बदले समीकरणों से कठिन हुई अभिषेक, बोरा और अज्जू की राह ?

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बदले समीकरणों से कठिन हुई अभिषेक, बोरा और अज्जू की राह ?भाजपा ने नीरज बोरा, सपा-कांग्रेस गठबंधन से अभिषेक मिश्रा तो बीएसपी से अज्जू हैं उम्मीदवार।

अश्वनी कुमार द्विवेदी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं, एक तरफ राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमाने को तैयार हैं वहीं निर्दलीय प्रत्याशी भी ताल ठोककर मैदान में आ गए हैं। पांच साल पहले बनी लखनऊ की एक सीट पर मुकाबला इस बार रोचक हो गया है।

चुनाव से करीब छः माह पूर्व जहाँ राजनीतिक पंडित बसपा की बढ़त के आंकड़े दे रहे थे, वहीं नोटबंदी के बाद भाजपा के ग्राफ के बढ़ने की चर्चा तेज हुई, तो सपा के पारिवारिक घमासान की चर्चा ने उत्तर प्रदेश की चुनावी चर्चा को ही पीछे छोड़ दिया। अखिलेश के पारिवारिक झगड़े से निपट कर साइकल चुनाव चिन्ह हासिल करने के साथ ही कांग्रेस के साथ गठबंधन ने उत्तर प्रदेश की चुनावी परिदृश्य एक नया मोड़ दे दिया, जिसने चुनावी गणित को इस हद तक प्रभावित कर दिया की प्रदेश के बड़े-बड़े चुनावी पंडित भी चुनाव का विश्लेषण नहीं कर पा रहे। पांच साल पहले बनी लखनऊ उत्तर विधानसभा में भी इस बार कांटे की टक्कर हैं,

वर्ष 2012 में महोना विधान सभा,लखनऊ पूर्व ,लखनऊ पश्चिम विधान सभा का हिस्सा काटकर लखनऊ उत्तर विधान सभा का निर्माण किया गया। इस चुनाव में सपा के उम्मीदवार प्रो. अभिषेक मिश्रा ने 47580 मत पाकर लखनऊ उत्तर के पहले विधायक होने का गौरव प्राप्त किया। कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. नीरज बोरा को 44644 मतों के साथ दूसरे नंबर पर जबकि भाजपा प्रत्याशी और लखनऊ के दिग्गज नेता लालजी टंडन के पुत्र आशुतोष टंडन उर्फ़ गोपाल जी 39079 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। रियल स्टेट के व्यवसाय से राजनीति में उतरे बसपा प्रत्याशी अरुण द्विवेदी को 22990 मत प्राप्त हुए थे। इस बार कई प्रत्याशियों के बदलने से मुकाबला और दिलचस्प हो गया है।

2017 में लखनऊ उत्तर विधान सभा में कांग्रेस से पाला बदलकर डॉ. नीरज बोरा भाजपा से उम्मीदवार हैं वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन उम्मीदवार के रूप में एक बार फिर से प्रो. अभिषेक मिश्र पर अखिलेश यादव ने भरोशा जताते हुए उम्मीदवार बनाया है। बसपा से अजय श्रीवास्तव उर्फ़ अज्जु किस्मत आजमा रहे हैं। तो वहीं लंबे समय से कांग्रेस,भाजपा,बसपा,सपा,की राजनीति में सक्रिय रहे उधोग व्यापार मंडल के नेता अजय त्रिपाठी उर्फ़ मुन्ना भी अपने क्षेत्रीय नेटवर्क के बल पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी समर में उतरने को तैयार हैं।

लखनऊ उत्तर सीट पर एक नजर

  1. कुल मतदाता - करीब 3 लाख साठ हजार
  2. मुस्लिम मतदाता - करीब 1 लाख पच्चीस हजार
  3. ब्राह्मण - लगभग 60 हजार
  4. ओबीसी- लगभग 50 हजार
  5. दलित- लगभग 22 हजार
  6. वैश्य- लगभग 40 हजार
  7. कायस्थ - लगभग 6 हजार
  8. अन्य- लगभग 22 हजार।

सपा-कांग्रेस गठबंधन बदल सकते हैं समीकरण

स्थानीय लोगों के मुताबिक कांग्रेस से बीजेपी में आए नीरज बोरा अभी तक दमदार प्रत्याशी के रुप में मैदान में थे लेकिन कांग्रेस और सपा के गठजोड़ से अभिषेक मिश्रा भारी नजर आ रहे हैं। क्योंकि सवा लाख मुस्लिम मतदाताओं का उन्हें जातगत समीकरण मिल सकता है।

       

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