इस सरकारी स्कूल को देखकर आप भी प्राइवेट स्कूल को भूल जाएंगें

Shrinkhala PandeyShrinkhala Pandey   29 Dec 2017 2:25 PM GMT

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इस सरकारी स्कूल को देखकर आप भी प्राइवेट स्कूल को भूल जाएंगेंप्राइवेट सकूल की तरह बना ये सरकारी स्कूल।

सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में एक छवि बन जाती है कि वहां न तो अध्यापक रोज आते हैं और न ही पढ़ाई होती है। लेकिन बारांबकी जिले का देवां ब्लाक का प्राथमिक स्कूल अटवटमऊ इस बात को गलत साबित कर रहा है।

विद्यालय की रंग बिरंगी दीवारें जिनपर कविताएं व पहाड़े लिखे हैं तो वहीं दूसरी तरह कक्षाओं में बेंच व डेस्क पर व्यवस्थित रुप से बैठकर पढ़ते बच्चों को देखकर हर किसी को लगता है कि ये कोई प्राइवेट स्कूल है।

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के अनुसार प्रदेश में 1,13,500 प्राथमिक व 45,700 उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं, अगर इनमें भी ऐसी सुविधाएं हो जाए तो कोई भी बच्चा निजी विद्यालयों में फीस देकर पढ़ने नहीं जाएगा लेकिन ज्यादातर सरकारी स्कूलों की हालत बदतर है। ऐसे में ये स्कूल कम संसाधनों में अच्छा कर रहे हैं।

स्कूल के प्रधानाध्यापक अनुज श्रीवास्तव बताते हैं, “मैंने 2016 में जब स्कूल ज्वाइन किया तो मुश्किल से 18 से 20 बच्चे थे जिन्हें एक अध्यापिका पढ़ा रही थी। उसके बाद मैनें व सहायक अध्यापक अनुपम मिश्रा ने मिलकर ये सोचा कि पहले स्कूल में बच्चों को लाना होगा जिससे ये स्कूल लगने लगे।” इसके लिए जब हम गाँव गए तो वहां अभिवावकों के दिमाग में प्राइवेट स्कूलों ने घर कर रखा था। उन्हें लगता था कि वहां उनके बच्चे पढ़ पाएंगें। इसके बाद हमने स्कूल के माहौल को बदलने पर ध्यान दिया।

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वो आगे बताते हैं, “हम दोनों अध्यापक हर महीने अपने वेतन से 1000 रुपए स्कूल फंड में जमा करते हैं जिससे स्कूल का अतरिक्त सामान आ सके। हमारी इस पहल को देखकर लोग हमसे जुड़ते गए और हमारी मदद के लिए आगे भी आए।

डेस्क पर बैठने से बच्चों में आया आत्मविश्वास

सरकारी स्कूलों में ज्यादातर बच्चों के बैठने के लिए टाट पट्टियों का ही बजट आता है। ऐसे में स्कूल में एक इंडियन बैंक के रिटायर्ड अधिकारी ने समाज सेवा के तौर पर स्कूल में बेंच व डेस्क दी तो उनमें एक उत्साह जागा कि अब वो भी दूसरे बच्चों की तरह ऊपर बैठकर पढ़ेगें। इसके अलावा इस स्कूल के अध्यापकों ने हर कक्षा के लिए वर्कबुक छपवाई है, रंग बिरंगें पन्नों को देखकर बच्चों का भी पढ़ने का मन करता है।

बच्चों को याद हैं पहाड़े व कविताएं।

बच्चों को याद हैं 20 तक पहाड़े व संस्कृत के श्लोक

कक्षा एक की पढ़ने वाली छात्रा शीतल ने 9 तक पहाड़ा बिना रुके सुनाया तो वहीं कक्षा पांच की छात्रा शामिया ने संस्कृत का श्लोक बिल्कुल सही उच्चारण के साथ सुनाया। कक्षा तीन की छात्राएं अंग्रेजी में अपना पूरा नाम, अपने माता पिता का पूरा नाम और पता बताती हैं।

पढ़ाई में तकनीकी उपकरणों की ली जाएगी मदद

प्रधानाचार्य अनुज श्रीवास्तव बताते हैं, हमारी आगे की रणनीति है कि हम पढ़ाई के लिए बच्चों को तकनीकी उपकरण दिलाएं जिससे उनका रुझान बढ़ सके और वो रोज स्कूल पढ़ने आएं। हमारे यहां पिछले दो साल में बच्चों का नामांकन भी बढ़ा है।

बच्चे डेस्क पर बैठकर पढ़ते हैं।

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