The Slow Interview with Neelesh Misra सीजन 2 में आयुष्मान खुराना से खास मुलाकात ...

"मैं करता हूं डेस्टिनी में विश्वास, पर मैं ये भी मानता हूं कि आप अपने कर्मों से और अपनी मेहनत से डेस्टिनी बदल भी सकते हैं। ऐसा कुछ नहीं है जो आप नहीं कर सकते" - आयुष्मान खुराना

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

यहां कोई मित्र नहीं है

कोई आश्वस्थ चरित्र नहीं है

सब अर्धनिर्मित है

अर्धनिर्मित इमारतें हैं

अर्धनिर्मित बच्चों की शरारते हैं

अर्धनिर्मित जिंदगी की शर्तें हैं

अर्धनिर्मित जीवन पाने के लिए रोज रोज मरते हैं

अर्धनिर्मित है यहां के प्रेमियों का प्यार

अर्धनिर्मित है यहां मनुष्यों के जीवन के आधार

आज का दिन अर्धनिर्मित है

न धूप है न छांव है

मंजिल की डगर से विपरीत चलते पांव हैं

अर्धनिर्मित सी सेहत है

न कभी देखा निरोगी काया को

न कभी दिल से कहा अलविदा माया को

हमारी अर्धनिर्मित सी कहानी है

अर्धनिर्मित हमारे युवाओं की जवानी है

हम रोज एक अर्धनिर्मित शैय्या पर लेते हुए एक अर्धनिर्मित सा सपना देखते हैं

सपने में हम अपनी अर्धनिर्मित आकांक्षाओं को आसमानों में फेंकते हैं

आसमान को भी इन आकांक्षाओं को समेट कर अर्धनिर्मित होने का एहसास होता होगा

क्योंकि ये आकांक्षाएं हमारी नहीं आसमान की हैं बिल्कुल वैसे जैसे अर्धनिर्मित गाथा तुम्हारी है और आयुष्मान की है...

नीलेश मिसरा---अगर मैं कहूं कि मुझे पता कि आपके घर में पनिशमेंट रूम है।




आयुष्मान--- हंसते हुए... ये किसने बता दिया आपको। वो पनिशमेंट रूम इसलिए था क्योंकि वो हमारे ड्राइंग रूम के बगल वाला रूम था, बगल में लॉबी बनी हुई थी, सेक्टर 2 पंचकुला में जहां से हम हैं। जब भी मैं और मेरा भाई कुछ गलत काम करते थे तो पापा वहां पर ले जाकर हमें थप्पड़ लगाते थे। मतलब मेहमानों के सामने कुछ गलत बोल दिया, मेहमानों से पहले हमने उनके सामने रखी मिठाई या कुछ भी खा लिया। पापा जो चीज लिविंग रूम में सबके सामने सरेआम नहीं कर सकते थे वो साइड में ले जाकर बोलते, हमें आप से दो मिनट बात करनी है। वहां पर वो आते थे, फिर बड़े ही तमीज से स्ट्रेट फेस के साथ हमें अंदर ले जाते थे और ठीक उसी तरह स्ट्रेट फेस के साथ बाहर निकल आते थे, जैसे अंदर कुछ हुआ ही नहीं है। हम ऐसा शो करते थे कि जैसे अंदर कुछ हुआ ही नहीं है। ये हमारे और पापा के बीच की बात है। जब एक पड़ जाती थी तो उन्हें लगता था कि ये आगे से शरारत नहीं करेंगे। ऐसा उन्हें लगता था, लेकिन हमें पता था कि हम आगे जरूर करेंगे और फिर से अंदर बुलाया जाएगा। ( दोनों तरफ से जोर से हंसते हुए)

नीलेश मिसर---ये मुझे इसलिए पता है क्योंकि हमारी एक कोलीग(सहकर्मी) हैं जो स्लो इंटरव्यू टीम का हिस्सा हैं चारु टंडन वो आपके पड़ोस में रहती हैं। जो आपके पैरेंट्स(माता-पिता) से मिलकर आई थीं। दो घंटा उनके साथ बैठकर आई थीं।

आयुष्मान--- ये रिसर्च है आपकी, तो मतलब मुझे नंगा कर दिया यहां पर। (दोनों तरफ से जोर से हंसी के ठहाके)

नीलेश मिसरा---हाउज ग्रोइंग अप ?

आयुष्मान--- एक्चुअली क्लास सेवन तक मैं कोएड में था। मैंने काफी स्कूल बदले हैं। शुरुआत एक ऑल गर्ल स्कूल से हुई थी, क्योंकि वहां का प्रेपरेटरी जो था वो कोएड था। कॉमन कॉन्वेंट कोएड स्कूल था चंडीगढ़ का। उसका प्रेप जो है नर्सरी तक कोएड था उसके बाद ऑल गर्ल हो जाता था। फिर मैं वहां से गया सेंट स्टीफन फिर एक हॉली चाइल्ड जो पंचकुल में है, उसके बाद सेंट कबीर था। फिर ऐट्थ(आठवीं), नाइंथ(नौवीं) और टेंथ(दसवीं) मैंने ऑल ब्यॉज से किए हैं। बेकिसली जब आपके हॉर्मोन उछलने शुरू होते हैं तब से मैं ऑल ब्यॉज में आ गया था जो बहुत ही दर्दनाक था। (हंसते हुए)

