यूपी चुनाव: चौथे चरण में भूखा बुंदेलखंड वोट से करेगा चोट

Ashwani NigamAshwani Nigam   20 Feb 2017 8:59 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
यूपी चुनाव: चौथे चरण में भूखा बुंदेलखंड वोट से करेगा चोटउत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड राज्य गरीबी और बदहाली के चर्चा में रहा है, चौथे चरण में यहां तदान होना है।

अश्वनी कुमार निगम

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चौथे चरण के लिए मंगलवार को चुनाव प्रचार समाप्त हो जाएगा। इस चरण में 12 जिलों की 53 सीटों पर 23 फरवरी गुरूवार को मतदान होगा। जिन जिलों में चुनाव होगा उसमें प्रतापगढ़, कौशाम्बी, इलाहाबाद, फतेहपुर और रायबरेली को छोड‍़कर जो सात जिले जालौन, झांसी, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट शामिल है वह बुंदलेखंड क्षेत्र से हैं। उत्तर प्रदेश का यह वही क्षेत्र है जो गरीबी और बदहाली के लिए अधिकतर चर्चा में रहता है।

ये भी पढ़िए-

जो जीतेगा पूर्वांचल वही बनाएगा सरकार

बुंदेलखंड राज्य को लेकर दशकों से आंदोलन चल रहा है। ललितपुर जिले के बिरधा ब्लाक के ग्राम टिकरा तिवारी के रमेश तिवारी ने बताया '' वर्तमान में सरकार में बुंदेलखंड के लोगों का सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली यह हमारे लिए सबसे बड़ा मुद्दा है। '' उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र की आवाज लखनऊ पहुंच नहीं पाती है। ऐसे अलग राज्य उनके लिए जरूरी है।

यहां के मतदाताओं केा अपने पाले में करने में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अलग राज्य बनाने का संकल्प दोहराकर विपक्षियों पर भारी पड़ रही हैं। वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में अलग राज्य का समर्थन पाकर यहां की सभी लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाने वाली बीजेपी के सामने धर्मसंकट उत्पन्न हो गया है। बुंदेलखंड का बसपा का गढ़ कहा जाता है। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा की लहर के बावजदू भी यहां पर सपा और बसपा में बराबरी का मुकाबला हुआ था। जिसमें बसपा और सपा का सात-सात मिली थीं वहीं कांग्रेस के खाते में 4 सीटें।

बुंदेलखंड में अवैध खनन है बड़ा मुद्दा। फोटो- विनय गुप्ता

चुनाव आते ही अलग बुंदलेखंड राज्य का मुद्दा एक बार फिर से तेज हो गया है। पिछले कई दशक से अलग राज्य के लिए आंदोलन करने वाले राजनीतिक और सामाजिक संगठन अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। दो दिन पहले की मायावती यहां पर चुनावी रैली करके अपनी सरकार बनने बुदेलखंड को अलग राज्य बनाने का वादा की हैं। हालांकि प्रस्तावित बुंदेलखंड का क्षेत्र उत्तर प्रदेश के साथ ही मध्यप्रदेश में भी शामिल है। इसमें उत्तर प्रदेश के सात और मध्यप्रदेश के छतरपुर, सागर, पन्ना, टीकमगढ़, दमोह, दतिय, भिंड और सतना जिले भी हैं।

उत्तर प्रदेश की सत्ता में बुंदेलखंड का समुचित हिस्सेदारी नहीं मिलना भी यहां मुद्दा है। यहां के रमेशड़ा गांव के ग्राम प्रधान रघुवीर राजपूत ने कहा '' मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पांच साल में अपनी सरकार का आठ बार मंत्रिमंडल विस्तार किया लेकिन बुंदेलखंड से किसी को मंत्री नहीं बनाया। ' बुंदेलखंड के यूपी विधानसभा की 19 सीटों आती हैं जो कुल विधानसभा की मात्र पांच प्रतिशत है। ऐसे में यूपी विधानसभा में अधिकतर बुंदेलखंड की आवाज धीमी पड़ जाती हैं। बुंदेलखंड राज्य के नाम पर पिछले चुनाव लड़ने वाले फिल्मों से जुड़ रहे राजा बुंदेला का कहना है कि अलग राज्य बनने के बाद ही यहां की स्थिति सुधरेगी। बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक संजय पांडेय भी अलग राज्य को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।

पानी की समस्या और तालाब पर सभी दल एक दूसरे पर करते रहे हैं वार।

    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.