सोनिया गांधी ने लिखी रायबरेली वालों के नाम चिट्ठी, प्रचार में नहीं आने के लिए जाताया दुख
Rishi Mishra 22 Feb 2017 8:06 PM GMT

रायबरेली। ''चिट्ठी न कोई संदेश जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए'' इन लाइनों का मतलब रायबरेली के लोगों के लिए बहुत है। दरअसल जब से सोनिया गांधी राजनीति में आई हैं तब से पहला चुनाव ऐसा रहा जब सोनिया गांधी रायबरेली नहीं आईं। उन्होंने यहां कोई चुनाव प्रचार नहीं किया।
चुनाव के ठीक एक दिन पहले उनकी एक चिट्ठी रायबरेली और अमेठी के लोगों के लिए जारी की गई। जिसमें खुद न आने को लेकर सोनिया ने दुख जताया। मगर उनकी एक झलक को बेताब रहने वाले रायबरेली के लोगों के लिए बस इतना ही काफी नहीं हैं। चुनाव में सोनिया गांधी का न होना यहां के लोगों को साल रहा है।
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राजीव गांधी की मृत्यु के बाद गांधी परिवार काफी सालों तक राजनीति से दूर रहा था। जिसका नतीजा ये था कि पीवी नरसिम्हाराव ने 1991 में हुए चुनाव में कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद संभाला। मगर उनका पांच साल का कार्यकाल सहानभूति लहर का परिणाम था। इसके बाद केंद्र में कांग्रेस की सरकार गई थी। जिसके बाद में साल 2005 तक कांग्रेस का सत्ता से वनवास रहा था। इस बीच सोनिया गांधी ने राजनीति में वापसी की थी। तक सोनिया रायबरेली सीट से लगातार सांसद रही हैं। 2014 की मोदी लहर में भी सोनिया और राहुल रायबरेली और अमेठी सीट से जीत गए थे। रायबरेली का सोनिया का प्रेम अटूट रहा। मगर इस बार उनके न आने से यहां लोग परेशान रहे।
रायबरेली में बछरांवा में जनरल मर्चेंट की दुकान चलाने वाले रामजी शुक्ला कहते हैं कि सोनिया जी के न आने का असर आप इस चुनाव में देखेंगे। यहां के लोग गांधी परिवार के हमेशा आभारी रहे हैं। लालगंज की रेल कोच फैक्टरी हो, या अमेठी में फुटवियर डिजाइन इंस्टीट्यूट, लखनऊ और प्रतापगढ़ को जोड़ने वाला हाईवे सबकुछ गांधी परिवार की देन है। रायबरेली बस स्टॉप के चाय की दुकान वाले मंसूर कहते हैं कि सोनिया जी की बीमारी के बारे में पता चला था। मगर हम सब आखिर तक इंतजार करते रहे, सोनिया गांधी अगर प्रचार के लिए आती तो बात ही कुछ और होती। मगर उनकी चिट्ठी भी देर से ही आई है। दूसरी ओर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर कहते हैं कि सोनिया जी की तबीयत ठीक नहीं रही, इसलिए वे प्रचार पर नहीं आईं। मगर उनका मन हमेशा रायबरेली के लोगों के साथ रहा है।
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