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बाराबंकी : धान का समर्थन मूल्य न मिलने पर उग्र हुए किसान, प्रशासन से मिला आश्वासन

बाराबंकी

बाराबंकी। उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों से खरीफ वर्ष 2017-18 के लिए प्रदेश में 50 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदने की घोषणा की है। सरकार ने तो ऑनलाइन धान खरीदने का फरमान तो सुना दिया है, लेकिन किसानों को अपना धान बेचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की जहां आज धान किसानों अपना-अपना धान लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों को आरोप है कि सरकारी धान क्रय केंद्रों में किसानों का धान नहीं लिया जा रहा है जिस वहज से किसान आपना धान 1000 से 1100 में आढ़तियों के हाथों बेंचने को मजबूर हैं।

बाराबंकी जिले में बदहाल धान खरीद व्यवस्था को देखते हुए जिले के तमाम किसानों ने भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले जिला मुख्यालय के गन्ना कार्यालय में धरना दे रहे है। किसानों की मांग है कि अगर हमारा धान सरकारी रेट पर नहीं खरीदा जाएगा तो हम लखनऊ में मुख्यमंत्री के पास अपनी समस्या लेकर जाएंगे।

भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष रामबरन वर्मा का कहना है, “किसानों का धान उचित मूल्य पर नहीं खरीदा जा रहा है। मील मालिको की साठ गांठ से धान का मूल्य सिर्फ 1000-1100 प्रति कुंतल ही खरीद हो रही है।”

रामबरन बताते हैं, “जिला प्रशासन से वार्ता हुई। जिला प्रशासन ने धान का उचित मूल्य दिलवाने के लिए कहा, लेकिन अगर हमारी समस्याए जस की तस बनी रही तो कल हम लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में आएंगे।”

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बाराबंकी के डिप्टी आरएमओ प्रभाकांत द्विवेदी बताते हैं, “जिले में 60 सरकारी धान क्रय केंद्रों की व्यवस्था की गई है। जो भी किसाना अपना धान सरकारी क्रय केंद्रों में बेचने को लाता है उसका धान सराकरी रेट 1550 रुपए में ही लिया जाता है। जनपद में धान अधिक मात्रा में है जो 28 फरवरी तक केंद्रों में खरीद होगी।” प्रभाकांत आगे बतात हैं, “किसानों को धान बेंचने के बाद जल्द से जल्द पैसे चाहिए होता है इस वजह से वे आढ़तियों या राइस मिलों को औने-पोने दाम में धान बेंच देते हैं। मंडी परिषद और जिला प्रशासन ने एक टीम बनाकर ऐसी ही दो राइस मिलों पर कार्रवाई की है जो सरकारी रेट से कम में किसानों का धान खरीद रहे थे।”

त्रिवेदीगंज ब्लॉक के नरेन्द्रपुर मदरहा में रहने वाले अवध राम (40 वर्ष) बताते, “हम लोग धान लेकर आते तो हैं लेकिन क्रय केंद्र पर खरीद न होने की वजह से हमको अपनी फसल बिचौलियों को बेचनी पड़ती है। क्योंकि घर से यहां तक लाना और फिर वापस ले जाना बहुत ही कठिन है। इस संबंध में जब क्रय केंद्र प्रभारी हरनाम सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया, “लगभग 300 कुंतल धान खरीदा गया है।”

गणेश बाजपेयी बताते हैं, “हम लोग अपने धान यही गाँव के पास की दुकान पर ही बेच देते हैं क्योंकि यहां पर हम लोग जो भी ले जाते हैं उसे ले लिया जाता है जबकि सरकारी दुकान पर धान की सफाई कर के तब उसे लिया जाता है, जिसकी वजह से हमलोगों को नुकसान होता है।”

वही विक्रांत सैनी का कहना है, “बाराबंकी जिले का पूरा किसान नाराज है और यर प्रशाशन की लापरवाही से हो रहा है। बिचौलिए धान खरीद का लाभ उठा रहे है। किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा।”

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