ये भी पढ़ें: कोई नहीं चाहता था कि मैं 'मुल्क' बनाऊं

बाकियों को पता हीं नहीं था जो मेरे बाकी के क्लासमेट(साथ पढ़ने वाले) थे तो मुझसे पूछते थे कि कैसा लगता है यार कोऐड स्कूल में रहकर। मैं कहता, यार मैं बर्बाद हो गया यहां पर आकर। मेरा बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा है यहां पर। तीन साल काटे ऑल ब्यॉज स्कूल में फिर ग्रेजुएशन ऑल ब्यॉज कॉलेज से। मतलब जितने भी उफान वाले जवानी के दिन थे वो ऑल ब्यॉज में बीते। इसी बीच ऐलेवन-ट्वेल्थ(11-12वीं) में मेरी गर्लफ्रेंड जो अब मेरी वाइफ हैं मिल गई थीं मुझे।

नीलेश मिसरा ---- वो कैसे मिलीं ?

आयुष्मान----फिजिक्स ट्यूशन में आती थीं। वहां मिली थीं और फैमिली फ्रेंड्स थे हम।

नीलेश मिसरा--- चंडिगढ़ इट्स ए लवली सिटी बट...मुझे लगता है कि एक थोड़ा सा छोटा शहर, थोड़ा सा बड़ा शहर मिलते हैं। लड़के लड़कियों के मिलने की आजादी या उसपे नजर में आना। व्हाट अबाउट ऑल दैट ?

आयुष्मान--- चंडीगढ़ एक स्टूडेंट सिटी है, जहां पंजाब, हरियाणा, हिमाचल से स्टूडेंट्स आते हैं। जो स्टूडेंट्स बाहर से आए हैं वो तो खुलेआम घूम सकते हैं उनको क्या फर्क पड़ेगा, लेकिन अगर आप चंडीगढ़ में ही पैदा हुए हैं तो हर कोई आपको जानता है। आप वो नहीं कर सकते। तो आपके साथ हमेशा आपका बेस्ट फ्रेंड साथ होता है और उसके साथ उसकी बेस्ट फ्रेंड साथ होती है। पर दोनों एक साथ नहीं हो सकते क्योंकि वो दोनों कपल लगने लगेंगे। ऐसे में हमेशा ऐसा ही होता था कि जो तीसरा आदमी होता था, कहता था बस करो यार मेरे को इस्तेमाल करना बंद करो, मुझसे ये नहीं होगा। आई एम स्योर लॉट्स आफ पीपुल मस्ट हैव लेड टू इट।

नीलेश मिसरा--- यस आई डू। (दोनों तरफ से जोर से हंसते हुए)

आयुष्मान----तो ऐसा रहा, डेटिंग ऐसी रही। मतलब हमेशा कोई न कोई साथ में होता था।

नीलेश मिसरा--- हाउ वाज योर चाइल्डहुड ?

आयुष्मान----मैं कहूंगा कि मेरा बचपन बहुत ही खूबसूरत था। आई लीव इ दी पास्ट, मुझे ऐसा कभी कभी लगता है। मैं बहुत की नॉस्टैल्जिक हूं। चाहे कुछ भी चीजें हों बचपन की मुझे खूबसूरत ही लगी हैं। मैं जिंदगी का एक नजरिया ही बहुत पॉजिटिव रखता हूं। लोगों ने बुली किया है, मैंने भी लोगों को बुली किया है जैसा हर बचपन में होता है वैसा ही एक साधारण सा बचपन था और हर तरह के लोगों से मिला हूं। सबसे अच्छी बात ये है कि बचपन में हर तबके के बच्चों के साथ खेला हूं चाहे अमीर हो गरीब हो। उससे आपके आई थिंक होराइजन खुल जाते हैं। जितने भी एक्सपीरिएंस होती है जिंदगी में वही आप आर्टिस्ट हैं तो उसको की इनकॉपरेट कर देते हैं अपनी कला में।




नीलेश मिसर--- दैन यू वर अबाउट बिकम एक डेंटिस्ट ?

आयुष्मान----- ऐसा हुआ था बचपन में मेरे दांत

बराबर नहीं थे। ऐसे में मुझे डेंटिस्ट के पास ले गए थे, जहां डेंटिस्ट ने ब्रेसेस लगा दिए थे। उसके दो साल बाद मेरे परफेक्ट टीथ(दांत) हो गए थे। लेकिन वो जो प्रॉसेस था दो साल का वो मुझे बड़ा ही इंट्रेस्टिंग लगता था। आप जब भी डेंटिस्ट की क्लीनिक पर जाते हैं, वहां एक अजीब सी खुश्बू सी होती है जिसे आप पहचान जाते हैं, जिससे आप कुल्ला भी करते हैं, यू जस्ट फील आप आ गए हैं इस दुनिया में और आपके दांत के साथ-साथ आपका दिल भी दर्द करने लगता है। तब मैंने सोचा था कि मैं डेंटिस्ट बन जाता हूं। (हंसते हुए)

नीलेश मिसरा----- अच्छे रहे पढ़ाई में आप ?

आयुष्मान---- स्कूल की पढ़ाई में मैं अबव एवरेज ही रहा हूं, कॉलेज में बहुत ही अच्छा हुआ था। इम्मेडिएटली आफ्टर गिविंग माई कर्नाटका सीईटी। जब मैंने चेंज ओवर किया कि अब मुझे मेडिकल नहीं करना है मुझे आर्ट्स करना है।

नीलेश मिसरा--- ये कोएड सेटअप में पहुंचने के बाद जो नई ऊर्जा थी उसका असर था...

