राहुल-अखिलेश की ‘केमिस्ट्री’ का गहरा होता रंग

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राहुल-अखिलेश की ‘केमिस्ट्री’ का गहरा होता रंगफाइलफोटो।

झांसी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच हुए गठबंधन के बाद कभी एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच 'केमिस्ट्री' जमने लगी है। सभाओं में दोनों की 'बॉडी लैंग्वेज' से लेकर भीड़ को रिझाने का तौर-तरीका एक जैसा ही नजर आता है।

बुंदेलखंड के झांसी में रविवार को जीआईसी मैदान पर हुई जनसभा को ही ले लीजिए, दोनों में बढ़ती नजदीकियां बहुत कुछ कह गईं। राहुल गांधी हेलीकॉप्टर से झांसी पहले पहुंचे और वे मंच पर जाने से पहले आधा घंटे तक अखिलेश का इंतजार करते रहे। मंच पर दोनों पहुंचे तो लगा जैसे वे एक ही दल के दो नेता हों।

दोनों नेताओं का अंदाज एक था, मगर लिवास में कुछ अंतर था, अखिलेश का लिवास जहां उन्हें पूरी तरह उत्तर प्रदेश और ग्रामीण इलाके का नेता स्थापित करने में मददगार नजर आया तो राहुल आधुनिक युवा की पसंदीदा लिवास में थे। अखिलेश सफेद कुर्ता-पैजामा और सिर पर लाल टोपी पहने थे तो राहुल जींस व कुर्ता और गले में कांग्रेस का दुपट्टा।

दोनों ही नेता अपने भाषणों में एक दूसरे की बात को ही आगे बढ़ाते नजर आए। ऐसे लगा, मानो दोनों की स्क्रिप्ट एक ही व्यक्ति ने लिखी हो। अखिलेश ने जहां 'साइकिल' को 'हाथ' का मिले साथ से रफ्तार तेज होने की बात की, तो राहुल ने कहा कि इस दोस्ती ने प्रधानमंत्री मोदी के मूड को बदल दिया है। अखिलेश ने जहां प्रधानमंत्री को उत्तर प्रदेश के चुनाव में पसीना आने का जिक्र किया, तो राहुल ने वोट के लिए सौदेबाजी करने का आरोप लगाया।

दोनों की केमिस्ट्री ने सपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी उत्साह भरा। इस केमिस्ट्री पर सपा के युवा नेता सिंहव्रत सिंह यादव (बबुआ) का कहना है, ''युवाओं का जोश समाज में उम्मीद जगाने वाला होता है, जब दो हमउम्र राजनेता एक साथ हो जाएं तो राजनीति की दिशा बदलना कठिन नहीं है।'' उन्होंने कहा, ''मौजूद दौर में भाजपा सत्ता पाने के लिए सांप्रदायिकता और जुमलेबाजी का सहारा ले रही है, विकास उसके लिए मुद्दा नहीं है, ये दोनों युवा नेता विकास और सामाजिक समरसता की बात कर रहे हैं। इन दोनों का साथ प्रदेश और देश की जरूरत बनता जा रहा है।''

वहीं, कांग्रेस नेता रामकुमार शुक्ला का कहना है, ''कांग्रेस की विचारधारा के सबसे नजदीक समाजवादी विचारधारा है, दोनों ही दलों के दो युवा व नई सोच के नेताओं का करीब आना विकास को रफ्तार देने में मददगार होगा। दोनों की केमिस्ट्री मेल खा रही है, यह एक सुखद संयोग है।''

राजनीति के जानकारों की मानें तो दोनों युवाओं को सत्ता पाने की चाहत ने एक किया है, मगर यह जोड़ी उन लोगों को प्रभावित कर रही है जो समाज में सामाजिक समरसता चाहते हैं। जातिवाद व सांप्रदायिकता उत्तर प्रदेश की राजनीति में घर कर गई है, इन दोनों नेताओं की दोस्ती अगर लंबी चली तो प्रदेश में इन मसलों पर अंकुश लगने की उम्मीद की जा सकती है, क्योंकि युवा अखिलेश की सोच पिता मुलायम से कुछ अलग है। हो सकता है, दोनों की यह दोस्ती लोकसभा चुनाव में भी काम आए।

     

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