उत्तर प्रदेश के इस गाँव की महिलाओं ने आजादी के बाद पहली बार किया मतदान

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उत्तर प्रदेश के इस गाँव की महिलाओं ने आजादी के बाद पहली बार किया मतदानलाइन में लगीं ये महिलाएं आम नहीं हैं घर की दहलीज से निकलकर पहली बार ये पोलिंग बूथ तक पहुंची हैं.

लखीमपुर-खीरी। तस्वीर में दिख रहीं ये महिलाएं आम नहीं हैं, ये महिलाएं घर की दहलीज से निकलकर पहली बार पोलिंग बूथ तक पहुंची हैं। इससे पहले इस गाँव की महिलाओं ने आज तक बूथ का मुंह नहीं देखा था। दरअसल पुरुष प्रधान समाज की दादागिरी की वजह से इन महिलाओं को अब तक वोट डालने नहीं दिया गया था।

ये मामला उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले के सेहरुआ गाँव का है। यहां की महिलाओं ने आज आजादी के बाद पहली बार बरसों पुरानी कुप्रथा को खतम कर मतदान किया। इन्हें अब तक ये पता ही नहीं था कि ईवीएम क्या होता है।

वैसे इस कुप्रथा को तोड़ने में जिला प्रशासन ने भी जीतोड़ कोशिश की। अफसरों के कई दौरे इस गाँव में हुए, जहां लोगों को मताधिकार के हक के बारे में जागरूक किया गया। शुरू में गाँव के पुरुष महिलाओं को बूथ तक भेजने के पक्ष में नहीं थे लेकिन बाद में वे राजी हो गए। गाँव के ही अलीमुल्ला बताते हैं कि पिछली बार काफी प्रयास के बाद आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने वोट डाला था।

वोट डालने के बाद पोलिंग बूथ के बाहर खड़ीं रुखसाना कहती हैं कि हमें काफी खुशी है। वहीं रेहाना कहती हैं लग रहा जैसे हमारे पंख ही लग गए हों।

गाँव के पूर्व प्रधान नत्थूलाल कहते हैं कि इस गाँव के पुरुष महिलाओं को वोट नहीं डालने देते थे। चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम, सभी पुरुषों का ये फरमान था कि महिलाएं वोट नहीं डालेंगी। आजादी के बाद से अब तक ये एक तरह से इस गाँव की परंपरा ही बन चुकी थी। गाँव के प्रधानपति हसीबुल्लाह कहते हैं कि कुछ तालीम का उजाला है और कुछ लोगों में बढ़ी जागरूकता का असर है। समाज बदल रहा है तो हम भी बदल गए हैं।

आज जब वोटिंग शुरू हुई तो कुछ महिलाएं बूथ पर आना शुरू हुईं। धीरे-धीरे हिन्दू हो या मुस्लिम सभी महिलाओं ने वोट किया।

     

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