यूपी विधानसभा चुनाव में ताल ठोंकने की तैयारी में शिक्षा और खनन माफिया
गाँव कनेक्शन 8 Nov 2016 10:12 PM GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर ठेकेदार, खनन और शिक्षा माफिया के साथ ही चिटफंड कंपनी चलाने वाले चुनाव मैदान में ताल ठोंकने की तैयारी कर रहे हैं। चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे 36 प्रतिशत लोगों का आपराधिक रिकार्ड है। सर्वे में सामने आया कि समाज में अच्छी पहचान रखने वाले डाक्टर, शिक्षक और वकील की चुनाव में उतरने वालों की संख्या पिछले चुनाव से कम है। यह खुलासा किया है चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म इलेक्शन वॉच उत्तर प्रदेश की रिपोर्ट ने। साल 2017 में होने वाले उत्तर विधानसभा चुनाव के संभावित उम्मीदवारों के बैकग्राउंड का अध्ययन करके इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है।
ज्यादातर लोगों की पृष्ठभूमि बहुत उजली नहीं
इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी देते हुए एडीआर के सीईओ और मेजर जनरल रिटायर्ड अनिल वर्मा ने बताया, "तथ्यों के आधार पर इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में जहां आजादी के बाद वकीलों, शिक्षकों और अन्य दक्ष पेशेवर लोगों की बहुतायत थी, वहीं बाद के वर्षों में इनकी संख्या कम होती गई।" उन्होंने बताया कि आने वाले विधानसभा चुनाव में जो संभावित उम्मीदवार हैं, उनमें में ज्यादातर लोगों की पृष्ठभूमि बहुत उजली नहीं है।
सबसे ज्यादा ठेकेदार चुनाव लड़ने की तैयारी में
आने वाले विधानसभा चुनाव में अगर सबसे ज्यादा ठेकेदार चुनाव लड़ते हुए दिखाई दें तो चौंकिएगा नहीं। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी विधानसभा चुनाव में जो उम्मीदवार बनने की सोच रहे हैं, उसमे से 21 प्रतिशत लोग ठेकेदारी का काम करते हैं। इसके बाद जो चुनाव मैदान में उतरने की इच्छा रख रहे हैं, वे 18 प्रतिशत बिल्डर हैं। 17 प्रतिशत निजी शिक्षण संस्थान चलाने वाले शिक्षा माफिया भी विधायक बनने का ख्वाब संजोए चुनाव मैदान में आने की तैयारी में हैं। वहीं, चिटफंड कंपनियों को खोलकर दुकानदारी चलाने वाले और खनन के धंधे से जुड़े लोग भी यूपी विधानसभा में जाने की तैयारी में हैं, जिसमें 13 फीसदी खनन कारोबारी और 15 फीसदी लोग चिटफंड कंपनी चलाने वाले चुनाव लड़ने की सोच रहे हैं। एडीआर की रिपोर्ट से यह भी सामने आया है कि यह लोग बीते पांच सालों में चुनाव लड़ने का खर्च उठाने के लिए इन धंधों का सहारा लिया है।
ऐसे तैयार हुई रिपोर्ट
एडीआर की रिपोर्ट के बारे में बताते हुए यूपी इलेक्शन वॉच के संयोजक संजय सिंह ने बताया कि संभावित उम्मीदवारों के व्यवसाय और शैक्षणिक योग्यता संबंधी जानकारी प्रदेश की विभिन्न विधानसभाओं में सर्वे के जरिए जुटाई गई है। संबंधित संभावित उम्मीदवारों को प्रश्नावली के जरिए अपने बारे में तमाम जानकारी देने को भी कहा गया है। उसके बाद विस्तृत अध्ययन करके यह रिपोर्ट तैयार की गई है। एडीआर के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि यूपी विधानसभा चुनाव-2017 को लेकर उत्तर प्रदेश इलेक्शन वाच पिछले एक साल से मतदाता जागरुकता कार्यक्रम और चुनाव सुधार के लिए विभिन्न प्रयास किए हैं। इससे उत्तर प्रदेश के 60 जिलों में जिला चुनाव निगरानी समिति का गठन किया गया है। इन समितियों में सुधार के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं को जोड़ा गया है। यूपी इलेक्शन वाच की तरफ से युवा सम्मेलनों को भी आयोजन किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के 19 विधानसभाओं में 95,000 लोगों को चुनाव सुधार और मतदाता जागरुकता को विशेष अभियान से जोड़ा गया है। प्रत्येक विधानसभा में 5000 कैडर की तैयारी की गई है। प्रदेश में जहां भी बाहुबली और आपराधिक प्रवृत्ति के लोग चुनाव लड़ेंगे, वहां पर मतदाता जागरुकता अभियान चलाया जाएगा।
बुंदेलखंड के लिए चलेगा विशेष अभियान
आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में बुंलदेखंड पर एडीआर विशेष रूप से फोकस कर रहा है। मतदाताओं को जागरूक करने के लिए सोमवार को झांसी से बबीना तक 25 किलोमीटर तक पदयात्रा निकाली गई। बुंदेलखंड के युवाओं को एडीआर के माध्यम से जोड़कर उन्हें चुनाव सुधार अभियान में लगाया जा रहा है। साथ ही सिविल सोसाइटी और समाज के विभिन्न घटकों को भी साथ जोड़कर अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है।
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