यूपी इलेक्शन 2017: मऊ में बाहुबली मुख्तार की तगड़ी घेरेबंदी, खुद और बेटे अब्बास को विधानसभा पहुंचाने की सबसे बड़ी चुनौती 

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   3 March 2017 11:49 AM GMT

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यूपी इलेक्शन 2017: मऊ में बाहुबली मुख्तार की तगड़ी घेरेबंदी, खुद और बेटे अब्बास को विधानसभा पहुंचाने की सबसे बड़ी चुनौती बहुबली मुख्तार अंसारी।

मऊ (उत्तर प्रदेश) (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में स्थित मऊ जिला एक जमाने में विकास के लिए दूसरों की नजीर हुआ करता था। आज यहां बाहुबली मुख्तार अंसारी की चर्चा है। विरोधियों की तगड़ी घेरेबंदी के बीच मुख्तार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी जीत के साथ बेटे को भी विधानसभा पहुंचाने की है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव छठे चरण में समाजवादी पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के लोकसभा क्षेत्र आजमगढ़ समेत पूर्वांचल के सात जिलों की 49 सीटों के लिए चार मार्च को वोट पड़ेंगे। इस चरण में भाजपा के हिन्दुत्ववादी नेता सांसद महन्त आदित्यनाथ के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र गोरखपुर, माफिया-राजनेता मुख्तार अंसारी के क्षेत्र मऊ तथा केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र के संसदीय क्षेत्र देवरिया में चुनाव पर खास नजर रहेगी।

एक वह दौर था, जब पूर्व केंद्रीय मंत्री कल्पनाथ राय यहां का प्रतिनिधित्व किया करते थे। उन्होंने अपने समय में विकास के जो काम कराए थे, वे समय के साथ ही अब अपनी चमक खो चुके हैं। मऊ आज विकास और जातिवादी राजनीति के दोराहे पर खड़ा है। क्षेत्र के लोग बताते हैं कि यहां का विकास तभी हो सकता है, जब यहां से चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के मन में कल्पनाथ राय जैसी इच्छाशक्ति होगी।

छठे चरण में 77 लाख 84 हजार महिलाओं समेत करीब एक करोड़ 72 लाख मतदाता कुल 635 प्रत्याशियों के राजनीतिक भाग्य का फैसला कर सकेंगे। इसके लिए 17 हजार 926 मतदान केंद्र बनाये गए हैं। वर्ष 2012 में इन सीटों में से सपा ने 27, बसपा ने नौ, भाजपा ने सात तथा कांग्रेस ने चार सीटें जीती थी, जबकि दो सीटें अन्य के खाते में गई थीं। इस चरण में सबसे ज्यादा 23 उम्मीदवार गोरखपुर सीट पर मैदान में हैं, जबकि सबसे कम सात उम्मीदवार मऊ जिले की मोहम्मदाबाद गोहना सीट से किस्मत आजमा रहे हैं।

मऊ जिले में चार विधानसभा क्षेत्र आते हैं। मऊ सदर, मोहम्मदाबाद (गोहना), मधुबन और घोषी विधानसभा क्षेत्र। इनमें से दो ही सीटें ऐसी हैं जो चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं। इसकी वजह बाहुबली मुख्तार अंसारी और उनके बेटे अब्बास अंसारी हैं। मुख्तार मऊ सदर से चुनावी मैदान में हैं तो उनका बेटा घोषी से ताल ठोंक रहे हैं। विरोधियों की तगड़ी घेरेबंदी के बीच मुख्तार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी जीत के साथ ही बेटे को भी विधानसभा पहुंचाने की है।

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चारों सीटों पर जीत विकास के नाम पर नहीं, बल्कि जातीय गणित के आधार पर होती आई है। जिले की सभी सीटों पर भूमिहार, ठाकुर, राजभर, यादव और मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता है। सभी राजनीतिक दल यहां के जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर ही उम्मीदवारों को मैदान में उतारते हैं।

मऊ सदर विधानसभा सीट :- जिले की इस सीट से फिलहाल कौमी एकता दल के बाहुबली मुख्तार अंसारी विधायक हैं। बदले हुए राजनीतिक समीकरण के बीच वह इस बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। उनका इस इलाके में काफी दबदबा माना जाता है। भूमिहार और राजभर बहुल इस सीट पर उनकी जीत का फलसफा उनका धनबल और बाहुबल ही रहा है।

मुख्तार अंसारी फिलहाल जेल में बंद हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में वह पेरौल पर बाहर आए थे। तब उन्होंने प्रचार के माध्यम से अपने पक्ष में हवा भी बनाई और जीतकर विधानसभा पहुंचे। इस बार उच्च न्यायालय ने पेरौल की उनकी याचिका खारिज कर उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया है, वहीं दूसरी ओर विरोधी दलों ने भी इस बार उनकी तगड़ी घेरेबंदी कर रखी है।

