गंगा चंदेल कभी एक स्कूल में सफाईकर्मी का काम किया करती थीं, पढ़े-लिखे न होने के कारण वो काम करती थी, क्योंकि उन्हें अपने दो बच्चों और ऑटो रिक्शा चलाने वाले अपने पति की मदद करनी थी।
लेकिन मध्य प्रदेश के इंदौर में रहने वाली 35 साल की गंगा आज इलेक्ट्रिशियन का काम कर रहीं हैं और अब बिजली के काम से हर महीने आठ हज़ार रुपए आसानी से कमा लेती हैं।
गंगा चंदेल गाँव कनेक्शन से बताती हैं, “मेरे बेटे को मुझ पर गर्व है। वह मेरे पास आया और उसने मुझे बताया कि वो अब वो सबसे बताता है कि उसकी माँ इलेक्ट्रिशियन है।”
उन्होंने कहा, इंदौर के मूसाखेड़ी में 2010 में स्थापित समान सोशल डेवलपमेंट सोसाइटी है, जिसकी मदद से उन्होंने यह काम सीखा है।
गैर-लाभकारी संस्था महिलाओं को सामाजिक रूप से सशक्त बना रही है। समान हिंसा की शिकार महिलाओं को कानूनी सलाह भी देती हैं और उन्हें ड्राइवर, मैकेनिक और अब इलेक्ट्रिशियन बनने की ट्रेनिंग दे रही है।
गंगा ने मई 2023 में समान सोसाइटी में एक ट्रेनिंग वर्कशॉप में शामिल हुई थी।
“हमने महिलाओं को इलेक्ट्रीशियन बनने के लिए ट्रेनिंग देने की शुरुआत की है। हमने अक्टूबर, 2022 में उनका तकनीकी प्रशिक्षण शुरू किया। ये ट्रेनिंग तीन से पाँच महीने की होती है। अब तक हमने 20 महिलाओं को इलेक्ट्रीशियन बनने के लिए प्रशिक्षित किया है, ”समान सोसाइटी के फाउंडर और डायरेक्टर राजेंद्र बंधु ने गाँव कनेक्शन को बताया।
“महिलाओं को ट्रेनिंग देना किसी चुनौती से कम नहीं। हमने बताया कि ट्रेनिंग किस बारे में थी और यह उनके लिए कैसे मददगार हो सकता है। हमने उनके परिवारों को आश्वासन दिया कि ट्रेनिंग सेंटर महिलाओं के लिए काम करने के लिए एक सुरक्षित वातावरण है, ”बंधु ने कहा।
कई महिलाओं के लिए ट्रेनिंग एक बेहतर ज़रिया बन रही है। इससे उनमें आशा जगी है कि वे अपनी ज़िंदगी में कुछ कर सकती हैं।
जैसा कि इंदौर की 27 वर्षीय रीना कनारे के साथ हुआ। रीना शादीशुदा थी लेकिन अब वह अपने पति से अलग हो चुकी हैं और अपने माता-पिता के साथ रहती है। “मैंने केवल 10वीं तक ही पढ़ाई की है। अलग होने के बाद मैं हमेशा चिंतित और तनाव में रहती थी। लेकिन जब समान सोसाइटी में काम करने वाले एक दोस्त ने मुझे इसके काम के बारे में बताया, तो मैंने ट्रेनिंग लेने का फैसला किया। आज मैं एक इलेक्ट्रीशियन हूँ,” कनारे ने गाँव कनेक्शन को बताया।
समान सोसाइटी की महिला इलेक्ट्रीशियनों को नई निर्माण परियोजनाओं पर भेजा जाता है। बंधु ने बताया, “अगर उन्हें 1,000 वर्ग फुट के घर में तार लगाने के लिए भेजा जाता है तो उन्हें इसके लिए 50,000 रुपये का भुगतान किया जाता है और वह राशि उन चारों या पाँच लोगों के बीच साझा की जाती है।”
“जब मैंने पहली बार इलेक्ट्रीशियन के रूप में काम करना शुरू किया तो मुझे लोग शक की नज़र से देखते थे। वो भरोसा नहीं कर पा रहे थे कि ‘महिलाएँ वह काम कैसे कर सकती हैं जो पुरुष करते हैं। ” प्रीति वर्मा ने हँसते हुए कहा।
