सेना के मध्यकमान की खुफिया जानकारी पाकिस्तान भेजते थे आईएसआई एजेंट: यूपी पुलिस
गाँव कनेक्शन 4 May 2017 8:22 PM GMT
लखनऊ। यूपी एटीएस और महाराष्ट्र एटीएस की संयुक्त कार्रवाई में गिरफ्तार किए गए तीनों आईएसआई एजेंटों ने पूछताछ में बताया है कि यह लोग सेना के मध्य कमान की गतिविधियों को पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं देते थे।
बुधवार गिरफ्तार किए गए अल्ताफ कुरैशी के सहयोगी जावेद पुत्र इकबाल निवासी युसुफ मंज़िल अग्री पाडा मुंबई से गुरुवार को सुबह गिरफ्तार किया गया है। आफताब अली से पूछताछ में यह जानकारी मिली है कि नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास के एक अधिकारी मेहरबान अली से इसका संपर्क था, जिन्हें यह सूचना देता था। पिछले साल मेहरबान अली को जासूसी के आरोप में पाकिस्तान वापस भेज दिए गया था। इस बारे में गुरुवार को एनेक्सी में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस के एडीजी कानून-व्यवस्था आदित्य मिश्र ने बताया, ‘गिरफ्तार आईएसआई एजेंटों से पूछताछ में और भी जानकारी मिलने के संभावना है।’
एटीएस का दावा है कि ये तीनों आरोपी पाकिस्तानी दूतावास और आईएसआई को भारत से खुफिया सूचनाएं एकत्र करके उपलब्ध करवाते रहे हैं। एटीएस ने फैजाबाद से आफताब और उससे पूछताछ के आधार पर मुंबई से जावेद और अल्ताफ नाम के दो दूसरे एजेंट को दबोचने में कामयाबी हासिल की।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी दूतावास के कर्मचारी मेहरबान अली के निर्देशों पर ही अल्ताफ कुरैशी को जावेद पैसे उपलब्ध कराता था। अल्ताफ ने इन सूचनाओं के लिए आफताब अली के खाते में पैसे जमा कराए थे। एटीएस यूपी के इंस्पेक्टर अविनाश मिश्र दोनों अभियुक्त अल्ताफ कुरैशी और जावेद को मुंबई के संबंधित न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा और ट्रांज़िट रिमांड का आदेश लेकर लखनऊ लाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि सेना की मिलिट्री इंटेलीजेंस के अधिकारियों की ने सूचना दी थी जिसके बाद 25 जनवरी 2017 को लखनऊ, हरदोई और सीतापुर में अवैध सिमबाक्स चलाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया गया था, जिसमें आफताब अली फैजाबाद का नंबर भी संदिग्धता के दायरे में आया था। आफताब के नंबर पर पाकिस्तान से कॉल भी आए थे।
अपर पुलिस अधीक्षक राजेश साहनी के नेतृत्व में आईएसआई एजेंटों की गिरफ्तारी करने वाली टीम को पुरस्कृत किए जाने की घोषणा की गई है। इस सराहनीय काम में निरीक्षक अविनाश मिश्र, एसआई अरविन्द सिंह, दिनेश शर्मा, संजय सिंह, सुरेश गिरि, सुनील सिंह, केएम राय सहित कमाण्डो टीम की प्रमुख भूमिका रही। पिछले दो दिनों में तीन लोगों को पकड़कर एटीएस ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के बड़े तंत्र को तोड़ा है। जनवरी 2017 में पकड़े गए एक अवैध एक्सचेंज की सर्विलांस के बाद इन एजेंटों का सुराग लगा। यूपी एटीएस ने इस पर तेजी से कार्रवाई करते हुए एक एजेंट को फैजाबाद और दो को मुंबई से दबोचा।
एटीएस का दावा है कि ये तीनों आरोपी पाकिस्तानी दूतावास और आईएसआई को भारत से खुफिया सूचनाएं एकत्र करके उपलब्ध करवाते रहे हैं। एटीएस ने फैजाबाद से आफताब और उससे पूछताछ के आधार पर मुंबई से जावेद और अल्ताफ नाम के दो दूसरे एजेंट को दबोचने में कामयाबी हासिल की।
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर ने प्रेस कांफ्रेंस जारी कर बताया कि आरोपी आफताब की नानी पाकिस्तान में रहती हैं। उसने 2014 में तीन बार पाकिस्तान जाने के लिए दिल्ली में पाकिस्तानी दूतावास जाने के लिए वीसी आवेदन किया मगर उसका वीजा नहीं हुआ जिसके बाद वह मेहरबान अली के संपर्क में आया।
मेहरबान अली ने उसको कहा कि अगर वह आईएसआई के लिए काम करेगा तो उसका वीजा करवा दिया जाएगा जिसके बाद में आफताब ने मेहरबान को फैजाबाद में सेना के मूवमेंट के कुछ फोटो उपलब्ध करा दिए जिस पर उसका वीजा मेहरबान अली ने करवा दिया। इसके बाद में वह मई 2014 की शुरुआत में कराची के ग्रीन टाउन में अपनी नानी के घर दो महीने के लिए रहा।
महाराष्ट्र और यूपी एटीएस ने साथ काम किया
इसके बाद में उसको लाहौर में प्रशिक्षण दिया। भारत आने पर उसने मेहरबान अली से मिलना जुलना जारी रखा। इस दौरान आफताब लगातार फैजाबाद सेना के वीडियो और फोटो व्हाट्सऐप के जरिए पाकिस्तान भेजता रहा। उसके पाकिस्तानी उच्चायोग से संपर्क में रहने के कई प्रमाण एटीएस को मिले हैं। फैजाबाद ही नहीं अमृतसर से भी सेना के मूवमेंट की जानकारियां वह पाकिस्तान भेजता रहा। लगातार अल्ताफ के खातों में रुपया जमा करने की जानकारियां भी एटीएस को मिली हैं। इन आईएसआई एजेंटों की गिरफ्तारी में महाराष्ट्र और यूपी एटीएस ने साथ मिलकर काम किया है।
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