मेरठ में हर रोज आरओ से बर्बाद हो रहा 21 लाख लीटर पानी  

Sundar ChandelSundar Chandel   17 Dec 2017 3:07 PM GMT

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मेरठ में हर रोज आरओ से बर्बाद हो रहा 21 लाख लीटर पानी  प्रतीकात्मक फोटो

अभी तक भू-जल स्तर गिरने की मामले मई-जून के महीने में ही दिखायी देते थे, लेकिन मेरठ और आस-पास के क्षेत्र का भूजल स्तर दिसंबर के माह में गिर रहा है। एक्स्पर्ट ने भी इसे अचंभा मानते हुए जब इसके कारणों का पता लगाया तो चौकाने वाला सच सामने आया।

महानगर व कुछ आसपास के गाँवों के ज्यादातर घरों में आरओ लगे हैं। जो रोजाना हमे टीडीएस कंट्रोल कर हर घर को औसत दस लीटर पानी पीने को देते हैं। वहीं 90 फीसदी लोग अंजान हैं कि उनका आरओ दस लीटर पानी के लिए 30 लीटर पानी बर्बाद कर रहा है। भू-जल स्तर गिरने का यही बड़ा कारण है।

70 हजार आरओ सिस्टम

कई कंपनियों के आरओ डिस्ट्रीब्यूटर बताते हैं कि जिले में लगभग 70 हजार आरओ सिस्टम लगे हैं। लोकल से लेकर ब्राडेंड कंपनियों के तक के आरओ बाजार में उलब्ध है। आरओ लगवाने की होड़ के चलते शहर की कई प्रतिष्ठित दुकानों पर आरओ की बिक्री चार गुनी तक बढ़ गई है। जनपद के 50 फीसदी गाँवों में भी इसका उपयोग होने लगा है। डॉक्टरों की सलाह भी रहती है कि पानी में कई तरह के नुकसानदायक तत्व मानव शरीर के लिए बहुत हानिकारक हैं। इसके चलते घरों में आरओ एक जरूरत बन गई है।

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पानी संरक्षण की पड़ रही जरूरत

जलकल विभाग के अधिकारी बीवी अवस्थी बताते हैं कि पानी की स्वच्छता के लिए खास से लेकर आम आदमी तक संवेदनशील है। इससे घरों में आरओ की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि आरओ रोजाना हमारे घरों में 10 लीटर पानी तो दे रहा है, पर इसके लिए 30 लीटर जल को बर्बाद भी कर रहा है। किसी भी आरओ कंपनी ने बर्बाद हो रहे इस जल के बचाव का कोई प्रावधान नहीं किया, जिसके चलते जाड़ों में भी पानी संरक्षण की जरूरत पड़ रही है। जल संरक्षण की मुहिम को लेकर जो सामाजिक संस्थाएं शहर और देहात में आए दिन कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं। उन्हे जागरूक होकर अन्य लोगों को जागरूक करना होगा।

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21 लाख लीटर पानी बर्बाद

जलकल विभाग में एक्सपर्ट डॉ. निमेश श्रीवास्तव बताते हैं कि जनपद में करीब 70 हजार आरओ सिस्टम लगे होने का आंकड़ा मिला है। इससे साफ हो जाता है कि रोजाना 21 लाख लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। इतने बड़े स्तर पर पानी की बर्बादी भू-जलस्तर पर असर डाल रही है, अन्यथा जाड़ों में कभी जल संरक्षण करने की जरूरत नहीं पड़ी। शहर में कई जिम्मेदार लोगों ने पानी की बर्बादी को लेकर उच्चाधिकारियों से मिलने की बात कही है।

समाज सेवी इमरान सिद्दीकी बताते हैं कि आरओ द्वारा पानी व्यर्थ करने को लेकर गंभीर मंथन की जरूरत है। इस मामले में सभी सामाजिक संस्थाओं से मिलकर बात करने की जरूरत है।

आरओ से टीडीएस कंट्रोल करने के लिए तीन गुना पानी बर्बाद हो रहा है। इसके लेकर जागरूक होने की आवश्यकता है। हमारी संस्था आरओ से निकलने वाले पानी के इस्तेमाल को लेकर अभियान शुरू करने जा रही है।
रमन त्यागी, डायरेक्टर नीर फाउंडेशन

ऐसे बचाए पानी

  • जिन घरों में पानी स्वतः ही 200 टीडीएस तक है, वहां आरओ की जरूरत नहीं है
  • आरओ निकलने वाले पानी को बर्तन धोने, कपडे धोने, पेड़ों में पानी डालने आदि काम में लाया जा सकता है
  • 200 से ज्यादा फिट बोर के पानी शुद्ध होता है, ऐसे गाँव के घरों में आरओ की जरूरत नहीं है

इस पानी से आप कपड़े धुलना भी पसंद नहीं करेंगे, लोग पीने को मजबूर हैं... देखिए वीडियो

     

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