यूपी विधानसभा चुनाव: किसानों को लेकर नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच खूब चले शब्दबाण
Ashwani Nigam 28 Feb 2017 6:42 PM GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में किसानों को रिझाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बीच फिर शब्दवाण चले हैं। विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए दोनों नेताओं ने अपने आप को किसानों का हितैषी साबित करते हुए एक दूसरे का कटघर में खड़ा किया।
हरदोई और बाराबंकी में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के 70 सालों में एक बार भी खादों का दाम कम नहीं हुआ, लेकिन मेरे शासन में ऐसा हुआ और किसानों का 5000 करोड़ रुपए बचा। पहले यूरिया की कालाबाजारी होती थी। किसानों की यूरिया नहीं मिलती थी लेकिन इस बार यूरिया की कोई कमी नहीं हुई। मोदी के दावों पर पलटवार करते हुए सीतापुर में एक चुनावी सभा में राहुल गांधी ने पीएम पर तंज कसते हुए कहा कि पीएम ने किसानों का कर्ज माफ नहीं किया, लेकिन अपने उद्योगपति दोस्तों के 50 परिवारों का 1.40 लाख करोड़ रुपए माफ कर दिया। राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री गांव और किसानों के लिए नहीं बल्कि पैसे वालों के लिए सोचते हैं। नोटबंदी पर पीएम का कटघरे में खड़ा करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि नोटबंदी में एक भी अमीर आदमी लाइन में नहीं लगा। सभी गरीब और मजदूर ही लाइन में लगे। इसका जवाब प्रधानमंत्री के पास नहीं है। कालाधन की बात करने वाले अभी तक कितना काला धन लाए यह बता नहीं पा रहे हैं।
बाराबंकी में बीजेपी की रैली को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने किसानों क लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई लेकिन प्रदेश की सरकार ने किसानों तक इस योजना को पहुंचने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना के तहत किसानों को फसल कटाई के 15 दिन के अंदर क्षतिपूर्ति का प्रावधान है। केन्द्र सरकार ने पैसा दिया लेकिन यूपी सरकार ने एजेंसी का चयन करने में देरी की। जिससे किसानों केा इसका लाभ समय पर नहीं मिल पाया। उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने पर किसानों का उनकी योजनाओं का तुरंत लाभ मिलेगा।
राहुल ने हमेशा की तरह मोदी सरकार को नोटबंदी पर घेरा। राहुल ने कहा पीएम सिर्फ सत्ता में रहना चाहते हैं। वह जो वादे करते हैं उसको कभी पूरा नहीं करते। उन्होंने 15 लाख रुपए और रोजगार देने की बात की थी। लेकिन ढाई साल बीतने के बाद भी उनकी सरकार ने अभी तक अपना कोई वादा नहीं निभाया है। उत्तर प्रदेश चुनाव में किसानों को लुभाने के लिए सभी पार्टियों में होड़ मची है।
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