किसानों की कमर टूटी, बिचौलियों की चांदी

Rishi MishraRishi Mishra   13 July 2017 2:21 PM GMT

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किसानों की कमर टूटी, बिचौलियों की चांदीप्रतीकात्मक तस्वीर

लखनऊ। बारिश के इस मौसम में सब्जियों के दाम आसमान पर हैं, लेकिन किसानों को इसका फायदा नहीं मिल रहा। साथ ही, उनकी सब्जियां खेतों में सड़ रहीं हैं वो अलग। मोटा मुनाफा सिर्फ बिचौलिए ही कमा रहे हैं।

किसानों को सही रेट न मिलने और बिचौलियों का रैकेट समझने के लिए गाँव कनेक्शन ने यूपी के कई जिलों के सब्जी पैदा करने वाले किसानों से बात की तो सामने आया कि व्यवस्था की कमी और आढ़तियों की मनमानी से किसानों को सब्जी का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा।

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आजमगढ़ की लालगंज तहसील के गाँव गड़ोली निवासी प्रतीक तिवारी बताते हैं, “खेतों में पानी भरने से सब्जी की फसल खराब हो रही है। इसलिए हम मंडियों में बहुत कम दामों पर बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं। अगर शहरों में दाम बढ़े हैं तो उसका लाभ किसानों को मिलता नहीं।” वहीं, लखनऊ की कुर्सी रोड स्थित सब्जी मंडी में कारोबारी रहमान खान का तर्क बिल्कुल उलट है। वह बताते हैं, “सब्जियों की आवक कम हो गई है। इस वजह से सब्जी महंगी है। मांग अधिक है आपूर्ति कम। केवल आलू और प्याज ही दो ऐसी सब्जियां हैं, जिनका बाजार में भाव बीस रुपये प्रति किलो से कम है।”

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सब्जियों के उत्पादन में उत्तर प्रदेश काफी आगे है। उत्तर प्रदेश में इस साल रिकार्डतोड़ करीब 1.16 करोड़ मीट्रिक टन हरी सब्जियां पैदा हुई हैं, लेकिन निर्यात और कोल्ड स्टोरेज न होने से 40 प्रतिशत सब्जियां खराब हो गईं। वहीं, किसानों से कम दाम पर खरीदकर और शहरी उपभोक्ताओं को महंगे दामों में बेच कर, बिचौलिए अपनी जेबें भर रहे हैं।

इलाहाबाद के नैनी निवासी किसान आमीर अशरफ कहते हैं, “सब्जी रखने के लिए भी स्टोरेज की व्यवस्था हो जाए तो इसका लाभ किसानों को मिलेगा। अभी तो किसान सब्जी सड़ने और सूखने के डर से बिचौलियों के हाथों कम दाम पर बेच देते हैं।”

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फेडरेशन ऑफ कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में सब्जियों के लिए अलग से कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था न होने से 40 प्रतिशत से ज्यादा सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं। प्रदेश में कुल 2100 से ज्यादा कोल्ड स्टोरेज हैं, जिसमें सरकारी स्टोरेज की संख्या सिर्फ 2 है, लेकिन इनमें भी 80-90 फीसदी सिर्फ आलू रखा जाता है।

जौनपुर जिले के गौराबादशाहपुर ब्लॉक के पटेला गाँव निवासी सब्जी किसान श्याम बिहारी यादव (68 वर्ष) कहते हैं, “हमने मंडी में टमाटर बेचा था। जब मार्केट के हिसाब से रेट लगाने के लिए कहा तो खरीदार ने कहा कि सब्जी के दाम ज्यादा बढ़े नहीं है। सिर्फ अखबारों और टीवी पर ही रेट बढ़ाकर बताया जा रहा है।”

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वहीं गौराबादशाहपुर ब्लॉक के केशवपुर गाँव निवासी जगदीश मौर्य (36 वर्ष) का कहना है, “हम लोग सीधे आम लोगों को सब्जी बेच रहे हैं। इसलिए हमें मुनाफा हो रहा है।”

उधर, उत्तर प्रदेश मंडी परिषद के सह निदेशक दिनेश चन्द्रा कहते हैं, “ये अस्थायी समस्या है, जो फसलें मार्च-अप्रैल की थीं, वो खत्म होने को हैं। इस समय न किसानों को फायदा हो रहा है, और न ही आम आदमियों को। इसमें फायदा बिचौलिए उठा रहे हैं। बैंगलोर और इंदौर से टमाटर मंगाया जा रहा है, जिस वजह टमाटर महंगा है, दूसरी सब्जियां बारिश से महंगी हो रहीं हैं।”

आनन-फानन में सब्जियां बेचते हैं किसान

यूपी में पैदा होने वाली सब्जियों को देश के बड़े बाजारों के साथ विदशों में निर्यात करके प्रदेश के किसानों को लाभ कैसे पहुंचाया जाए, इसको लेकर उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें बताया गया है कि प्रदेश के कोल्ड चेन की व्यवस्था नहीं होने के कारण हरी सब्जियां जल्द ही खराब हो जाती हैं, जिस कारण किसानों को अपनी सब्जी आनन-फानन में कम दामों में बेचनी पड़ती है।

जौनपुर पटेला गाँव के किसान श्याम बिहारी यादव ने बताया हमने मंडी में टमाटर बेचा था। जब मार्केट के हिसाब से रेट लगाने के लिए कहा तो खरीदार ने कहा कि सब्जी के दाम ज्यादा बढ़े नहीं है। सिर्फ अखबारों और टीवी पर ही रेट बढ़ाकर बताया जा रहा है।

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इलाहाबाद नैनी निवासी के किसान आमीर अशरफ ने बताया सब्जी रखने के लिए भी स्टोरेज की व्यवस्था हो जाए तो इसका लाभ किसानों को मिलेगा। अभी तो किसान सब्जी सड़ने और सूखने के डर से बिचौलियों के हाथों कम दाम पर बेच देते हैं।

आजमगढ़ गड़ोली गाँव के किसान प्रतीक तिवारी ने बताया खेतों में पानी भरने से सब्जी की फसल खराब हो रही है। इसलिए हम मंडियों में बहुत कम दामों पर बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं। अगर शहरों में दाम बढ़े हैं तो उसका लाभ किसानों को मिलता नहीं।

रिपोर्टिंग टीम :-जौनपुर-खादिम अब्बास, गोरखपुर- जितेंद्र तिवारी, इलाहाबाद-ओपी सिंह, औरैया से इश्तयाक अहमद

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