दरअसल, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस सीट से अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। भाजपा का भारतीय समाज पार्टी (भासपा) के साथ गठबंधन होने के बाद यह सीट उनके खाते में चली गई। भासपा के अध्यक्ष ओप्रकाश राजभर ने यहां से अपने समधी महेंद्र राजभर को टिकट दिया है।

मऊ विकास से अछूता है। कल्पनाथ राय की कमी आज सभी को खलती है। वह एक विकास पुरुष थे। जब तक रहे, इस जिले पर माफियाओं और बाहुबलियों की छाया तक नजर नहीं आई। उनके निधन के बाद ही यहां धनबली और बाहुबली हावी होते चले गए। हालांकि इस चुनाव में जनता उनको सबक सिखाएगी।
महेंद्र राजभर भासपा अध्यक्ष ओप्रकाश राजभर के समधी

महेंद्र राजभर ने कहा, "मऊ विकास से अछूता है। कल्पनाथ राय की कमी आज सभी को खलती है। वह एक विकास पुरुष थे। जब तक रहे, इस जिले पर माफियाओं और बाहुबलियों की छाया तक नजर नहीं आई। उनके निधन के बाद ही यहां धनबली और बाहुबली हावी होते चले गए। हालांकि इस चुनाव में जनता उनको सबक सिखाएगी।"

इस विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस गठबंधन ने अल्ताफ अंसारी को टिकट दिया है। इलाके वाले बताते हैं कि अल्ताफ अंसारी क्षेत्र का जाना पहचाना नाम है। इलाके के होने की वजह से उनकी पैठ मुस्लिम समुदाय में भी ज्यादा है। अल्ताफ इस सीट पर मुस्लिम और यादव वोटबैंक के सहारे मुख्तार को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

अल्ताफ अंसारी के आने से मुस्लिम समुदाय में सेंधमारी का खतरा बढ़ गया है। इससे मुख्तार अंसारी की मुश्किलों में इजाफा होगा। यहां एक तरफ जहां मुस्लिम मतों में बिखराब साफ नजर आ रहा है, वहीं दूसरी तरफ भूमिहार, राजभर और ठाकुर मतदाता भी लामबंद हो रहा है। इसका सीधा असर नतीजे पर देखने को मिलेगा।
राजकमल राय पूर्व पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक

घोषी विधानसभा सीट :- घोषी लोकसभा सीट से कल्पनाथ राय कभी सांसद हुआ करते थे। उनके निधन के बाद हालांकि परिवार में ही कलह छिड़ गया और इसका लाभ विरोधियों ने उठाया। लिहाजा, कल्पनाथ राय का परिवार यहां राजनीतिक तौर से हाशिये पर है। इस सीट से बसपा ने मुख्तार अंसारी के पुत्र अब्बास अंसारी को टिकट दिया है। अब्बास की छवि हालांकि उनके पिता के ठीक विपरीत है।

मुख्तार के बेटे अब्बास को सता रहा है डर

हालांकि अब्बास को अपनों से ही चुनौती भी मिल रही है। दरअसल, बसपा ने यहां से स्थानीय नेता वसीम इकबाल उर्फ चुन्नू को पहले ही टिकट दे दिया था। लेकिन बाद में मुख्तार की छवि को भुनाने के उद्देश्य से अंत में बसपा सुप्रीमो ने इस सीट से मुख्तार के बेटे अब्बास को उतार दिया। अब्बास को अब यह डर सता रहा है कि कहीं वसीम इकबाल ने भितरघात किया तो उनका विधायक बनने का सपना धरा रह जाएगा।

सपा ने यहां से वर्तमान विधायक सुधाकर सिंह को ही टिकट दिया है। इलाके में उनकी अच्छी खासी पैठ है। हालांकि इलाके के लोग बताते हैं कि उनके खिलाफ एंटी इन्कम्बेंसी का असर भी है। इलाके का विकास न होने से लोग काफी नाराज हैं।

सुधाकर सिंह कहते हैं, "ऐसा नहीं है। यहां विकास के काफी काम हुए हैं। विरोधियों की तरफ से यह दुष्प्रचार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के काम के दम पर ही हम जनता के बीच जा रहे हैं। जनता से अच्छा सहयोग मिल रहा है। जो लोग इलाके में विकास काम न होने का दावा कर रहे हैं, उन्हें चुनाव के बाद जवाब अपने आप मिल जाएगा।"

विकास कार्य पूरी तरह से ठप्प

घोषी के ही रामकुमार राजभर कहते हैं, "विकास कार्य पूरी तरह से ठप्प हैं। किसान सहकारी मिल बंद हो चुकी है। एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट लगभग बंद होने के कागार पर है। रोजगार देने वाले दो सबसे बड़े उपक्रमों के बंद होने से यहां का युवा रोजगारविहीन हो चुका है। लोगों को यहां से पलायन कर रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ता है।"

                 

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