पैंतीस साल पुराने बने इस मंदिर में आज पहली बार सन्नाटा पसरा था। पीले रंग की पट्टी से मंदिर के परिसर को पुलिस ने सीज कर दिया है। यही वो परिसर है जहां 3 जनवरी 2021 की रात आंगनवाड़ी सहायिका के साथ दरिदंगी हुई थी।
सुबह के करीब 8 बजे मंदिर के बाहर बने चबूतरे नुमा हवनकुंड में पांच-छह पुलिस के जवान, गांव के प्रधान और एक 60 वर्षीय बुजुर्ग आग जलाकर हाथ सेक रहे थे।
आग ताप रहे एक 60 वर्षीय ग्रामीण ने बताया, “हम लोग नहीं जानते थे ये बाबा (महंत) ऐसा घिनौना काम करेगा। सात साल से वही इस मंदिर की देखरेख करता था। तांत्रिक भी है इस वजह से दूसरे गांव के लोग भी उससे झड़वाने आते थे।”
“मंदिर में रोज सुबह आठ बजे और रात्रि के 9 बजे आरती होती थी जिसको मन करता था वो लोग आरती में शामिल हो जाते थे। पर अगर हमें थोड़ा भी अंदाजा होता कि वो ऐसा काम करेगा तो उसको गांव में नहीं टिकने देते, ” बुजुर्ग की बातों में महंत को लेकर गुस्सा था।
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देश में यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी बाबा या पुजारी और मौलवी ने ऐसी घटना को अंजाम दिया हो। आशाराम बाबू से लेकर राम रहीम तक बलात्कार के केस में जेल की हवा खा रहे हैं।
गांव कनेक्शन ने जब इस महंत के बारे में कई लोगों से जानने की कोशिश की तो एक बाद सबने बताई कि महंत तांत्रिक विद्या जानता था और झाड़फूंक करता था, मंदिर पर आस पास गांव की ज्यादातर महिलाएं आती थीं।
एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “इस पुजारी की हरकतें किसी से छिपी नहीं हैं पर कोई बोलने को इसलिए तैयार नहीं है क्योंकि जो बोलेगा पुलिस उसे उठा ले जाएगी।”
गांव के व्यक्ति ने 2 साल पुरानी एक घटना का जिक्र किया, “इस महंत ने दो साल पहले भी पास के गांव की एक महिला को छेड़ा था उसने आवाज़ भी उठाई पर उसे दबा दिया गया। इन तांत्रिकों के प्रभाव में गांव की सीधी-साधी महिलाएं आ जाती हैं। ये भरोसा दिलाते रहते हैं कि तुम्हारे घर में जो कलह है, संकट और गरीबी है वो ठीक हो जाएगी, इसी बहकावे में महिलाएं अकसर फंस जाती हैं।”
गांव के कई पुरुषों और महिलाओ में कुछ ने दबे शद्बों तो कुछ ने खुले तौर पर उसके चरित्र पर सवाल उठाए।
“हमें महंत की बातों पर भरोसा नहीं हुआ। पुलिस के पास जब रिपोर्ट लिखवाने गए तो पुलिस ने कहा जाओ लाश जला दो, गरीब हो घर में कौन पैरवी करेगा, इन केसों में बहुत भागदौड़ और पैसा खर्च होता है तो हम भी चुपचाप चले आये। बाबा सोमवार की शाम को मंदिर से भागा है उससे पहले तक वो सबको कुएं में गिरने वाली कहानी बताता रहा।”
मृतका के बेटे ने भी बताया, “रविवार को महंत ने मेरी माँ को कई बार फोन किया था। शाम चार बजे भी फोन आया तब मां पांच बजे गयीं। वो अकसर रविवार को पूजा करने के लिए महंत के यहां जाया करती थीं। मेरी नानी भी वहीं रहती हैं वो रात में वहां रुक जाती थीं। उस दिन भी जब घर नहीं आईं तो हमने सोचा वहीं रुक गयी हैं।”
