने में देरी होती है, तो संभावना है कि सांप के काटने से अंग को नुकसान हो सकता है, या घातक साबित हो सकता है। सांप के काटने और चिकित्सा उपचार के बीच इस जीवन रक्षक समय को उजागर करने के मकसद से हमारे अभियान का शीर्षक 'द गोल्डन ऑवर' है।

अपने वीडियो संदेश में, गाँव कनेक्शन के फाउंडर नीलेश मिसरा ने कहा कि भारत के गाँवों से जुड़ी न जाने कितनी अदृश्य समस्याएं हैं जो सुर्खियां नहीं बन पाती, snake bite यानी सर्पदंश भी उनमें से एक है। हर साल 58,000 लोग सांप काटने से अपनी जान गंवा देते हैं, लेकिन इनमें सांपों का दोष नहीं है, क्योंकि ज्यादातर सांप तो नुकसान ही नहीं पहुंचाते हैं। लेकिन जो धारणाएं हैं और जो डर हैं उनकी वजह से उन्हें मार दिया जाता है।"

उन्होंने आगे कहा, "भारत का सबसे बड़ा मीडिया प्लेटफार्म एक कैंपेन चला रहा है, जिसमें हम कोशिश करेंगे इन पर बात करने की इस पर जागरूकता लाने की, क्योंकि जब सांप काट लेते हैं, उसके बाद क्या होता है, उनके लिए जो जरूरी दवाएं होती हैं, क्या वो उपलब्ध हैं, शायद नहीं, क्योंकि अगर वो दवाएं होती तो न जाने कितनी जाने बचाई जा सकती।"

"और अगर सांपों के लेकर इतनी गलतफहमियां न होती तो न जाने कितनी सांपों की जाने बचायी जा सकती थी, जोकि इको सिस्टम में एक अहम रोल निभाते हैं, "नीलेश मिसरा ने आगे कहा।

जुलाई 2020 में प्रकाशित एक के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में हर साल सांपों द्वारा काटे जाने वाले 2.8 मिलियन लोगों में से 58,000 लोग मर जाते हैं और सर्पदंश से होने वाली मौतों में 94 प्रतिशत तक ग्रामीण भारत से हैं।

16 जुलाई को शुरू होने वाली इस मुहिम के अंर्तगत प्रकाशित होने वाली पहली ग्राउंड रिपोर्ट में पाया गया कि इन मौतों का एक मुख्य कारण एंटी-वेनम दवाओं तक पहुंच की कमी है।

देश दुनिया का अग्रणी निर्माता और एंटी वेनम दवाओं का निर्यातक होने के बावजूद, ये जीवन रक्षक दवाएं ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए उपलब्ध नहीं हैं।

The Golden Hour #Snake #story #video 

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