‘आज़ाद भारत में रौंदे जा रहे आज़ादी के सुबूत, सचेत हो जाए युवा पीढ़ी’

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‘आज़ाद भारत में रौंदे जा रहे आज़ादी के सुबूत, सचेत हो जाए युवा पीढ़ी’सुभाष चन्द्र कुशवाहा ने कहा जो देश जंग ए-आजादी के नायकों का सम्मान भूल जाता है, उस देश का भविष्य अच्छा नहीं होता।

रिपोर्टः अरविंद कुमार

अयोध्या/फैजाबाद। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकान्द सभागार में काकोरी एक्शन डे पर शुरू हुआ तीन दिवसीय अयोध्या फिल्म फेस्टिवल का समापन समारोह के दौरान चौरी-चौरा जनविद्रोह और अवध के किसान आंदोलन को लेकर क्रांतिकारी साहित्य लेखक सुभाष चन्द्र कुशवाहा ने कहा कि देश की आजादी के 70 सालों बाद भी हालात यह है कि आजादी आंदोलन के समय के सारे सबूत रौंदे जा रहे हैं। उन्होने कहा कि जो देश जंग ए-आजादी के नायकों का सम्मान भूल जाता है, उस देश का भविष्य अच्छा नहीं होता।

‘काकोरी केस के क्रांतिवीरों की विरासत और आज का समाज’ विषय पर इतिहासकार डॉ. आलोक वाजपेयी ने कहा कि राष्ट्रीय आंदोलन में जिन क्रांतिकारियों ने अपनी आहुति दी थी, उसका तथ्यों के साथ समाज के सामने आना जरुरी है।

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क्रांतिकुमार कटियार ने सरदार भगत सिंह के साथी रहे अपने पिता डॉ. गया प्रसाद कटियार के आजादी आंदोलन के दौरान कठिनाईयों को साझा किया। अमर शहीद यमुना प्रसाद त्रिपाठी के प्रपौत्र इंजीनियर राज त्रिपाठी ने हुए कहा कि यह फिल्म फेस्टिवल अगस्त क्रांति की याद दिलाता है।

फेस्टिवल में अमर शहीद तात्या टोपे के वंशज विनायक राव टोपे, सरदार भगत सिंह के पार्टी केन्द्रों के चीफ़ रहे डॉ. गया प्रसाद कटियार के पुत्र क्रांति कुमार, अमर शहीद जमुना प्रसाद त्रिपाठी के पौत्र इंजीनियर राज त्रिपाठी, इतिहासकार डॉ. आलोक बाजपेयी, क्रांतिकारी लेखक सुभाष चन्द्र कुशवाहा, अवध विवि के इतिहास विभागाध्यक्ष डॉक्टर अजय प्रताप सिंह ने उपस्थिति दर्ज कराई। काकोरी एक्शन के नायको पर पुष्पांजलि अर्पित कर याद किया। शहीद रोशन सिंह की प्रपौत्री सरिता सिंह, अजादी योद्धा गेंदालाल दीक्षित के वंशज डॉ. मधुसूदन दीक्षित भी मौजूद रहे।

काकोरी एक्शन की यादें की ताज़ा

फतेहगढ़ सेन्ट्रल जेल में अनशन के दौरान शहीद होने वाले मणीन्द्रनाथ बनर्जी के वंशज अरुण कुमार बनर्जी ने कहा काकोरी केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर को बनारस के गदौलिया चौराहे पर मणीन्द्र ने जितेन्द्रनाथ बनर्जी को गोली मारी थी। क्रांतिकारी अपने एक्शन को कितना गुप्त रखते थे कि आज तक उस रिवाल्वर का पता नहीं चला है। उन्होंने कहा कि चन्द्रशेखर आजाद की शहादत स्थल पर शुल्क लगाकर नौजवानों को क्रांतिकारी विरासत से दूर किया जा रहा है। उच्च न्यायलय को इस पर विचार करना चाहिए। डॉ. मधुसूदन दीक्षित ने चेतावनी दी कि जो अपने इतिहास को भूलता है वह समय का शिकार हो जाता है।

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तेलुगू फिल्मों के सुपरस्टार निर्माता-निर्देशक आदित्य ओम ने अपनी फिल्म ‘मास्साब’ के ट्रेलर रिलीज़ होने पर कहा कि यह गर्व की बात है कि उनकी फिल्म का ट्रेलर क्रांतिकारियों के वंशजों के बीच जारी हुआ है। उन्होंने कहा कि मेरी फ़िल्में चाहे वह ‘शूद्रा’, ‘बंदूक’, ‘अलिफ’ हो या बुनियादी शिक्षा पर आधारित ‘मास्साहब’, ये फ़िल्में सिस्टम को बदलने का सन्देश देती हैं।

इन्हें किया गया सम्मानित

‘अवाम का सिनेमा’ के संस्थापक शाह आलम ने अवाम के सिनेमा पर प्रकाश डाला। यहाँ देश-विदेश से भेजे गये शख्सियतों के वीडियो संदेश स्क्रीन पर प्रर्दर्शित किये गए। काकोरी एक्शन डे पर क्रांतिकारियों के वंशजों को अवध विश्वविद्यालय के प्रो. आरके विश्वकर्मा, डॉ. अनिल यादव, डॉ. संग्राम सिंह, डॉ. फारुख जमाल, प्रोफेसर विजय चतुर्वेदी व राजेश कुशवाहा ने सम्मानित किया. इस दौरान अभिमन्यु के नाम से प्रसिद्द मृगेन्द्र राज का बाल उपन्यास ‘उगती खुशियां’ का विमोचन किया गया।

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अतिथियों को प्रशस्ति पत्र दिए गये। पर्यावरण व्यवहार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जसवंत सिंह विश्वविद्यालय के अभियंता इंजीनियर आरके सिंह, आदित्य ओम व सरिता सिंह को पत्रकारिता विभाग के स्टूडेंट्स ने सम्मानित किया।

फिल्मों का हुआ प्रदर्शन

फेस्टिवल के समापन के दौरान अमर शहीद खुदीराम बोस को शहादत दिवस पर याद किया गया। रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय, लखनऊ के छात्रों की डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘मेला’, लघु फिल्म “मिट्टी” का प्रदर्शन हुआ। आजादी आंदोलन पर केन्द्रित दस्तावेजी फिल्म “इंकलाब” का प्रदर्शन भी हुआ। आने वाली फीचर फिल्म के कुछ अंश को दिखाकर फिल्म निर्देशक सत्येंद्र सिंह और अभिनेता रफी खान ने संवाद किया। फिल्म फेस्टीवल के तीनों दिन काकारी केस के नायकों से जुड़े दस्तावेजों की प्रदर्शनी लगी।

पर्यावरणविद् डॉ. विनोद चौधरी पुस्तकालयाध्यक्ष आरके सिंह ने भी हिस्सा लिया। डॉ. अजय प्रताप सिंह की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम में शहीद संस्थान के निदेशक सूर्यकांत पांडे ने ‘आजादी की डगर पे पांव यात्रा’ के अनुभवों को साझा किया। संचालन किया अवध विश्वविद्यालय के कोर्ट मेंबर ओम प्रकाश सिंह ने।

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