आयुष्मान---- नहीं नहीं नहीं, वो वो भी ऑल ब्यॉज था। कोएड होता तो शायद ऊर्जा कहीं और खर्च हो जाती। (दोनों तरफ से जोर से हंसी)

आयुष्मान---- मैंने पापा से बोला मैं आर्ट्स कर रहा हूं और थिएटर में एक्टर बनना चाहता हूं। मुझे एक्टर बनना है। मुझे पता है इलेवंथ-ट्वेल्थ में जब मैं फिजिक्स, कमेस्ट्री, बायो कर रहा था तब हमेशा ऑडोटोरिएम में जाकर देखा करता था कि थिएटर एक्टर्स क्या कर रहे हैं। थिएटर एक्टर्स कुछ वर्कशॉप कर रहे हैं, उनको परवाह नहीं है बाहर क्या हो रहा है, अपनी जिंदगी में व्यस्त हैं। तो मुझे बड़ी फैशनेट करती थीं वो चीजें। मैंने पाप से बोला मुझे थिएटर करना है। पापा ने पूछा, बेटा फिर आप जिंदगी में कमाओगे कैसे ? आप की न शादी होगी, आप कुछ काम नहीं करोगे। ऐसे तो नहीं हो सकता कि आप सिर्फ थिएटर करो, आर्ट्स करो। उसके बाद दो शर्तें रखी गईं, एक आपको अटेंडेंस पूरी रखनी है कॉलेज में और दूसरी आपको कॉलेज में टॉप करना है तभी आप थिएटर कर सकते हो। ऐसे में मैं ही अपने थिएटर ग्रुप में इकलौता था जिसकी कॉलेज में अटेंडेंटस पूरी थी और तीनों साल कॉलेज टॉप किया।

आयुष्मान---मुझे आज भी याद है आपका जिंगल था...यादों के इडियट बॉक्स में क्या-क्या चलता है... आप मानेंगे नहीं जब आपका शो आता था न मैं घर पहुंच चुका होता था और गाड़ी पार्क करके सिर्फ आपको सुनने के लिए नीचे खड़ा रहता था। ऊपर से फोन आते रहते थे जल्दी आ जा। लेकिन मैं कहता था, मुझे यह सुनकर ही आना है।

नीलेश मिसरा-- लाइफ चेंजिंग मूवमेंट्स आपकी लाइफ में रहें ?

आयुष्मान----बहुत रहे हैं। लाइफ चेंजिंग मूवमेंट था, जब मैं मास कॉम के बाद चंडीगढ़ में जर्नलिज्म कर रहा था उसी समय हम लोग एक प्ले कर रहे थे। मैंने सोचा एक सर्व गुण संपन्न अभिनेता बनकर मैं मुंबई जाउंगा, हॉर्स राइडिंग सीखूंगा, काफी कुछ सीख कर तैयारी के साथ जाउंगा। कभी-कभी आपको खुद नहीं पता होता है कि आप तैयार हैं। आप चाहते हैं कुछ बेहतर कर सकते हैं, कुछ इंप्रूव कर सकते हैं। पापा ने बोरिया बिस्तर बांधकर घर से निकाल दिया था मुझे।

नीलेश मिसरा--पापा ने निकाला था ?

आयुष्मान--- लोग भागकर एक्टर बनते हैं, मैं तो भगाया गया था कि अब तुम तैयार हो। वैसे मेरे पापा ऐस्ट्रोलॉजर हैं, तो पता नहीं उन्हें क्यों लगा कि यह सही समय है जाने का। उन्होंने मुझसे कहा, यहीं समय है जाने का और अगर अब रुक गए तो कभी नहीं जा पाओगे। वो मुझे मुंबई स्ट्रगल करने भेज रहे थे। मेरे पास कोई जॉब भी नहीं थी मुंबई में। वहां मुझे कोई जानता भी नहीं था। मैं उनसे उस समय लड़ सकता था कि मैं अभी रेडी नहीं हूं। पापा मुझे अभी प्ले करना है। मुझे अभी नहीं जाना है। जब आप दोस्तों के साथ मेहनत कर चुके होते हैं एक थिएटर प्रोडक्शन पर तो आपकी विजडम यही कहती है आप ये प्ले करने के बाद चले जाओ। छह महीने बाद चले जाओ। आप के एग्जाम अभी खत्म हुए हैं और आप छह महीने ऐसे निकाल दिए न तो आपकी बॉडी का मोमेंटम खत्म हो जाता है, ऊर्जा खत्म हो जाती है।

ये भी पढ़ें: मेरा सबसे बड़ा डर है कि मैं खुद से बोर न हो जाऊं - पंकज त्रिपाठी

मुंबई जाने के बाद वहां रहने के लिए मेरे पास कोई जगह नहीं थी। मुंबई में मेरा एक दोस्त रहता था। जिसका बस एक रूम था और मुझे नहीं पता था कि उसके साथ उसकी गर्लफ्रेंड भी रहती है। वो एक ही रूम था। एक ही रूम में साइड में किचेन थी और वहीं पर हमें रहना था। दोनों लड़ के बैठ गए थे उस दिन तो मुझको उनके बीच में सोना पड़ा। मतलब क्लीन साइज बेड में बीच में मैं हूं, एक तरफ मेरा दोस्त है और दूसरी तरफ उसकी गर्लफ्रेंड है। मुझे पूरी रात नींद नहीं आई।

