कोरोना पर अमेरिका के आरोपों पर चीन ने दिया जवाब

अमेरिका की कनज़र्वेटिव पार्टी के सांसद लैरी क्लेमैन ने आरोप लगाया कि चीन ने अपने दुश्मन देशों के खिलाफ़ जैविक हथियार के तौर पर कोरोना वायरस तैयार किया था।
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190 देशों में फैल चुके कोराना वायरस की चपेट में आने से हुई मौतों का आंकड़ा 22,000 पार कर गया है। कोविड-19 का पहला मामला चीन के वुहान शहर में सामने आया था इसलिए ये माना जा रहा है कि वायरस की शुरुआत वहीं हुई। अब इसी तथ्य को आधार बनाकर अमेरिका के एक सांसद ने चीन पर दो सौ लाख डॉलर का केस दर्ज किया है। ये रकम चीन की कुल सकल घरेलू उत्पाद यानि जीडीपी से भी ज़्यादा है।

कंज़र्वेटिव पार्टी के सांसद लैरी क्लेमैन ने ‘फ्रीडम वॉच’ नाम की कानूनी मामलों की संस्था के ज़रिये चीनी सरकार पर टेक्सेज़ शहर के उत्तरी डिस्ट्रिक्ट फीडरल कोर्ट में केस दर्ज कराया है। लिखित दलील में चीन के “callous and reckless indifference and malicious acts” यानि उदासीन, लापरवाह और दुर्भावनापूर्ण रवैया कहा है। मुकदमे के मुताबिक, कोविड-19 एक बेहद खतरनाक प्रकृति का वायरस है, जिसे एक शख्स से दूसरे में फैलने के लिए ही डिज़ाइन किया गया था। बिना किसी वैक्सीन के इस वायरस को एक असरदार और विनाशकारी बायोलॉजिकल वेपन के तौर पर बड़े स्तर पर दुश्मन देशों की आबादी को खत्म करने के मकसद से तैयार किया गया। याचिकाकर्ताओं में लैरी क्लेमन की कंपनी के अलावा ‘बज़-फोटोज़’ नाम की एक कंपनी भी शामिल है जो स्पोर्ट्स फोटोग्राफी के लिए मशहूर है।

दोनों याचिकाकर्ताओं ने चीन पर कोरोना वायरस को ‘ग़ैर काननूनी जैविक हथियार’ के तौर पर इस्तेमाल करने आरोप लगाया है। उन्होने कहा, “वुहान इस्टीट्यूट ऑफ वायरॉलोजी में तैयार किया कोरोना वायरस, तय की हुई जगह और वक्त से पहले असंतुलित हो गया। चीन की मंशा इसी संभाल कर रखने और वक्त पड़ने पर अमेरिका समेत अपने सभी दुश्मन देशों के खिलाफ़ इस्तेमाल करने की थी।”

ग़ौरतलब है कि अमेरिका में अबतक कोरोना पॉज़िटिव पाए गए लोगों की संख्या 68,000 पहुंच गयी है जिसमें 1036 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें सबसे ज़्यादा मामले न्यूयार्क में सामने आए हैं जहां 33000 से ज़्यादा लोग इस खतरनाक वायरस का शिकार बने हैं और 366 लोगों की जान जा चुकी है। 23 मार्च 2020 को अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने भाषण में चीन के लिए ‘लिटल अपसेट’ यानि ‘थोड़ा नाराज़’ शब्द का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा था कि चीन ने अगर कोरोना वायरस को लेकर सही जानकारी दी होती तो इसे फैलने से रोका जा सकता था। “चीन ने न सिर्फ इस महामारी के बारे में दुनिया को देर से बताया बल्कि अमेरिकी मेडिकल एक्सपर्ट्स के चीनी दौरे को भी राष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के नाम पर नहीं होने दिया।”

चीन ने इस मामले में अमेरिका के आरोपों का जवाब भी दिया है। दुनिया में वायरस फैलाने के इल्ज़ाम का जवाब देते हुए चीनी दूतावास के प्रवक्ता जी रोंग ने ऐसी किसी भी साज़िश से इंकार किया। उन्होंने कहा, “न तो चीन ने कोरोना वायरस बनाया और न ही किसी तरह हम इसे प्रसारित करने के पीछे हैं।” उन्होंने ने कोरोना को ‘चीनी वायरस’ कहने पर भी सख्त ऐतराज़ जताते हुए कहा, “अंतर्राष्ट्रीय सुमदायों को चीन की आलोचना के बजाय महामारी पर चीन की त्वरित प्रतिक्रिया पर ध्यान देना चाहिए” 

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ज़ोहान लिजिएन ने ट्वीट करते हुए अमेरिकी सांसद के दावों पर पलटवार करते हुए खुद अमेरिका पर ही इस महामारी को फैलाना का आरोप लगाया। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि ये मुमकिन है कि अमेरिका सेना ने ही वुहान में कोरोना वायरस फैलाया हो। अमेरिका को चाहिए को वो पार्दर्शिता दिखाए और अपने आंकड़ें दुनिया के सामने रखे। अमेरिका को हमें इस पर जवाब देना चाहिए।”

अमेरिका और चीन के बीच के तनाव को दुनिया बखूबी जानती है। ऐसे में दोनों देशों के बीच ऐसे नाज़ुक में हो रहे आरोप-प्रत्यारोप हालात को और सख्त कर सकते हैं। हालांकि ये भी हकीकत है कि दुनियाभर के तमाम शोधकर्ताओं और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस के पीछे किसी भी तरह की साज़िश से इंकार किया है। उनका कहना है कि ये वायरस शुरआती तौर पर पशुओं से फैला जो बाद में इंसानों तक पहुंचा। 

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