ट्रैंच विधि: कम लागत में ज़्यादा गन्ने का उत्पादन

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ट्रैंच विधि: कम लागत में ज़्यादा गन्ने का उत्पादनगाँव कनेक्शन

लखनऊ। किसान गन्ने लगाने की पुरानी विधियों को छोड़कर अब नई तकनीक अपना रहे हैं, जिससे लागत तो कम आती ही है, साथ ही उत्पादन भी ज्यादा हो रहा है।

खीरी जिले के रमियाबेहड़ ब्लॉक के सुजईकुंडा गाँव के किसान सुभ्रत शुक्ला ने ट्रैंच विधि के साथ ही महाराष्ट्र में लगाई जाने वाली गन्ने की विधि अधसाली को अपनाया है। सुभ्रत शुक्ला (40 वर्ष) बताते हैं, “महाराष्ट्र में किसान अधसाली गन्ना लगाते हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में शरदकालीन और वसंतकालीन गन्ना लगाया जाता है, अधसाली गन्ना अट्ठारह महीने की फसल होती है, अभी उत्तर प्रदेश में इसकी शुरुआत नहीं हुई थी।”

वो आगे बताते हैं, “हमारे यहां मिट्टी बलुई है, इसलिए इसमें धान की खेती नहीं की जा सकती है, ऐसे में लागत बहुत ज्यादा आ जाती है। इसलिए मैंने सोचा कि इसमें गन्ना लगाकर देखता हूं, क्योंकि बलुई मिट्टी होने से जलभराव की भी समस्या नहीं होती है।”सुभ्रत शुक्ला ने आधा एकड़ में अधसाली विधि से गन्ना लगाया है, इसमें मार्च में लगाई गन्ने की फसल से कम सिंचाई लगती है क्योंकि गन्ने इतने बड़े हो गए हैं और छायादार भी, इससे खेत में नमीं बनी रहती है, जिससे उसमें सिंचाई कम करनी पड़ती है। 

इसके साथ ही लखीमपुर के किसान अब सिंगल बड बीज को ट्रैंच विधि से लगा रहे हैं। इस समय जिले में 75 प्रतिशत किसानों ने इस विधि को अपना लिया है। ट्रैंच विधि में पानी कम लगता है, इसमें नाली बनाकर बीज लगाए जाते हैं, जिससे सिंचाई भी कम लगती है।सिंगल बड तकनीक से गन्ने फसल लगाने से बहुत फायदे हैं, पहले जो एक एकड़ में चालीस-पचास कुंतल बीज लगते थे, सिंगल बड तकनीक से उसमें बीस कुंतल बीज ही लगता है। इसमें गन्ना उत्पादन भी ज्यादा होता है।

दिलजिन्दर सिंह (30 वर्ष) पिछले पांच साल से गन्ने की खेती कर रहे हैं, वो इस सिंगल बड और डबल बड बीज को ट्रैंच विधि से खेती करते हैं। इस बार उन्होंने पंद्रह एकड़ में गन्ना लगाया है। नकहा ब्लॉक के शीतलापुर गाँव के किसान दिलजिन्दर सिंह बताते हैं, “इस विधि से गन्ना लगाने से पहले तो बीज कम लगते हैं और गन्ने को बढ़ने के लिए जगह भी मिल जाती है। इस तकनीक से गन्ना लगाने से कितना भी गन्ना बढ़ जाए गिरते नहीं हैं, क्योंकि इसमें जड़ें गहराई तक मजबूती से पकड़ बना लेती हैं।”

वो आगे बताते हैं, “पहले हमारे यहां एक एकड़ में 300 से 350 कुंतल गन्ना उत्पादन होता था, अब नई विधि से 500 से 550 कुंतल तक गन्ना उत्पादन हो रहा है। अगर और पहले गन्ना बोते हैं तो 600 कुंतल तक गन्ना उत्पादन होता है।”उत्तर प्रदेश के उप गन्ना आयुक्त शेर बहादुर सिंह ने लखीमपुर जिले के कई किसानों के खेत में उनकी गन्ने की फसल देखी। उन्होंने कहा कि बलुई मिट्टी इस तरह का गन्ना नहीं देखा है, किसानों ने अच्छी पहल की है।किसानों की समस्या जानने के लिए पहुंचे गन्ना आयुक्त ने चौपाल लगाकर गन्ना किसानों की स्थिति जानी और लहलहाते गन्ने के खेतों का निरीक्षण भी किया।

 

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