नीलेश मिसरा---- हंसते हुए... मैं शॉट इमेजिंग कर रहा हूं।

आयुष्मान--- मुझे यकीन नहीं हो रहा था। सुबह-सुबह मैंने कपड़े पैक किए। मेरा एक और दोस्त था सिद्वार्थ कपाटिया जो एमबीबीएस कर रहा था। मैंने उससे कहा भाई, जब तक मुझे कोई काम नहीं मिल जाता है मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे हॉस्टल में रहना चाहता हूं। उसने बोला, अलाउड तो नहीं है वैसे, तुम मेडिकल स्टूडेंट भी नहीं हो। तुम एक्टर बनने आए हो। यह इतिहास मे पहली बार हुआ होगा जब एक्टर मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में रह रहा होगा। एक छोटे कमरे में हम तीन लड़के थे बस। अंडरवीयर में सोते थे बस, गर्मी बहुत थी मुंबई में। सुबह-सुबह वैसे ही लाइन लगा रहे हैं वॉशरूम की तरफ। कपड़े सुखा रहे हैं, खुद कपड़े धो रहे हैं। बहुत ही मजेदार दौर था वो। (हंसते हुए)

नीलेश मिसरा------ क्या एक पैंपर जिंदगी से आए थे आप ?

आयुष्मान----- मम्मी तो बहुत प्यार करती हैं हम दोनों से, लेकिन पापा डिसिप्लिंड थे। आई थिंक पापा ने बैलेंस जिंदगी मेंटेन रखा। हम लोगों के कमरे में एसी नहीं था। कहते थे आपको एसी नहीं मिलेगा आपको कूलर मिलेगा। ऐसा नहीं थी अफोर्ड नहीं कर सकते थे। साइकिल से स्कूल जाते थे हम लोग। पापा कहते थे, स्कूल बस से जाओ या लोकल बस से जाओ या साइकिल से जाओ, लेकिन मैं नहीं जाउंगा ड्राप करने। जितने अमीर घर के बच्चे होते थे उन्हें छोड़ने गाड़ियां आती थीं। हमारे घर में गाड़ी थी और ड्राइवर भी था फिर भी नहीं छोड़ने जाते थे। तो ये पापा का एक तरीका था।

नीलेश मिसरा--- तो उसने आपको तैयार किया लाइन में लगने के लिए।

नीलेश मिसरा---------अपने स्ट्रगल के बारे में कुछ बताएं।

आयुष्मान------अगर आप स्ट्रगल समझें तो आप सक्सेस को भी स्ट्रगल मान सकते हैं। इट्स जस्ट योर स्टेट्स ऑफ माइंड। जब हम सब कॉलेज के लड़के थिएटर करने जाते थे लोकल बस, लोकल ट्रेन से ट्रेवेल किया करते थे। स्लीपिंग बैग्स लेकर जाते थे। कभी-कभी प्लेटफार्म पर सो जाते थे। तो वो आदत डली हुई थी। अपनी तरह से लोग इसे स्ट्रगल बोलेंगे, कोई और इसे ग्लोरिफाई करके स्ट्रगल की कहानी बता सकता है कि मैं अपने दोस्त के साथ एक कमरे में रह रहा हूं। एक छोटे कमरे में तीन लड़के रह रहे हैं। उनके लिए वह स्ट्रगल है। मेरे लिए वो स्ट्रगल नहीं था। मैं उसको बहुत ही रोमेंटीसाइज्ड करता था उस टाइप पे भी। कितना मजा आ रहा है मैं मेडिकल कॉलेज में बैठा हूं। कभी-कभी लैब कोट पहनकर कॉलेज में एंटर या एक्जिट करता था ताकी लोग समझे मैं भी स्टूडेंट हूं। मै शक्ल से डॉक्टर लगता था। मेरी बॉडी भी ऐसी नहीं थी कि मैं स्ट्रगलर लगूं जैसा लोखंडेलवाला में लगता है कि, ये एक्टर बनता चाहता है। मुझे देखकर ऐसा कुछ लगता ही नहीं था। मैं जैसे लोगों से बात करता था तो उन्हें लगता था कि ये शायद जर्नलिज्म का स्टूडेंट है या शायद मेडिकल स्टूडेंट हो सकता है।

ये भी पढ़ें: झूठ बोलना पड़ता है, क्योंकि सच की गुंजाइश ही नहीं है - नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी

आयुष्मान----

दिल का भंवर करे पुकार

प्यार का राग सुनो, प्यार का राग सुनो रे

फूल तुम गुलाब का

क्या ख्याल आपका

ये अदा है या बहार है

आज दिल की बेकही, आ गई ज़बान पर

बात ये है तुमसे प्यार है

दिल तुम्हीं को दिया रे

प्यार का राग सुनो रे

दिल का भंवर करे पुकार

प्यार का राग सुनो, प्यार का राग सुनो रे

आयुष्मान----- अगला गाना कौन सा था ?