वर्ष 1985 में इस मंदिर की नींव रखी गई थी। ग्राम प्रधान के अनुसार गांव के ही एक व्यक्ति ने जिनका नाम ठाकुर भोपशी था उन्होंने अपनी 18-20 बीघा जमीन इस मंदिर के नाम पर दान कर दी थी। जो भी इस मंदिर की देखरेख करता है वही इस जमीन से पैदा हुई उपज भी रखता है। इन खेतों की सिंचाई के लिए मंदिर परिसर के अंदर ही ट्यूबवेल का एक कुआं बना हुआ है। ये भी कहा जा रहा है कि आंगनबाड़ी सहायिका को गंभीर चोट इस कुएं में गिरने से आईं। हालांकि वो कुएं मैं केसे गिरी ये किसी को नहीं पता।
मृतका का मायका भी इसी गांव में है। जब गांव कनेक्शन की टीम जब मृतका की 60 वर्षीय माँ से मिलने पहुंची तो वो गोबर के सने हाथों बाहर निकलीं और औंधे मुंह गिर पड़ीं।
रोते-रोते कह रहीं थीं, “अब तो भगवान से भी भरोसा उठ गया है। पूजा करने गई और उसके साथ इतनी ज्यादती हो गई। हमें तो पता भी नहीं था कि वो आज पूजा करने आई है। कभी-कभी नहीं आ पाती थी तो हमने सोचा आज भी नहीं आई होगी।”
वो आगे बोलीं, “जब चार बजे दामाद (मृतका के पति) जी आए और कहे मंदिर चलो महंत से पूछों चलकर सब कैसे हुआ? तब हम महंत के पास गए तब वो मंदिर में सो रहा था।”
“महंत ने हमें बताया कि तुम्हारी बिटिया बगल वाले कमरे में जो कुआं बना है उसी में गिर गई थी तो उसे हम घर छोड़ आये। हमने महंत के कपड़ों में खून लगा देखा पूछने पर वो बोला कि तुम्हारी बिटिया को कुंए से निकाल रहे थे तभी खून लग गया है। “मृतका की माँ ने बताया।
इस पंचायत के ग्राम प्रधान ने आस पास बोई फसलों की तरफ इशारा करते हुए कहा, “इस 18-20 बीघा जमीन में जितना पैदा होता था सब वही रखता था। कभी-कभी यज्ञ और भण्डारा होता था। मंदिर का सारा खर्चा इसी फसल से बाबा करता था।आदमी तो ठीक ठाक ही दिखता था अब कोई उसके मन में घुसा तो बैठा नहीं था। ”
मृतका की माँ ने कहा, “हमें महंत की बातों पर भरोसा नहीं हुआ। पुलिस के पास जब रिपोर्ट लिखवाने गए तो पुलिस ने कहा जाओ लाश जला दो, गरीब हो घर में कौन पैरवी करेगा, इन केसों में बहुत भागदौड़ और पैसा खर्च होता है तो हम भी चुपचाप चले आये। बाबा सोमवार की शाम को मंदिर से भागा है उससे पहले तक वो सबको कुएं में गिरने वाली कहानी बताता रहा।”
महिला से गैंगरेप और हत्या के मुख्य आरोपी महंत को 8 जनवरी की देर रात पुलिस ने गांव से गिरफ्तार कर लिया। यूपी पुलिस ने उस पर 50 हजार का ईनाम घोषित किया था। मामले के दो आरोपियों को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। पुलिस आरोपियों पर रासुका के तहत भी कार्रवाई कर रही है। स्थानीय लोगों के मुताबिक महंत सत्य नारायण को देर रात गांव में एक भक्त के घर के ग्रामीओं ने पकड़ा जब वो गांव से भागने के फिराक में था।
5 जनवरी के बाद से ही बदायूं में हाथरस कांड जैसी गर्मागर्मी है। नेताओं और अधिकारियों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। पुलिस घटना स्थल को सीज कर रखा है।
मंदिर के पास मौजूद एक व्यक्ति ने सीज जगह की तरफ इशारा करते कहा, “वो जिस कमरे के ऊपर टीन रखी है उसी में सिंचाई वाले ट्यूबवेल का एक कुआं बना हुआ है। बाबा (महंत) ने सबको यही बताया कि वो (मृतका) पूजा करने आई थी तो गिर गई। पर बाबा की ये बात हम लोगों को हजम नहीं हो रही है।”