दो अच्छे लड़के मिल कर करेंगे एक अच्छा गठबंधन!

Rishi MishraRishi Mishra   4 Nov 2016 5:50 PM GMT

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दो अच्छे लड़के मिल कर करेंगे एक अच्छा गठबंधन!राहुल गांधी और अखिलेश यादव। साभार: गूगल

लखनऊ। दो अच्छे लड़के मिल कर एक अच्छा गठबंधन बना सकते हैं। हाल ही में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और सीएम अखिलेश यादव ने एक-दूसरे को अच्छा लड़का कह कर संबोधित किया था। ऐसे में महागठबंधन यूपी में भले बने या न बने, मगर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस बीच का गठबंधन प्रदेश के राजनैतिक समीकरणों को बदलने का दम रखता है। कांग्रेस के पास भले ही 22 सीटें हो, मगर उसका हर सीट पर एक तय वोट बैंक है। अगर सीटों के समायोजन के जरिये दोनों दल चुनाव लड़ें तो संख्या को काफी बढ़ा सकते हैं।

तो इस चुनाव में 35 फीसदी वोट संभव

कांग्रेस की जीती और मजूबती से लड़ने वाली सीटों पर सपा न लड़े और सपा की सीटों पर अगर कांग्रेस न लड़े तो मुस्लिम और भाजपा विरोधी वोटों का बड़ा ध्रुवीकरण रुक जाएगा। कागजों पर 2012 के विधानसभा चुनाव के वोट प्रतिशत को देखा जाए तो सपा 29.13 और कांग्रेस ने 11.65 वोट हासिल किये थे। जिसका अर्थ है कि लगभग 41 फीसदी वोट दोनों दलों के पास था। अगर इसको बहुत कम किया जाए, तब इस चुनाव में ये 35 फीसदी तक होना संभव है। ऐसे में कांग्रेस से गठबंधन सपा के लिए काफी फलदाई होगा। जिसको लेकर हाल ही में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर मिले थे। जबकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी स्पष्ट कहा है कि वे गठबंधन के लिए तैयार हैं।

कांग्रेस से ही सपा ने छीने मुस्लिम वोट

1989 से 1992 के बीच राम मंदिर आंदोलन के दौरान कांग्रेस से उप्र के मुस्लिमों का मोह भंग हुआ था। जिसके बाद में मुसलमानों ने सपा को खुला समर्थन देना शुरू कर दिया था। मुलायम सिंह यादव तब से उनके बड़े नेता बन गए थे। 2007 के लगभग जब सपा ने कल्याण सिंह को अपने दल में शामिल कर लिया था, उससे मुसलमान बुरी तरह से नाराज हुए थे। जिसका नतीजा सपा को 2007 के विधानसभा चुनाव और 2009 के लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ा था। विधानसभा में सपा का मुस्लिम वोट बसपा ले गई थी। जबकि लोकसभा में ये वोट कांग्रेस को काफी मिला था। कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 21 सीटें जीती थीं। जिसके बाद में मुलायम सिंह ने अपनी रणनीति बदली और कल्याण सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया। इसके साथ ही 2011 में उन्होंने मुसलमानों से सार्वजनिक माफी मांगी थी। मुसलमानों ने उनको माफ किया। 2012 में सपा को शानदार कामयाबी मिली।

मगर अब कांग्रेस और सपा दोनों कमजोर

अब हालात बदल रहे हैं। सरकार के विरोध और कांग्रेस की पतली हालत को देखते हुए सपा और कांग्रेस दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है। अगर दोनों दलों के बीच 50 सीटों पर भी तालमेल बन जाएगा तो उसका सीधा असर 100 सीटों पर देखने को मिलेगा। मतलब 50 सीटों पर अगर सपा न लड़े और 50 सीटों पर कांग्रेस न लड़े। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, ऐसे ही फार्मूले पर बातचीत शुरू की गई है, जिन पर बहुत जल्द ही अमल भी संभव है।

       

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