एक मैं और एक तू

दोनों मिले इस तरह

और जो तन मन में हो रहा है

ये तो होना ही था

----------------------------

जाना ओ मेरी जाना

मैं हूँ तेरे ख्वाबों का राजा

अरे लैला ओ मेरी लैला

आजा मेरी बाहों में आजा

---------------------------------------

ये दिल ना होता बेचारा

कदम न होते आवारा

जो खूबसूरत कोई अपना हमसफर होता

ओ ओ ओ ये दिल न होता बेचारा

कदम न होते आवारा

जो खूबसूरत कोई अपना हमसफर होता

माना उसको नहीं मैं पहचानता

बंदा उसका पता भी नहीं जानता

माना उसको नहीं मैं पहचानता

बंदा उसका पता भी नहीं जानता

मिलना लिखा है तो आयेगा

खड़े हैं हम भी राहों में

ये दिल ना होता बेचारा

कदम न होते आवारा

जो खूबसूरत कोई अपना हमसफर होता

नीलेश मिसरा---मुंबई शहर अपने आपको थर्ड पर्सन में रीफर करना सिखा देता है कई बार। रिश्ते असली नहीं रह जाते हैं। मैं आपको थोड़ा ही जानता हूं, बट आई सीयू एैज वेरी रियल, स्टिल।

आयुष्मान---- मेरा भी दिमाग खराब हुआ था, एक रिएलिटी शो था पॉप स्टार्स। आई वाज सेवंटिन दैट टाइम। चंडीगढ़ से मैं इकलौता था जिसका उस शो के लिए सलेक्शन हुआ था। ये साल 2002 की बात है। फर्स्ट टाइम आई हैव गॉटेन स्टार्टेड गेटिंग अटैंशन फ्रॉम गर्ल्स अ पार्ट फ्रॉम माई गर्लफ्रेंड। तब मेरा दिमाग खराब हो गया था। मुझे लगने लगा था कि मैं स्टार हूं चंडीगढ़ का। उस समय कॉलेज में था। ब्रेकअप कर लिया था। मैं उस दौर से भी गुजरा हूं जब लोग कहते हैं, इसका दिमाग खराब हो गया है। वो उम्र ही ऐसी थी। दिमाग आप का 70 की उम्र में भी हो सकता है। जब आपको अचानक से सब कुछ मिल जाता है। उसकी कोई उम्र नहीं है। आपका पचास,साठ, सत्तर आपका दिमाग कभी भी खराब हो सकता है। लेकिन जितना जल्दी हो जाए आप उससे लड़खड़ा के वापस जाएं उतना अच्छा रहता है। जब वो रिएलिटी शो खत्म हो गया। एक दो साल बीत गए। सब भूल गए। सब बैक टू नॉर्मल हो गया। करना तो मुझे वही पड़ता था न। अभी भी याद है मुझे बिजली का बिल जमा कराने जा रहा हूं, कॉलेज में हूं। सब बोलते थे, वो जो टीवी पर आता था वो बिजली का बिल जमा करा रहा है। जैसे रोडीज के बाद आप अंडे लेने जा रहे हो और लोग कह रहे, वो देखो रोडीज अंडे लेने जा रहा है।(हंसते हुए)

ये चीजें आपके दिमाग में है कि आप फेमस हो चुके हो, क्योंकि अपने जेहन में आप सेलीब्रेटी हैं। लेकिन हम अक्सर फेम को सक्सेस के साथ जोड़ देते हैं वो होता नहीं है। हर इंसान सोचता है कि अगर मैं फेमस हूं तो मैं सक्सेसफुल हूं। फेमस इज बाय प्रोडक्ट आफ सक्सेस। आप सक्सेसफुल हो गए हैं तो चलिए आप फेमस हो जाते हैं। आज कल फेम मिलना आसान हो जाता है, लेकिन सक्सेस मिलना मुश्किल होता है।

ये भी पढ़ें: सफलता मिलती थी, पर खुशी कभी नहीं मिलती थी - अमिष त्रिपाठी

नीलेश मिसरा---वाह वाह... बहुत खूबसूरत बात कही आपने। इससे पहले भी आपने जो बात कही थी, अबाउट स्ट्रगल कि हम उसकी कहानी भी बना सकते हैं और उसको जिंदगी का एक पड़ाव भी समझ सकते हैं। वंडरफुल, ह्यूजली इंप्रेस्ड कि आप में एक ठहराव है, एक गहराई है।

नीलेश मिसरा----अपनी पत्नी के बारे में बताइए।

आयुष्मान-------वैसा इंसान मैंने आज तक नहीं देखा न मिला हूं। शी इज सूपर ह्यूमन बीइंग मोर दैन ऐनी थिंग्स एल्स। जिस तरह से वो इन्वाल्व हुई हैं अपनी जिंदगी में वो कमाल है। हम दोनों बहुत इन्वाल्व हुए हैं अपने रिलेशनशिप में। जब हमारी शादी हुई थी तो हम इम्योच्योर थे। उस समय हम लोग करीब 24-25 साल के थे। वो मुझसे एक साल बड़ी हैं।

नीलेश मिसरा-----शादी चंडीगढ़ में ही हो गई थी ?

