उत्तर प्रदेश की इस लकी विधानसभा सीट से जिस पार्टी का विधायक जीतता है, वही पार्टी प्रदेश में बनाती है सरकार

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   8 Feb 2017 2:50 PM GMT

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उत्तर प्रदेश की इस लकी विधानसभा सीट से जिस पार्टी का विधायक जीतता है, वही पार्टी प्रदेश में बनाती है  सरकारउत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 ।

लखनऊ (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के लिए सरगर्मियां तेज हो गई हैं। उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन बनेगा इसका सबको इंतजार है। पर उत्तर प्रदेश में एक ऐसी विधानसभा सीट है जिसे ‘लकी विधानसभा सीट’ कहा जाता है। यानि की इस विधानसभा सीट से जिस पार्टी का विधायक बनेगा वही पार्टी उत्तर प्रदेश में राज करेगी।

उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव 2017 में इस बार सत्ता पर कौन विराजमान होगा, वह तो राज्य के मतदाताओं के हाथ में है। पूर्वाचल और अवध के बीच की कड़ी जिला सुल्तानपुर की इस सीट पर बीते 45 वर्षों से सत्तारूढ़ दल का विधायक ही विराजमान रहा है। या यों कह लें कि इस सीट पर जिस पार्टी का विधायक जीतता है, उसी पार्टी के हाथ में राज्य की सत्ता भी आती है।

यह सीट है सुल्तानपुर सदर, जहां से इस समय समाजवादी पार्टी (सपा) के अरुण कुमार विधायक हैं। 2009 के परिसीमन से पहले इस सीट का नाम जयसिंहपुर था।

इस बार यह सीट तब चर्चा में आई, जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आगामी विधानसभा चुनावों का शंखनाद करने के लिए इस सीट को चुना।

सुल्तानपुर सदर सीट पर इस बार अरुण कुमार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी सीताराम वर्मा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रत्याशी राज प्रसाद उपाध्याय चुनौती दे रहे हैं। इस सीट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि जब भी राज्य में सत्ता की लहर में परिवर्तन हुआ, तो यहां के निवासी परिवर्तन की उस लहर को भांपने में सटीक साबित हुए।

इस सीट के भाग्यशाली होने का सिलसिला 1969 में कांग्रेस प्रत्याशी श्यो कुमार के जीतने से शुरू हुई। इसके बाद जब 1977 में पूरे देश की राजनीतिक फिजां बदली और जनता पार्टी की लहर चली तो यहां से भी जनता पार्टी के प्रत्याशी मकबूल हुसैन खान ने बाजी मारी।

लेकिन तीन साल बाद ही 1980 में कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र पांडे जयसिंहपुर सीट से जीते और राज्य में कांग्रेस सरकार की वापसी हुई।

जनता पार्टी से टूटकर अलग हुई जनता दल ने 1989 में उत्तर प्रदेश की सत्ता पर पहली बार कब्जा जमाया और इस बार जयसिंहपुर की अवाम ने जनता दल के उम्मीदवार सूर्यभान सिंह को सत्ता की चाबी सौंपी।

90 का दशक सिर्फ राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नई राजनीतिक शक्ति के रूप में उभर कर आने का दशक रहा। 1991 में जयसिंहपुर सीट से पहली बार भाजपा का कोई उम्मीदवार जीता और राज्य में भी पहली बार भाजपा ने सरकार बनाई।

भाजपा की सरकार हालांकि 1992 में बाबरी विध्वंस के साथ गिर गई और सपा ने बसपा से गठबंधन कर सरकार बनाई। 1993 के उप-चुनाव में जयसिंहपुर से भी सपा के प्रत्याशी ए. रईश को जीत मिली।

1996 से 2007 के बीच बसपा राज्य की सत्ता के केंद्र में रही और इस दौरान जयसिंहपुर सीट भी लगातार बसपा के कब्जे में रही। 1996 में बसपा प्रत्याशी राम रतन यादव जीते, तो 2002 और 2007 में बसपा के ही ओ. पी. सिंह इस सीट की जनता को रिझाने में सफल रहे।

राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में फिर से सत्ता पाने के लिए पूरी ताकत झोंक चुकी है तो सत्तारूढ़ सपा ने कांग्रेस से गठजोड़ कर लिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार भी सुल्तानपुर सदर से राज्य की सत्ता का द्वार खुलता है..

           

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