अगले चरणों में दिग्गजों की साख दांव पर

Rishi MishraRishi Mishra   16 Feb 2017 3:46 PM GMT

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अगले चरणों में दिग्गजों की साख दांव परयूपी के सियासी समर में दूसरे चरण के बाद अब असली पॉलीटिकल ब्लॉकबस्टर शुरू होगा।

लखनऊ। यूपी के सियासी समर में दूसरे चरण के बाद अब असली पॉलीटिकल ब्लॉकबस्टर शुरू होगा। सबसे अधिक बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह, डिंपल यादव, राहुल गांधी, सोनिया गांधी, मुख्तार अंसारी, राजा भइया, अखिलेश सिंह सहित अनेक हाइप्रोफाइल नेताओं के जनता पर पड़ने वाले प्रभाव को नापा जाएगा।

पहले दो चरण में बहुत अधिक हाईप्रोफाइल नेताओं की सीटें शामिल नहीं थीं। मगर अब जो राउंड आएंगे, उनमें चुनाव लड़ने वालों के साथ में उसके इलाके के सांसदों पर भी प्रत्याशियों को जिताने की जिम्मेदारी होगी। तीसरे चरण में चुनावी पड़ाव लखनऊ होगा। साथ ही कानपुर, सीतापुर, हरदोई जैसे जिले इसमें शामिल होंगे।

जहां राजनाथ सिंह, मुरली मनोहर जोशी के संसदीय क्षेत्र हैं, वहीं हरदोई में सपा के नरेश अग्रवाल को भी अपना दम दिखाना पड़ेगा। इसके बाद में रायबरेली, सुल्तानपुर और अमेठी क्षेत्र होंगे। जहां अमेठी राजघराने की बहुएं आमने-सामने होंगी।

वहीं सपा से गायत्री प्रसाद प्रजापति तमाम आरोपों के बावजूद अपनी जड़ों को अमेठी में कितना जमाए हुए हैं, इसकी परीक्षा होगी। इस क्षेत्र में कांग्रेस को मिली सीटों पर राहुल गांधी असर डालेंगे। जबकि भाजपा के लिए सुल्तानपुर में वरुण गांधी को जुटाने की तैयारी की जा रही है।

दूसरे चरण में भी कई सुपरस्टार की किस्मत ईवीएम में कैद

दूसरे चरण का मतदान शुरू होने के साथ ही प्रदेश के बड़े नामों की प्रतिष्ठा दांव पर है। रामपुर में आजम खान का दांव अपने बेटे आजम अब्दुल्ला पर लगा है। बिजनौर में मंत्री रुचिवीरा हैं। सहारनपुर की नकहुर में कांग्रेस के इमरान मसूद भी चुनाव लड़ रहे हैं।

लखीमपुर की तिलहर सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद भी चुनव लड़ रहे हैं। भाजपा की ओर से बिजनौर सीट पर सपा मंत्री रुचिवीरा के खिलाफ सांप्रदायिक तनाव के एक मामले में जेल में गए विवादित नेता मौसम चौधरी की पत्नी शुचि चौधरी मैदान में हैं। पीलीभीत में चुनाव को लेकर केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी पर बड़ी जिम्मेदारी है।

पूर्वांचल में होगा सुपरहिट मुकाबला

वाराणसी में प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने के नाते यहां की सभी सीटों को भाजपा गठबंधन के पक्ष में करने की चुनौती संगठन के सामने होगी। जबकि मऊ और घोसी जैसी सीटों पर हाथी की सवारी कर रहे मुख्तार और उनके बेटे भाई के लिए खुद को साबित करने का मौका होगा। आजमगढ़ मुलायम सिंह यादव का चुनाव क्षेत्र रहा है, ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि क्या वे अपने बेटे अखिलेश के लिए यहां के चुनावी समर में उतरेंगे।

    

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