पहले चरण का चुनाव: 73 सीटों पर बीजेपी की राह में ‘चौधरी’ बनेंगे रोड़ा ?

Rishi MishraRishi Mishra   10 Feb 2017 9:13 PM GMT

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पहले चरण का चुनाव: 73 सीटों पर बीजेपी की राह में ‘चौधरी’ बनेंगे रोड़ा ?पहले चरण का मतदान शनिवार को

मुजफ्फरनगर। बिजनौर से मुजफ्फरनगर के बीच की करीब 55 किलोमीटर की दूरी है, जो मैंने बस से तय की। बस में साथ में ही बैठे जानसठ के चौधरी हरवीर सिंह जाट हैं। कहते हैं कि, “लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ थे, मगर इस बार उनका वोट हैंडपंप पर पड़ेगा।” हैंडपंप रालोद का चुनाव चिन्ह है और इस बार पहल चरण की 73 सीटों पर छौटे चौधरी बड़े-बड़ों को टक्कर दे रहे हैं।

उत्तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा के प्रथम चरण के लिए 15 जिलों की 73 सीटों पर शनिवार को मतदान होगा। इस चरण में कुल दो करोड 59 लाख मतदाता हैं। जिसमें एक करोड 42 लाख पुरूष और एक करोड 17 लाख महिला मतदाता हैं। 11 फरवरी को जिन 73 सीटों पर वोट पड़ रहे हैं वहां जाट रुठे नजर आ रहे हैं। भाजपा के लिए वे 10 सीटें कुछ राहत वाली हैं, जहां उन्होंने जाट उम्मीदवार उतारे हैं मगर बाकी जगह पर छोटे चौधरी की गुगली भाजपा को कहीं बोल्ड तो कहीं बीट करती हुई नजर आ रही है। इन 73 सीटों पर 1513 मतदाता थर्डजेंडर हैं। 18 से 19 साल के मतदाताओं की संख्या 24 लाख से ज्यादा है। पहले चरण के लिए 14514 मतदान केन्द्र बनाये गये हैं।

पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, एटा और कासगंज जिलों में मतदान होना है। मुजफफनगर में दंगे के बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को इस बेल्ट में जबरदस्त कामयाबी मिली थी। सभी लोकसभा सीटों पर बीजेपी को जीत हासिल हुई थी। यहां तक की रालोद सुप्रीमो अजीत सिंह अपने गढ़ बागपत में हार गए थे। जबकि उनके बेटे जयंत चौधरी को मथुरा में हेमा मालिनी से हार का सामना करना पड़ा था। जया प्रदा और अमर सिंह जैसे नेता जो कि रालोद में शामिल हुए थे, उनको भी जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा था।
मगर पिछले ढाई साल में जाटों ने अपने रुख को बदला है। इन 73 सीटों पर हर सीट पर जाटों का दखल 15 से 25 फीसदी वोट का है, जो भाजपा से खिसकते हुए नजर आ रहे हैं। मुजफ्फरनगर में रहने वाले शिक्षक भीम सिंह अस्वाल बताते हैं, “हरियाणा में हुए जाट आंदोलन को लेकर भी भाजपा से इस वर्ग की नाराजगी है। वहां जाट आंदोलन के दौरान गोलियां चली थीं। इसके अलावा भी अभी सैकड़ों की संख्या में युवक जेल में हैं। इसका खामियाजा भी भाजपा भुगत रही है।”

जाटों की गुगली में फंसे भाजपा के कपिल देव

जाटों की गुगली में मुजफ्फरनगर सीट जो कि यहां की काफी प्रतिष्ठित सीट पर भाजपा के कपिल देव को फंसाती नजर आ रही है। कपिल देव विधायक हैं। करीब दस महीने पहले हुए उपचुनाव में उन्होंने सपा के गौरव स्वरूप को हराया था। गौरव स्वरूप पूर्व विधायक चितरंजन स्वरूप के बेटे हैं। चितरंजन स्वरूप की मृत्यु के बाद गौरव को सपा ने लड़ाया था। मगर बसपा और रालोद के न लड़ने का फायदा कपिल देव को हुआ था। वे जीत गए थे। मगर इस बार बसपा राकेश शर्मा और रालोद से जाट हिस्टीशीटर संजीव जीवा की पत्नी पायल चुनाव लड़ रही हैं। जीवा इस समय जेल में हैं। पायल का चुनाव अच्छा जाता बताया जा रहा है।

गांव कनेक्शऩ के प्रमुख संवाददाता ऋषि मिश्र इन दिनों पश्चिमी यूपी की कवरेज पर हैं।

           

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