बीजेपी के वो चेहरे, जो इस लहर में भी हार गए

Jamshed QamarJamshed Qamar   11 March 2017 5:13 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
बीजेपी के वो चेहरे, जो इस लहर में भी हार गएबीजेपी के चेहरे

उत्तर प्रदेश में बीजेपी को जिस तरह की ताबड़तोड़ जीत मिली है उससे ये साबित हो गया है कि प्रदेश में मोदी की ज़बर्दस्त लहर है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने तो इसे आज़ाद हिंदुस्तान में किसी भी राजनीतिक पार्टी की सबसे बड़ी जीत बताया है लेकिन इस लहर के बावजूद भी बीजेपी के कुछ चेहरे ऐसे हैं जो जीत का स्वाद नहीं चख पाए। आइये जानते हैं कौन हैं वो लोग

1. मृगांका सिंह

मृगांका सिंह

उत्तर प्रदेश की सियासत में कैराना एक बड़ा नाम बन कर तब उभरा जब फर्ज़ी पलायनवाद का मुद्दा उठाया गया। शायद यही वजह है कि कैराना को हिंदू मुस्लिम ध्रुवीकरण वाले इलाकों के एक उदाहरण के तौर पर देखा जा रहा था लेकिन बीजेपी के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ रही, सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह चुनाव हार गई हैं। ग़ौरतलब है कि कि मृगांका के चचेरे भाई अनिल सिंह ने ही उनपर इल्ज़ाम लगाया था कि ध्रुवीकरण के लिए यहां फर्ज़ी पलायनवाद का मुद्दा उठाया गया था। यहां से समाजवादी पार्टी की नाहिद हसन ने तकरीबन बीस हज़ार वोटों से उन्हें हरा दिया है।

2. लक्ष्मीकांत वाजपेयी

लक्ष्मीकांत वाजपेयी

लक्ष्मीकांत वाजपेयी बीजेपी का एक बड़ा नाम हैं। साल 2014 के उन चुनावों में जब पार्टी ने ज़बरदस्त जीत हासिल की थी लक्ष्मी प्रदेश अध्यक्ष थे लेकिन इस बार मेरठ सदर सीट से वो चुनाव हार गए हैं। इस सीट से वाजपेयी पहले दो बार विधायक रह चुके हैं। लक्ष्मीकांत वाजपेयी समाजवादी पार्टी के रफीक अंसारी से हारे हैं।

3. उत्कृष्ट मौर्य

उत्कृष्ठ मौर्य

उत्कृष्ट मौर्य स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे हैं। स्वामी प्रसाद वही हैं जिनका नाम NRHM घोटाले में आया था। इस बार उन्होंने अपने बेटे को रायबरेली की ऊंचाहार से टिकट दिलाया था लेकिन वो जीत नहीं पाए। ये स्वामी प्रसाद के लिए एक बड़ा झटका है। इस सीट से समाजवादी पार्टी के मनोज पांडे ने तकरीबन दो हज़ार वोटों से जीत दर्ज की है।

4. सलिल विश्नोई

सलिल विश्नोई

सलिल विश्नोई कानपुर की आर्य नगर सीट से चुनाव हार गए हैं। बीजेपी के प्रचंड बहुमत के बीच विश्नोई के लिए ये हार किसी झटके से कम नहीं है। सलिल विश्नोई बीजेपी के मज़बूत उम्मीदवारों में से एक थे। उन्होंने बीजेपी को उस दौर में जीत दिलाई जब बीजेपी कमज़ोर थी। साल 2002, 2007 और फिर 2012 में बड़ी जीत हासिल की लेकिन अब जब प्रदेश में मोदी लहर मानी जा रही है वो पार्टी को जीत नहीं दिला सके। इस सीट पर समाजवादी पार्टी के अमिताभ वाजपेयी ने जीत दर्ज की है।

  

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.