आयुष्मान खुराना----- चंडीगढ़ में ही, तब मैं मुंबई आ चुका था। फिजिक्स क्लास से वी आर डेटिंग। वी हैड लॉग डिस्टेंस रिलेशनशिप। कभी-कभी लगता है अभी भी लॉग डिस्टेंस है, क्योंकि साल में छह महीने काम के चक्कर में घर से बाहर ही रहता हूं। शायद वही एक रीजन है कि हम वी स्टील ग्रोइंग स्ट्रांग क्योंकि आप में एक लॉगिंग रहती है। स्पेस जब नहीं मिलती है प्रॉब्लम तब शुरू होती है। वेन वी स्टार्टेड डेटिंग शी वाज ए डिफ्रेंट पर्शन एंड आई वाज अ डिफ्रेंट पर्सन। मैं एक बहुत ही टिपिकल मेल शोवनिस्ट था उस टाइम। मुझे इंसान उसने बनाया। पहले मैं उनको जो दर्जा देता हूं उन्होंने सिखाया है मुझे कि एक औरत को कैसे ट्रीट किया जाता है। मुझे कुछ नहीं पता था। आई वाज टू रॉ। आई थिंक आई हैव बिकम जेंटलमैन बिकॉज ऑफ हर। विमेन गेट अट्रैक्ट टू मी नाउ बिकॉज आफ हर। उन्होंने तो सिखाया है सब कुछ मुझे। मुझे कुछ भी नहीं पता था। एक वक्त ऐसा था जब मैं बोलता था कि यार, मुझे अंग्रेजी सीखनी है। मुझे सिखाओ कुछ। तो वो कहती थीं, ठीक है आगे से हम इंग्लिश में बात करेंगे। हमारे बीच में सिर्फ अंग्रेजी में बात होगी। तो हमेशा मैं अटक जाता था। (जोर से हंसते हुए)

वो मेरी पहली गर्लफ्रेंड थी इसलिए मेरा मजाक उड़ाती थीं। यू डोंट नो इंग्लिश, यू स्टडी सेंट जॉन। योर इंग्लिश इज सो बैड। वो मुझे जज करती थीं। और यहां पर मुझे ऐसी इंसान मिलीं जो मेरे साथ मेरी उंगली पकड़कर मेरे साथ चल रही है। जो खुद मुझे ग्रो करने का एहसास है। इस तरह से हमारी जर्नी बहुत ही अलग रही है। शी वाज टू वेरी वलरेबल एैज ए पर्सन। शी हैड अ वोन इनसिक्योरिटी बीइंग ए एक्टर्स वाइफ।

नीलेश मिसरा----जेलसी ?

आयुष्मान खुराना----- जेलसी यार, कछ भी सडेनली यू नो आईएम टेक्निकली हर फर्स्ट ब्यायफ्रेंड। और जब आप उनको देखते हैं कि आप सडेनली स्टार्टेड गेटिंग लॉट्स ऑफ फीमेल अटेंशन और आपके लिए वक्त नहीं है और दुनिया के लिए वक्त है। विकी डोनर के बाद ऐसा हो गया था ऐंड आई रिसेंटली बिकम अ फादर दैट टाइम। और तभी सब मुझे अटेंशन मिलने लग गई। वी गोइंग थ्रू वेरी बैड फेज दैट टाइम। शी शिफ्टेड बैक टू चंडीगढ़, वी आर नॉट स्टेइंग टुगेदर दैट टाइम। बाद में हम लोगों को समझ में आ गया कि वी आर सोलमेट। ऐसा नहीं है कि मेरी इंट्रैक्शन नहीं हुई लड़कियों से इस रिलेशनशिप में आने के बाद, लेकिन उनके जैसा कोई मिला ही नहीं। सो आई थिंक इट्स सच ब्यूटीफुल रिलेशनशिप। दोस्ती ही आपको आगे लेकर जाती है। आखिरकार आपकी कैंपेनशिप है जो आपके अट्रैक्शन से बढ़कर है। जो एक इंडिविजुअल नहीं आप दोनों की जर्नी है। आफ्टर किड्स इट्स डिफ्रेंट वॉल गेम टुगेदर। तो आप उनके लिए भी जीते हैं और अपना अक्स उनमें देखते हैं। विच इज सो ब्यूटीफुल, सो फैशनेटेड एंड आईएम ग्लेड बिकेम ए यंग पैरेंट्स। क्योंकि आपके इमोशनल होराइजन खुल जाते हैं, आपकी एम्पथी बढ़ जाती है लोगों के लिए। मुझे याद है मैं जब बाप बनने वाला था उस मेरे कई दोस्तों की शादी नहीं हुई थी। मैं 27 साल का था जब मैं पिता बन गया। एक्टर में तो तब कोई शादी भी नहीं करता है। सो...मैंने अपने पापा से पूछा था, पापा मेरा कोई दोस्त नहीं जो पिता हो, जिससे मैं पूछूं की कैसा लगता है। मेरे पापा खुद 32 या 33 की उम्र में बाप बने थे, उनकी शादी तीस की उम्र में हुई होगी, मैंने 24 में कर ली थी।

नीलेश मिसरा--- कई चीजों के मायने बदल जाते हैं।

आयुष्मान खुराना----बिल्कुल बदल जाते हैं।

नीलेश मिसरा--- कैसी दुनिया में बड़ा हो रहा है मेरा बच्चा। सडेनली क्लाइमेट चेंज बहुत रेलिवेंट लगने लगता है। व्हाट इस दिस वॉल दैट माई डॉटर इज गोइंग अप इन व्हाट विल दी ऐश शी ब्रीथ, यू नो वी दैट विल मोर कॉफ्लिक्ट वी विल हैव नो वॉटर। पहले प्लेंस में सफर के दौरान बच्चे रो रहे होते थे तो इरिटेटिंग लगता था। अब मैं रुकता हूं और कह देता हूं, टेकऑफ के टाइम इसे कुछ पिला दीजिएगा। रुक कर मदर्स को ऐसा बोलता हूं मैं।

