मायावती की कांग्रेस को सलाह, समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर ना लड़े उत्तर प्रदेश के चुनाव 

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   21 Jan 2017 9:19 PM GMT

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मायावती की कांग्रेस को सलाह, समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर ना लड़े उत्तर प्रदेश के चुनाव मायावती, अध्यक्ष, बहुजन समाजपार्टी

लखनऊ (भाषा)। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2017 में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर चल रहे ‘गतिरोध' के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज कांग्रेस को सलाह दी कि वह सपा के साथ मिलने की बजाय अकेले दम पर या छोटे धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ गठजोड़ कर चुनाव लड़े।

अकेले लड़े चुनाव

मायावती ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस के लोगों से प्रदेश में उनकी पार्टी के हित में कहना चाहूंगी कि यदि वास्तव में वे खुद को धर्मनिरपेक्ष मानकर चलते हैं तो सपा से गठबंधन कर ये चुनाव ना लड़ें बल्कि अपनी पार्टी का भविष्य ध्यान में रखकर या तो अकेले लड़ें या फिर उन्हें छोटी-छोटी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ना चाहिए।''

गठबंधन की बात होने के बाद से कांग्रेस के कई नेता बसपा में शामिल

उन्होंने कहा कि जंगलराज वाली, अराजक, आपराधिक एवं सांप्रदायिक तत्वों को संरक्षण देने वाली और भाजपा से मिलीभगत करने वाली सपा जैसी पार्टी के साथ मिलकर कांग्रेस को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। साथ ही दावा किया कि गठबंधन की बात होने के बाद से ही कांग्रेस के कई नेता बसपा में आ चुके हैं।

उत्तर प्रदेश की धर्मनिरपेक्ष जनता को क्या जवाब देगी कांग्रेस

मायावती ने कहा कि सपा से गठबंधन की तैयारी करके मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के रूप में एक अन्य दागी चेहरे के सामने कांग्रेस ने पूरी तरह घुटने टेक दिए हैं। अब ये सवाल उठने लगा है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश की धर्मनिरपेक्ष जनता को क्या जवाब देगी ? क्या यह कि उसने सपा से गठबंधन कर उस दागी चेहरे (अखिलेश) को अपना नेता मान लिया है।

मायावती ने कहा कि चुनाव के समय कांग्रेस का भी असली घोर स्वार्थी चेहरा बेनकाब होकर जनता के सामने आ गया है। कांग्रेस ने सपा सरकार के इस दागी चेहरे (अखिलेश) के आगे नतमस्तक होकर उनके साथ गठबंधन करना स्वीकार किया। गठबंधन नहीं हुआ, वो एक अलग चीज है।

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पूरी तरह आक्सीजन पर

उन्होंने कहा कि ऐसा करके कांग्रेस के सर्वोच्च नेतृत्व ने प्रमाणित कर दिया है कि उत्तर प्रदेश में ये पार्टी पूरी तरह आक्सीजन पर ही है। वैसे भी ये हकीकत है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की इस समय हालत इतनी ज्यादा खराब हो चुकी है कि अब उसके राष्ट्रीय नेताओं को अपनी रथयात्रा और खाट सभा जैसे कार्यक्रम करने के बावजूद विधानसभा चुनाव में खडे करने के लिए प्रत्याशी आसानी से नहीं मिल रहे हैं।

भाजपा से अंदरुनी मिलीभगत की वजह से ‘डूबती हुई नैया' है सपा

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि उत्तर प्रदेश की वर्तमान सपा सरकार अपनी गलत नीतियों और कार्यकलापों तथा भाजपा से अंदरुनी मिलीभगत की वजह से ‘डूबती हुई नैया' है। जनता का इतना मोहभंग हो गया है कि अब सपा का सत्ता में वापस लौटना असंभव प्रतीत होता है। अराजकता, अपराध, भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता और जंगलराज के साथ साथ भाजपा से मिलीभगत के कारण सपा का दोहरा चरित्र सामने आता है।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के पांच साल और केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के ढाई वर्ष के कार्यकाल में दोनों ही सरकारों ने गरीब, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और किसान विरोधी गलत नीतियां और कार्यकलाप अपनाए। इससे प्रदेश की लगभग 22 करोड़ जनता में व्यापक नाराजगी व आक्रोश है। ये किसी से छिपा नहीं है। प्रदेश में मुजफ्फरनगर सहित अब तक लगभग 500 छोटे बड़े दंगे हुए। दादरी की घटना हुई। मथुरा के जवाहरबाग कांड में तो पुलिस अधिकारी की जान चली गई।

     

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