नक्सलियों के गढ़ में वोटिंग की बारी, मतदाताओं में बंटवाई जा रही विश्वासी पर्ची

Ashwani NigamAshwani Nigam   6 March 2017 8:49 PM GMT

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नक्सलियों के गढ़ में वोटिंग की बारी, मतदाताओं में बंटवाई जा रही विश्वासी पर्ची165 बूथों को अतिसंवेदनशील और 187 को संवदेनशील घोषित किया गया है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में नक्सल प्रभावित सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली जिलों की 13 विधानसभा सीटों पर 8 मार्च को वोट डाले जाएंगे। यह सीटें हैं सोनभद्र जिले की घोरावल, राबर्ट्सगंज, ओबरा और दुद्धी, मिर्जापुर जिले की मिर्जापुर नगर, छानबे, मझवां, चुनार, मड़िहान, चंदौली जिले की मुगलसराय, सैयदराजा, सकलडीहा और चकिया। इन विधानसभा सीटों पर पिछले कई विधानसभा चुनावों में नक्सली उत्पात मचाते रहे हैं। इस बार भी नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार की धमकी के बाद मतदाताओं के अंदर से डर समाप्त करने के लिए प्रशासन की तरफ से विश्वास पर्चियां बंटवाई जा रही हैं वहीं बूथों की सुरक्षा के लिए चुनाव आयोग ने व्यापक सुरक्षा बंदोबस्त किए हैं।

उत्तर प्रदेश के यह तीनों जिले बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों से जुड़े होने के कारण यहां नक्सलियों की आवाजाही बनी रहती है। नक्सलियों के घोषित लाल गलियारे यह हिस्सा होने के कारण यहां पर नक्सालियों ने बड़ी-बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है। यही कारण है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में यहां के 165 बूथों को अतिसंवेदनशील और 187 को संवदेनशील घोषित किया गया है। इन बूथों की सुरक्षा के लिए अर्धसैनिकल बलों को लगाया गया है।

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अवैध खनन और जंगलों की कीमतों लकड़ियों की कटाई, तस्करी, गरीबी और बड़ी संख्या में बदहाल जनजातीय समाज की स्थिति के कारण इन जिलों में नक्सलियों को अपना पैरा पसारने का अवसर मिला। झारखंड और छत्तीसगढ़ के जंगलों की सीमा सटे होने के कारण नक्सलियों ने इसे अपना ठिकाना इसलिए भी बनाया है कि वह जंगलों के रास्ते एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश आसानी से आ जा सकते हैं।

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हर बार की तरह इस बार भी नक्सलियों की चुनाव बहिष्कार की धमकी के कारण यहां मतदाताओं में डर है। ऐसे में मतदाताओं के डर को समाप्त करने के लिए और अधिक से अधिक मतदान के लिए चुनाव आयोग की तरफ से यहां पर लोगों के बीच विश्वासी पर्चियां बंटवाई जा रही हैं जिसका मकसद है कि लोगों के अंदर नक्सलियों का डर कम हो और लोग चुनाव के दिन मतदान के लिए बूथ तक जाएं। चुनाव आयोग की तरफ से सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ, बीएसफ और सीआईएफ को भी यहां पर तैनात किया गया है। मतदान के लिए निगरानी के लिए हेलीकाप्टर भी लगाए गए हैं।

नक्सल प्रभावित इन जिलों में विधानसभा चुनाव करना हमेशा से चुनौती रह है। साल 2002 में मतदान कराके लौट रही पोलिंग पार्टी पर नक्सलियों ने हमला किया था। साल 2004 में चंदौली जिले के नौगढ़ थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट करके उत्तर प्रदेश पीएससी के 18 जवानों को उड़ा दिया था। इसके अलावा यहां पर नक्सली छिटपुट घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं।

विधानसभा चुनाव के इस चरण में उत्तर प्रदेश के आदिवासियों को भी अपनी ताकत दिखाने का मौका मिलेगा। उत्तर प्रदेश में 11 लाख, 34 हजार, 273 आदिवासी रहते हैं। जिसमें सबसे ज्यादा आबादी उनकी इन्हीं तीन जिलों मं हैं। ऐसा पहली बार है जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दो सीटों आदिवासियों के लिए आरक्षित की गई हैं। यह सीटें हैं सोनभद्र जिले की दुद्धी और ओबरा। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में एक भी आदिवासी विधायक नहीं चुना गया था। जिसको लेकर आदिवासी संगठनों ने आवाज उठाई और अपनी जनसंख्या का हवाला देकर सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद इस बाद दो सीटों को उनके लिए आरक्षित किया गया।

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