आयुष्मान खुराना---- मेरे साथ भी ऐसा ही होता था। पहले किसी शूट के लिए जाता था और रास्ते में कोई बच्चा रोने लगता था तो सिर घुमाकर अजीब सी शक्ले बनाने लगता था। मैं अपनी सीट बदल देना चाहता था। ऐसा हुआ है पहले, अचानक योर प्रॉस्पेक्टिव चेंजेज। अब ऐसा होता है तो अपना मोबाइल खोलते हैं और कोई गेम है तो उसे खोलकर उस बच्चे को पकड़ा देते हैं। बच्चे देखते हैं और चुप हो जाते हैं। ऐसी चीजें आपको सीखने को मिल जाती हैं। (हंसते हुए)

बच्चे के नजरिये से जो आप दुनिया देखते हैं न वो एैज एन आर्टिस्ट वो आपको बहुत कम आती है। आपके अंदर का बच्चा जब तक जिंदा है तब तक आप आगे पनपते रहते हैं, खुश रहते हैं। सो... अच्छा ही हुआ है जो हुआ है।

नीलेश मिसरा--- माई डॉटर जब तीन साल की थी तब एक दिन मैं रिकॉर्डिंग कर रहा था, दरवाजा खोल के एकदम स्कूल बुली की तरह से चलते हुए आई और बोली, मुझे भी रिकॉर्डिंग करनी है। मैंने कहा, आइए। उनको पता है कि लाल लाल जो चल रहा होगा तो तब वो वर्क कर रहा है। यू कान्ट फूल हर। शी सेड, मैं स्टोरी सुनाउंगी। उसने कहा, मेरा नाम है वैदेही मिसरा। एक कहानी सुनाई मंकी की, जिसको अपनी अम्मा से ड्रेस चाहिए थी और उसको कहीं जाना था। द स्टोरी हैड अ बिगिनिंग मिडिल एंड एंड। दैट्स वाज रिएली अमेज्ड मी।

आयुष्मान खुराना---मतलब वो जीन में है।

नीलेश मिसरा----एंड में उसने वो लाइन बोली जो मैं कहानी के एंड में बोलता हूं। बस इतनी सी थी ये कहानी। एंड आईएम थिंकिंग, ये इसने कहां से सुन लिया, शायद रेडियो पर सुना हो। इसके बाद मैंने उस रिकॉर्डिंग को साउंड इंजीनियर के पास भेजा। मैंने कहा, भाई कुछ कर दे इसका। ही एडिटेड, आई पुट आउट ऑन माई यूट्यूब चैनल एंड यू नो पीपुल्स स्टार्ट लिसनिंग एंड एडल्ट्स ऑल्सो। एंड सेड कि दिस बेस्ट थिंग दैट आई हैव हियर टुडे टू डिस्ट्रेस माईसेल्फ एंड ऑफकोर्स किड्स। सो दैन आई हैव स्टार्टेड लॉचिंग अदर चिल्ड्रेन स्टोरी टेलर्स टू ड्रा देम अवे फ्रॉम यू नो निगेटिव कॉटेंट ऑन फोन एंड टीवी सो अबाउट 15-16 लॉच। एंड इट विल सून बिकम अ रेडियो शो व्हाट यू सेइंग व्हेन यू स्टार्ट सिंगल वर्ड थ्रू टू चिल्ड्रेनाइज्ड, बिकॉज जो ऊंची मेज है वो उनके लिए तो बनाई नहीं गई थी। अगर उनकी हाइट से देखें आप वो ऊंची मेज, वो ऊँचे दरवाजे, यू नो वो बड़ी-बड़ी आलमारियां जो हमने अपने हिसाब से बनाई और उनकी प्वाइंट ऑफ व्यू को शायद नहीं समझ पाएं।

नीलेश मिसरा----टेल मी अबाउट योर किड्स।

आयुष्मान खुराना---- विराज वीर एंड वरुष्का।

नीलेश मिसरा---हाउ ओल्डर दे ?

आयुष्मान खुराना---- सेवेन एंड फाइव। एक बहुत ही अजीब सी चीज हुई थी। ही वाज प्लेइंग इन प्ले एरिया, माई सन एंड सब लोग कहते हैं यू लुक लाइक योर फादर, यू लुक लाइक आयुष्मान। एक तो उसे बहुत खुंदक आती है कि ये लोग मेरे बाप को आयुष्मान के नाम से क्यों बोलते हैं। भइया, अंकल या सर क्यों नहीं बोलते, मतलब छोटे बच्चे भी। लोग उससे पूछते हैं, तू आयुष्मान को बेटा है न ? मैंने अपने बेटे से पूछा, तुम्हें अच्छा नहीं लगता कि लोग तुम्हें कहते हैं तुम मेरे बेटे। उसने कहा, नो आई डोन्ट बी लाइक यू। मैं ये बिल्कुल भी नहीं चाहता, बल्कि मैं तो यह चाहता हूं कि लोग मुझे मेरे नाम से जानें, मेरी खुद की अपनी एक पहचान हो।

घर पर प्यानो आया था फॉर अंधाधुन के लिए मैं अपने लेशन लेता था, मुझे तो जितना फिल्म में जरुरत था किर लिया बट ही लर्न प्यानो। पूरे बुक्स हैं उसके पास। ही जस्ट प्ले हिज ओन ट्यून। ही इज वेरी फैशनेटिंग। इट्स ब्युटिफूल आई थिंक। एंड बेस्ट पार्ट इज आई हैव द एनर्जी टू जस्ट वी विद देम एंड यू नो स्टेंड टाइम विद देम, प्ले अराउंड विद देम।

नीलेश मिसर--- एंड योर डॉटर वरुष्का?

