छत पर सब्जियाँ, कमरों में मशरूम, आप भी घर बैठे कर सकते हैं कमाई

जब आसिया ने छत पर खेती शुरू की तो सभी ने उनका मजाक उड़ाया कि क्या कर लेंगी, लेकिन जो लोग उन्हें ताना मारते थे, अब वही लोग रोज़ाना उनसे मशरूम और सब्जियाँ खरीदने आते हैं। तभी तो घर बैठे 30-40 हज़ार रुपए महीने का कमा रहीं हैं।
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खेती करना चाहते हैं लेकिन ज़मीन नहीं है? शहर में रहते हैं तो खेत कहा मिलेगा? ऐसे कई सवाल हैं जो आपके मन में आते होंगे। लेकिन हम अगर आपसे कहें कि ऐसा शहर में भी मुमकिन वो भी बिना खेत के तो शायद यकीन करना मुश्किल हो। लेकिन ये सच है।

उत्तरी कश्मीर में आसिया बेगम अपनी छत पर दर्जनों तरह की सब्जियों और कमरों में मशरूम की खेती कर रही हैं। बांदीपुरा जिले के एक छोटे से गाँव लंकृषि पुरा में आसिया का ये काम आज दूसरों के लिए मिसाल है ।

उनका ये गाँव जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर से करीब 60 किलोमीटर दूर एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मीठे पानी की झील वुलर के किनारे पर है।

32 साल की आसिया गाँव कनेक्शन से बताती हैं, “मैं पिछले तीन सालों से मशरूम की खेती कर रही हूँ; मशरूम की खेती के बाद जो खाद बचती है, उसे मैं बाहर नहीं फेंकती हूँ बल्कि इसका इस्तेमाल सब्जी की खेती में करती हूँ।”

वो आगे कहती हैं, “अब मेरे पास खेत तो था नहीं इसलिए मैंने छत पर सब्जियों की खेती करने के बारे में सोचा, बस वहीं से इसकी शुरुआत हुई, जो लोग मुझे ताना मारते थे, अब वे रोज़ाना मुझसे मशरूम और ताज़ा सब्जियाँ खरीदने आते हैं।”

आज आसिया अपनी छत पर टमाटर, मिर्च, बीन्स, आलू, मक्का जैसी फसलें उगाती हैं, इन्हें बेचने के लिए उन्हें बाहर नहीं जाना पड़ता है। खरीददार घर से सब्जियाँ खरीद लेते हैं। आज मशरूम और सब्जियों की खेती से महीने 30 से 40 हज़ार रुपए महीने कमा लेती हैं।

उन्होंने आगे कहा, “मैंने अपने घर की छत पर औषधीय पौधे भी उगाना शुरू कर दिया है; मुझे इसके बारे में बहुत कम जानकारी है, जो मेरे पिता मुझे बताया करते थे, लेकिन इसकी खेती करके मैं उन लोगों की मदद करना चाहती हूँ, जिन्हें इसकी ज़रूरत है, क्योंकि इसके कई फ़ायदे हैं और ये कई बीमारियों की दवा हैं।”

भविष्य में आसिया केसर की खेती करना चाहती हैं। आसिया के इस प्रयास में कृषि विभाग ने काफी मदद की है, उन्हें वहीं से प्रशिक्षण मिला और अपने घर में मशरूम की खेती को ट्रायल बेसिस पर शुरू किया।

आसिया कहती हैं, “तीन महीने में मशरूम तैयार हो जाते हैं; पहले दिनों में मुझे हर दिन पैकेट पर पानी डालना पड़ता है, लेकिन बीज उगने के बाद मुझे सिर्फ़ कमरे के तापमान पर नज़र रखनी होती है।।”

आसिया हर महीने स्ट्रीट वेंडर्स और अपने पड़ोसियों को करीब 70-80 किलो मशरूम बेचती हैं। सर्दियों में कमरे का तापमान बनाए रखने के लिए हीटिंग गैजेट का इस्तेमाल करते हैं, जिसे आमतौर पर लगभग 20 डिग्री सेल्सियस पर रखना होता है।

कश्मीर के युवाओं को संदेश देते हुए आसिया कहती हैं, “मैंने केवल 9वीं कक्षा तक पढ़ाई की है, आज के समय में बहुत से बेरोजगार युवा हैं, मेरा उन्हें संदेश है कि वे भी इस तरह की खेती या दूसरी खेती करके गर्व से अपनी आजीविका कमा सकते हैं।”

“कश्मीर में लाखों युवा नशे की लत में हैं, अगर माता-पिता उनका समर्थन कर सकते हैं तो खेती ही वह तरीका है जो उन्हें आजीविका कमाने और नशे की लत से बाहर आने में मदद कर सकता है, “आसिया ने आगे कहा।

आसिया के इस प्रयास में उनके पिता हमेशा उनके साथ खड़े रहे। उनके पिता मोहम्मद अकबर गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “हमारे पास इतनी ज़मीन नहीं है कि हम सब्ज़ियाँ उगा सकें। कृषि विभाग से सीखने के बाद, आसिया ने घर के अंदर मशरूम की खेती शुरू की।”

वो आगे कहते हैं, “जैसे मैं अपनी बेटी का समर्थन कर रहा हूँ, वैसे ही दूसरे माता-पिता को भी अपनी बेटियों का समर्थन चाहिए, जिससे वो आगे बढ़ सकें।

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