अर्धकुंभ में संतों का जारी होगा आईकार्ड, फर्जी बाबाओं पर लगेगी लगाम

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अर्धकुंभ में संतों का जारी होगा आईकार्ड, फर्जी बाबाओं पर लगेगी लगामअखिल भारतीय अखाड़ा परिषद महंत

लखनऊ। संतों के एक समूह ने सीएम योगी आदित्यनाथ से शास्त्री भवन में मुलाकात की। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के मेंबर के साथ इस मीटिंग में 18 परिषदों के 28 संत शामिल थे। इस मीटिंग में 14 फर्जी बाबाओं पर कार्रवाई की बात सीएम ने कही है।

अर्धकुंभ में संतों का जारी होगा आईकार्ड

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने कहा, "सीएम योगी ने 14 फर्जी बाबाओं पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है। सीएम ने अखाड़ा परिषद को अर्धकुंभ में संतो को आईकार्ड जारी करने का निर्देश दिया है।"

नरेंद्र गिरी बाताते हैं, "संत वही है, जो ब्रह्मचर्य का पालन करे। हमने जो 14 फर्जी बाबाओं की लिस्ट जारी की है। वह संत धर्म का पालन नहीं कर रहे हैं। हमने देश भर के अपने अनुनायियों को अपने आस-पास नजर रखने को कहा, जो धर्म के नाम पर अपनी दुकान चलाते हैं। उसका नाम हमें बताएं, हम जांच कर फेंक बाबाओं की लिस्ट में उसका नाम भी डालेंगे।" राम रहीम केस के बाद फर्जी बाबाओं के खिलाफ देश के लोगों में गुस्सा है।

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अर्धकुंभ- 2019 में बेहतर व्यवस्था करने की कोशिश

सीएम से मुलाकात में महंतों ने कुम्भ मेले की व्यवस्था बेहतर करने के प्रयास का आश्वासन दिया है। जूना अखाड़ा के महामंत्री महंत हरिगिरि ने कहा, "परिक्रमा करने में अतिक्रमण की समस्या है। इस वजह से परिक्रमा ठीक से नहीं हो पाती है। इसकी व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए।" महंत हरिगिरि ने कहा, सीएम को प्रस्ताव दिया कि संगम और उसके आस पास अस्थायी टॉयलेट का निर्माण कराया जाए। जिस जगह पर सीता मां ने स्नान किया था, वहां बैराज बनाया जाए। समय-समय पर पानी छोड़ा जाए, ताकि संगम में पानी आता रहे।"

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महंतों ने बताया, "कुम्भ में व्यवस्थाओं को लेकर अभी राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेंगे। कुछ व्यवस्थाओं में आर्मी की मदद भी लेंगे। इसके अलावा अखाडा के जो अस्थायी निर्माण हो उसे सरकार बनवाए।

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इलाहाबाद का नाम प्रयाग रखा जाए

महंतों ने सीएम योगी के सामने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयाग रखने का भी प्रस्ताव दिया है। महंतों का तर्क है, "इलाहाबाद धार्मिक नगरी है। शुरु से ही इलाहाबाद को प्रयागराज के नाम से जाना जाता है। ऐसे में इस शहर का नाम बदलना चाहिए।"

सीएम योगी की गाड़ी में पहुंचे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष

योगी आदित्यनाथ भले ही सीएम बन गए हो, लेकिन संत समाज के प्रोटोकॉल को आज भी फॉलो करते हैं। दरअसल, सुबह 10.45 पर जब सीएम योगी ऑफिस पहुंचे, उनके साथ गाड़ी में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष भी मौजूद थे।

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10 सितंबर को जारी हुई थी फर्जी बाबाओं की लिस्ट

10 सितंबर को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने रविवार को फर्जी बाबाओं की लिस्ट जारी हुई थी। उस वक्त अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा था, "ये उन लोगों की लिस्ट है, जो धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। ऐसे बाबाओं जेल में डाल देना चाहिए और इनकी संपत्त‍ि जब्त कर लेनी चाहिए।

  1. आसाराम बापू उर्फ़ आसुमल शिरमालानी।
  2. राधे मां उर्फ सुखविंदर कौर।
  3. सच्चिदानंद गिरी उर्फ सचिन दत्ता।
  4. गुरमीत सिंह सच्चा डेरा सिरसा।
  5. ओम बाबा उर्फ विवेकानंद झा।
  6. निर्मल बाबा उर्फ निर्मलजीत सिंह।
  7. इच्छाधारी भीमानंद उर्फ शिवमूर्ति द्विवेदी।
  8. स्वामी असीमानंद।
  9. ओम नमः शिवाय बाबा।
  10. नारायण साईं।
  11. रामपाल।
  12. कुशमुनि।
  13. स्वामी ब्रष्पद।
  14. मलखान गिरी।

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कुशमुनि ने भेजा कानूनी नोटिस

आचार्य कुशमुनि ने अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष नरेन्द्र गिरि को बाकायदा कानूनी नोटिस भेज दिया है। वहीं, कुछ अन्‍य फर्जी-करार बाबा परिषद के खिलाफ नोटिस भेजने की तैयारी में हैं। आशंका है कि फर्जी घोषित बाबाओं के अर्द्धकुंभ में आने पर रोक लग सकती है।

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मानहानि का मुकदमा की धमकी

बता दें, अखाड़ा परिषद ने जिन 14 बाबा को फर्जी घोषित किया है, उनमें इलाहाबाद के सिविल लाइंस के पास बने सिद्धेश्‍वरी गुप्‍त महापीठ के महंत आचार्य कुशमुनि का भी नाम है। सोमवार को उन्‍होंने परिषद के अध्‍यक्ष नरेंद्र गिरी को कानूनी नोटिस भेज दिया। कुशमुनि के वकील ज्‍योति गिरी ने नरेंद्र गिरी को लिखा है, ''आपने निराधार तथ्‍यों के आधार पर मेरे मुवक्किल आचार्य कुशमुनि को फर्जी बाबाओं की सूची में रखा है। ऐसा सिर्फ बदला लेने के लिए किया है। अगर आप उनका नाम उस सूची से नहीं हटाते हैं तो आपके ऊपर क्‍यों न मानहानि का मुकदमा किया जाए?''

बृहस्पत गिरी ने कहा- अखाड़ा परिषद कौन होता है, हमें सर्टिफिकेट देने वाला

दूसरे बाबा बृहस्पत गिरी ने बरेली में कहा, ''कौन सिद्ध पुरुष है और कौन नहीं, ये नापने का आखाड़ा परिषद के पास क्‍या पैमाना है?'' ''हमको निकालने वाले या हमको फर्जी बाबा कहने वाले वो कौन होते हैं, ना तो उन्‍होंने हमें बाबा बनाया ना ही हमारा उनसे कोई वास्‍ता रहा। फिर वो हमें साधु होने या ना होने का सर्टिफिकेट कैसे दे सकते हैं।''

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