प्रीति वर्मा के पास बी.एड की डिग्री है, लेकिन समान सोसाइटी में उनका तीन महीने का प्रशिक्षण उनके लिए वरदान साबित हो रहा है। यहीं पर उन्होंने इलेक्ट्रीशियन का काम सीखा और रोजगार भी पाया।
चालीस वर्षीय प्रीति मई 2023 से वहाँ काम कर रही हैं। उन्हें घरों में बिजली का काम करने और नए निर्माणों में बिजली के तारों पर काम करने के लिए भेजा जाता है। वह अन्य प्रशिक्षित महिला इलेक्ट्रीशियनों के साथ दूसरों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाओं में भी भाग लेती हैं।
वर्मा ने कहा, “वास्तव में, एक महिला इलेक्ट्रीशियन का विचार कई महिलाओं के लिए स्वागत योग्य है, जो मुझे बताती हैं कि एक महिला इलेक्ट्रीशियन को अपने बिजली के सामान को ठीक करने के लिए घर आते देखकर उन्हें हमेशा खुशी होती है।”
वर्मा ने कहा, “मैं अपने जीवन में कुछ ख़ास नहीं कर रही थी और इस प्रशिक्षण ने मुझे आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने के अलावा एक उद्देश्य भी दिया है।” उन्होंने कहा, “मुझे हर छोटी चीज खरीदने के लिए अपने पति से पैसे माँगने से छुट्टी मिल गई है।”
इनमें से कई महिला इलेक्ट्रीशियनों ने उस समय अपने नए करियर की शुरुआत की है जब वो घर गृहस्थी में लगी हुईं थीं। 40 की उम्र में, वे अपने आप में आ रही हैं और ये सच्चाई ये है कि इससे वो अपने घरवालों की मदद कर पा रहीं हैं।
42 वर्षीय कुसुम पैकारा ने गाँव कनेक्शन को बताया, “इस काम ने मुझे एक पहचान और आज़ादी दी है।” उनके पति राजस्थान में एक कपड़ा कंपनी में काम करते हैं।
पैकारा उज्जैन में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर रही थीं, तभी उनकी शादी इंदौर के एक परिवार में हो गई थी। समान सोसाइटी ने अब उन्हें एक पत्नी और माँ से बढ़कर कुछ बनने का अवसर दिया है, क्योंकि वह फरवरी 2023 में समान सोसाइटी में शामिल हुई और अब एक इलेक्ट्रीशियन है जो लगभग 10,000 रुपये प्रति माह कमाती हैं।
“पहले तो यह कठिन काम था। मुझे वह समय याद है जब मैंने कई बल्बों को एक साथ जोड़ा था। ” वह हँसीं। उन्होंने कहा, “मेरा सपना है कि मैं जो पैसा कमाऊं उससे मैं अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सकूँ।”
चंदेल ने पैकरा के शब्दों को दोहराया। “मेरे और मेरे पति के लिए, प्राथमिकता हमारे बच्चों को ऐसी शिक्षा देना है जो उन्हें एक नई सीख दें। हम नहीं चाहते कि उन्हें उन समस्याओं का सामना करना पड़े जो हमने अपनी ज़िदंगी में किया।”
रीना कनारे के लिए, नई शुरुआत करना और बुरी शादी को पीछे छोड़ना कठिन था। उन्होंने कहा, “लेकिन, जब मैं अपने घर से बाहर निकली तो मैंने देखा कि एक बिल्कुल नई दुनिया थी जहाँ महिलाएं अपने लक्ष्य पूरे कर रही हैं।”