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किसानों की आय दोगुनी करने की पहल, यूपी में खुलेंगे 20 नए कृषि विज्ञान केंद्र

Krishi Vigyan Kendra

लखनऊ। बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा था कि किसानों की आय हर हाल में 2022 तक दोगुनी कर देनी है। लेकिन कैसे संभव होगा ? जिलों में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्र इसमें बड़ी भूमिका अदा किर सकते हैं। क्योंकि इस केंद्र से किसानों को नयी तकनीकी सिखाई जाती है, और ये भी सच है कि पारंपरिक खेती से किसानों की आय बढ़े, ये मुश्किल है। ऐसे में भाजपा की राज्य सरकारों की नजर कृषि विज्ञान केंद्रों पर है। इसी के तहत उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश के किसानों को 20 नए कृषि विज्ञान केंद्रों की सौगात देने जा रही है। ये केंद्र आईसीएआर (इंडियन काउसिंल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च) की मदद से खोले जाएंगे। इसकी पुष्टि प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने मंगलवार को की।

लखनऊ के कृषि निदेशालय में मंगलवार को प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केवीके के वैज्ञानिकों और कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की समीक्षा बैठक ली। बैठक में कृषि मंत्री इस बात पर जोर दिया गया कि केवीके पर आया किसान निराश नहीं होना चाहिए और उन्हें हर हाल में खेती की नयी तकनीक सिखाई जाए। बैठक को संबोधित करते कृषि मंत्री ने कहा “सभी अधूरे काम अगले सत्र तक पूरे कर लिए जाएं। इसमें अगर लापरवाही बरती गयी तो अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। केंद्र सरकार चाहती है कि किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी हो, ऐसे में इस निर्णय में किसी को बाधक नहीं बनने दिया जाएगा। हमें मिलकर प्रधानमंत्री का सपना पूरा करना है। केवीके से किसानों को नई तकनीकी सिखाई जाए तोकि किसानों को केवीके से प्रेरणा मिले और उन्हें आयजनित फसल के बारे में सिखाया जाए। इस मुहिम में आईसीएआर केवीके की हर संभव मदद करेगा।”

प्रदेश में खुलेंगे 20 नए कृषि विज्ञान केंद्र

प्रदेश में 20 नए कृषि विज्ञान केंद्र खुलेंगे। इसके लिए आईसीएआर की ओर से 15 करोड़ रुपए का बजट भी प्रस्तावित है। इसके अलावा प्रदेश में संचालित कुल 69 केंद्रों को अगले सत्र तक सुचारु रूप से चलाया जाने के निर्देश कृषि मंत्री ने दिए हैं।

लापरवाह जाएंगे जेल

बैठक में आए कुलपतियों ने अपनी समस्या रखी। बैठक में ये बात भी सामने आयी कि आधे से ज्यादा कृषि भवन केंद्र मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। कहीं पानी नहीं है तो बाउंड्रीवॉल नहीं है, कहीं-कहीं तो बस दीवार बनी है, छत गायब है। इस पर कृषि मंत्री ने सख्त रवैया अपनाते हुए कहा “ये आश्चर्य की बात है लाखों रुपए पास होने के बाद भी काम अधूरे हैं। ऐसी एजेंसियों की लिस्ट बनाई जा रही है। उनके बैंक खातों की जांचकर उन पर कार्रवाई की जाएग।” फतेहपुर में 2007 में केवीके बनाने का प्रस्ताव आया था। प्रदेश सरकार से पैसे भी पास हो गए, लेकिन निर्माण करने वाली एजेंसी गायब है। वहां कृषि वैज्ञानिक ने इसकी शिकायत की। इस पर कृषि मंत्री ने कहा कि उक्त एजेंसी का पता लगाया जाएगा और जांच होगी कि ऐसे लोगों को किसके कहने पर बजट दिया गया।

प्रदेश में पहले से ही 69 कृषि विज्ञान केन्द्र संचालित हैं। एक कृषि विज्ञान केन्द्र पर करीब 16 लोगों का स्टॉफ होता है, जिसमें छह विषयों के कृषि विशेषज्ञ और दूसरे पद हैं। बागवानी, कृषि विज्ञान, फसल सुरक्षा, मृदा विज्ञान, पशु विज्ञान, गृह विज्ञान, कृषि प्रसार के विशेषज्ञों की नियुक्ति होती है।

कृषि विज्ञान केंद्रों को मिलेगी राहत

कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों ने ने एक सुर में आवाज उठाई कि एक तो काम के हिसाब से हमारे पास स्टाफ कम है। ऐसे में 10 रुपए भी पास कराने के लिए हमें विश्वविद्यालयों का चक्कर लगाना पड़ता है। ऐसे में बहुत समय जाया होता है। इस समस्या का हल करते हुए कृषि मंत्री कृषि वैज्ञानिकों को राहते देते हुए कहा कि हम इस पर विचार कर रहे हैं, और कोशिश कर रहे हैं कि केंद्रों को 50 हजार रुपए तक काउंटर सिस्टम खत्म किया जाए।

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