ये अरबों-करोड़ों रुपये की बातें गांव तक पहुंचने में वक्त लगता है ...

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ये अरबों-करोड़ों रुपये की बातें गांव तक पहुंचने में वक्त लगता है ...आम बजट और किसान के मन की बात।

सरस्वती पूजा के कारण गाम में लाउड स्पीकर की आवाज़ बुलंद है। बुनिया की महक चारों तरफ़ है लेकिन इन सबके बीच रेडियो के ज़रिए वित्त मंत्री अरुण जेटली की आवाज़ सुनता रहा। मंत्री जी की भी आवाज़ बुलंद थी। लाख-करोड़-अरब की बातें सुनकर मन बसंत हुआ जा रहा था। बीच में जब जेटली जी पोलिटिकल फ़ंडिंग की बात सुना रहे थे तो लगा मानो कोई राग-बसंत का आलाप ले रहा हो! ख़ैर, मंत्री जी का उच्चारण बढ़ियां लग रहा है लेकिन जनता को बजट की रेसिपी कैसी लग रही है, ये तो साँझ तक पता चलेगा।

खेत में आलू के पत्ते अब सूख चुके हैं। गांव का इंदल मंडल पहुँचा है। रेडियो से वित्त मंत्री जी का अंग्रेज़ी बजट भाषण सुनकर इंदल कहता है, "अंग्रेज़ी में भाषण सुन रहे हैं भाईजी। आलू भी सुन रहा है देखिए न पत्ता भी सूखा गया है। वैसे अंग्रेज़ी में ख़ाली पैसे का गप्प हो रहा है न ? ई ज़रा बताइए कि जनधन खाता में कुछ पैसा गिरेगा भी ? "

“अंग्रेज़ी में भाषण सुन रहे हैं भाईजी। आलू भी सुन रहा है देखिए न पत्ता भी सूखा गया है। वैसे अंग्रेज़ी में ख़ाली पैसे का गप्प हो रहा है न ? ई ज़रा बताइए कि जनधन खाता में कुछ पैसा गिरेगा भी ? “

मन कर रहा है कि वित्त मंत्री जी तक इंदल की बातें पहुँचाऊं लेकिन क्या वे सुनेंगे हमारी बात। वैसे यह सच है कि लूटियंस की चकमक दिल्ली को इस तरह की बात कभी नहीं हज़म हुई है। महादलित बस्ती का भोला ऋषि को मोतियाबिंद की शिकायत है। 70 साल का भोला आया हुआ है। वह भी रेडियो के बग़ल में बैठ गया लेकिन उसे पता नहीं है कि मंत्रीजी क्या बोल रहे हैं। उसने कहा, "क्या बाबू, मोदी जी मन की बात कर रहे हैं का।" कि तभी सुनाई दिया जेटली साब बोले हैं, "दलितों के कल्‍याण के लिए 52,393 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। एससी/एसटी और अल्‍पसंख्‍कों का फंड बढ़ा।" मैंने बस भोला ऋषि का चेहरा देखा, वैसा ही शांत-चित्त चेहरा। भोला ने कहा कि सड़क तब बनेगा कि हम इस जीवन में पक्की सड़क न देख पाएँगे। मैं उसे कैसे बताता कि बजट के भाषण में पीएम ग्राम सड़क योजना के लिए 19 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम किया गया है। दरअसल इस तरह की घोषणाओं को गांवों तक पहुँचने में वक़्त लगता है।

देश में गिरींद्र की तरह लाखों लोगों ने रेडियो पर सुना आम बजट।

बजट जब ख़त्म हुआ तब जोगो काका आए। उन्हें बजट आदि की बातें पसंद है, लेकिन आज वे बसंत पंचमी की पूजा में ज़्यादा व्यस्त रहे। जाते वक़्त उन्होंने कहा, " सब तो ठीक है लेकिन मोदी सरकार के इस वक़ील मंत्री ने अशौच (किसी व्यक्ति की मौत का दिन) में बजट पेश कर दिया है, ई ठीक नै लगा। "

ग़ौरतलब है कि संसद में बजट पेश होने से पहले लोकसभा अध्‍यक्ष सुमित्रा महाजन ने लोकसभा में पूर्व मंत्री ई अहमद के निधन पर शोक प्रकट किया। सदन ने 2 मिनट का मौन रख उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। बजट का भाषण ख़त्म होते ही हम सरसों का खेत देखने निकल गए। मधुमक्खी और तितलियाँ मँडरा रही हैं।

(गिरीन्द्र नाथ झा, बिहार के चनका गांव में रहते हैं। पेशे से किसान और पत्रकार हैं, ये लेखक के निजी विचार हैं)

        

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