आयुष्मान खुराना---- दोनों बहुत अलग हैं। दोनों की शक्लें भी नहीं मिलतीं। विच इज ग्रेट। मैं चाहता था दोनों अलग हों और अच्छी बात है एक लड़का और एक लड़की है। शी इज क्वाइट डीवा आई थिंक। यू नो शी इस प्रिंसेज। मैं तो उसे कुछ बोलता भी नहीं हूं। लड़के को तो कुछ बोल भी देता हूं बट डॉटर ही जस्ट डिफ्रेंट, डिफ्रेंट कॉर्नर इन योर हार्ट। सो डॉटर इज वेरी स्पेशल। ये बेटे को नहीं दिखा सकता, क्योंकि वो मार देगा मुझे। (हंसते हुए)

आई थिंक विमेन आर मोर अटैच्ड, दे हैव मोर इवोशन, इक्विलेश बेटर दैन आर। थैंक गॉड आई हैव इन माई लाइफ। बेटा तो डिटैच्ड होकर निकल जाएगा, लेकिन बेटी कहीं नहीं जाएगी मुझे ऐसा लगता है। यू सडेनली बिकम सेल्फलेश आफ्टर बिकम योर पैरेंट्स। ऐसा होता है।

नीलेश मिसरा----- बिल्कुल... जब तक मैं पैरेंट नहीं बना था मैं यह सोच भी नहीं सकता था।

आयुष्मान खुराना----- मैं बहुत डिटैच्ड हूं यू नो एज ए पर्सन। फिल्मों को भी लेकर जैसे, आज अभी एक फिल्म शूट की दूसरी फिल्म में वो कैरेक्टर चला गया दिमाग से। तो वैसे बहुत डिटैच्ड हूं। आई जस्ट बिकम अटैच्ड आफ्टर बिकमिंग पेरेंट। जब मैं सिंगल था या सिर्फ मैरिड था अपने काम में इतना व्यस्त था कि महीना निकल जाता था बात नहीं होती थी। अब हर दो दिन बाद बात होती है। दैट्स डिफरेंट् दैन यू रिअलाइज दैट हाउ मच योर पेरेंट्स लव यू। आपको रिअलाइज नहीं होता है कि आपके मां-बाप आपसे कितना प्यार करते हैं। सो दीज आर चेंजेज आई हैव फेल्ट।

नीलेश मिसरा----एंड योर वाइफ हैज हेल्थ इश्यू ? इट इज वेरी इंस्पायरिंग ?

आयुष्मान खुराना---- इट्स वेरी इंस्पायरिंग...हंसते खेलते उसने कैंसर से लड़ लिया विच इज अनबीलिबेबल किसी और के बस की बात नहीं थी। आईएम गोइंग थ्रू करिअर हाई एंड पर्सनली शी इज सफरिंग, विच जस्ट शोज दैट एव्री लाइफ हैज अ वोइड। वो वोइड आपको हमेशा लेकर चलना है। कोई भी जिंदगी फरफेक्ट नहीं होती। इंपरफेक्शन के साथ खुश रहना होता है। अगर कोई फरफेक्ट हो जाए तो जिंदगी नहीं रहेगी।

आयुष्मान खुराना----

तेरे बिन सांस न ले मेरे दिन रात

खाली खाली लगते हैं लकीरों वाले हाथ

साथ मेरे चलते चलते…हे…

साथ मेरे चलते चलते रस्ते न मोडीं

नैन न जोड़ीं कित्ते नैन न जोड़ीं

नैन न जोड़ीं कित्ते नैन न जोड़ीं

तेन्नु वास्ता खुदा दा.. हाय ..

वास्ता खुदा दा मेरा दिल न तोड़ीं

नैन न जोड़ीं कित्ते नैन न जोड़ीं

नैन न जोड़ीं कित्ते….. नैन न जोड़ीं

नीलेश मिसरा---अपनी मम्मी के बारे में बताइए।

आयुष्मान खुराना----- वैसे मम्मी का नाम पूनम खुराना है पर असली में उनका नाम ललिता अलवादी है एंड शी वाज बॉर्न इन बर्मा अनटिल शी वाज इन ऐट्थ आर टेंथ स्टैंडर्ड शी वाज इन मांडले इन बर्मा।

नीलेश मिसर--- शी इज बर्मीज ?

आयुष्मान खुराना----शी इज हॉफ बर्मीज। मम्मी बर्मीज फ्लूएंटली बोलती हैं और हिंदी मेरी हिंदी शायद इसलिए अच्छी है क्योंकि वे एमए हिंदी हैं।

नीलेश मिसरा---- नाइस...एंड शी इज पैंपर्ड यू ?

आयुष्मान खुराना---शी इज रिएली पैंपर्ड बोथ ऑफ अस मी एंड माई ब्रदर। कभी ज्यादा डांटा नहीं, कभी कुछ कहा नहीं। शी इज दी मोस्ट सिंपल पर्शन आई हैव नोन इन माई लाइफ। उनको फर्क नहीं पड़ता कि उनको किसी लग्जरी कार में ले जाओ या रिक्शे में ले जाओ, �

   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.