मनमानी पर उतारू नौकरशाह, फरियादी परेशान

Ajay MishraAjay Mishra   31 Aug 2017 3:06 PM GMT

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मनमानी पर उतारू नौकरशाह, फरियादी परेशानप्रतीकात्मक तस्वीर।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

कन्नौज। योगी सरकार से जो उम्मीदें लोगों को थीं, वह पूरी होती नहीं दिख रही हैं। जनता परेशान है। फरियाद कर रही है, निस्तारण भी हो रहा है, लेकिन इससे लोग संतुष्ट नहीं हैं। फरियादियों का कहना है कि गुणवत्ताहीन और एक पक्षीय निस्तारण किया जा रहा है। इससे बार-बार शिकायतें आ रही हैं।

जनसुनवाई पोर्टल और अधिकारियों के पास जो शिकायतें आती हैं, उस मामले में गाँव कनेक्शन के संवाददाता ने कुछ फरियादियों से बातचीत की। अधिकतर ने बताया कि निस्तारण में उनकी समस्या नहीं सुनी गई। एक पक्षीय सुनवाई कर मनमाना निस्तारण कर दिया गया। इससे वह संतुष्ट नहीं हैं।

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जिला मुख्यालय कन्नौज से करीब 28 किमी दूर बसे गांव सद्दूपुर निवासी 20 साल के शुभम बताते हैं, ‘‘पूर्व माध्यमिक विद्यालय भंवरगाढ़ा के शिक्षक कमल किशोर ने पहली जुलाई को कवरेज करने के दौरान मेरे साथ अभद्रता कर दी। साथ ही धमिकयां भी दीं। इस बात की शिकायत बीएसए अखंड प्रताप सिंह से की, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने बुलाया लेकिन खुद मिले नहीं।’’

शुभम आगे कहते हैं, ‘‘जिम्मेदार अफसर की ओर से सुनवाई न करने की वजह से डीएम जगदीश प्रसाद के पास मामला पहुंचा। उन्होंने कार्रवाई के लिए लिखा। बीएसए ने इस मामले को बीईओ सुनील दुबे के पास भेज दिया। बीईओ ने जो जांच आख्या लगाई उसमें आरोपी शिक्षक ने अभद्रता न करने की बात पर कही। यह रिपोर्ट लगाकर प्रकरण का निस्तारण कर दिया गया।’’

शुभम का कहना है, ‘‘अगर किसी प्रकरण की जांच की जाती है तो दोनों पक्षों से जानकारी ली जाती है, लेकिन जांच अधिकारी ने उनसे संपर्क नहीं किया। आरोपी ने जो सफाई दी उसी हिसाब से निस्तारण कर दिया। ऐसा अफसरों ने इसलिए किया क्योंकि मामला शिक्षा विभाग का ही था। मेरे पास पर्याप्त साक्ष्य हैं जो इस जांच रिपोर्ट को झूठा साबित करते हैं।’’

इसी तरह कन्नौज सदर ब्लाक क्षेत्र के तिर्वा मार्ग पर स्थित अकबरपुर सरायघाघ निवासी मीनाक्षी त्रिपाठी (30वर्ष) बताती हैं, ‘‘मैंने अपने दो पुत्रों के जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए जनसेवा केंद्र से आनलाइन आवेदन किए थे। 31 जुलाई 2017 को आवेदन करने के बाद एक महीना गुजर गया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। हाथ से बनाकर प्रमाण पत्र देने की बात कही जा रही है जो कहीं भी मान्य नहीं है। मेरे पति नौकरी करते हैं प्रपत्र बनवाने के लिए मैं दर-दर भटक रही हूं कोई सुनने वाला नहीं है।’’

मीनाक्षी आगे कहती हैं, ‘‘मैंने ग्राम पंचायत अधिकारी को फोन किया। चार्ज न होने की बात कही। किसी से बीडीओ को भी फोन कराया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। ऐसे अफसरों और कर्मचारियों से क्या फायदा जो सुनते नहीं हैं। बीच में मेरे पति छुट्टी लेकर आए फिर भी काम नहीं हुआ। मैं क्या करूं।’’

अब संपूर्ण समाधान शुरू हो चुका है। पूरी तरह से निस्तारण किया जाता है। जब दोनों पक्षों की बात सुनी जाती है तो एक पक्ष नाराज हो जाता है। जब व्यक्ति की समस्या का निदान उसके मुताबिक नहीं होता है तो गुणवत्ताहीन बताता है या संतुष्ट नहीं होता है।
डा. अरुण कुमार सिंह, एसडीएम सदर, कन्नौज।

जिला मुख्यालय कन्नौज से ही 18 किमी दूर बसे गांव ताजमहमूदपुर ब्लाक गुगरापुर निवासी अमनेश कुमार (40) बताते हैं, ‘‘गाँव के खेत गाटा संख्या 3304 पर वीरेंद्र कुमार ने अवैध कब्जा कर रखा है। साथ ही तालाब गाटा संख्या 3292 पर भी अवैध रूप से काबिज हैं। आदेश के बाद भी कब्जा नहीं हटाया गया है। इस प्रकरण को कई बार एसडीएम, डीएम और तहसील दिवस में अवगत कराया जा चुका हूं, लेकिन अब तक मुझे न्याय नहीं मिला है।’’

कन्नौज से 16 किमी दूर तिर्वा कस्बे की दुर्गानगर निवासी आभा बताती हैं, ‘‘मेरा वोट विधानसभा चुनाव 2017 से पहले काट दिया गया। जब उन्होंने फरियाद लगाई कि कारण बताया जाए कि किस वजह से मेरा वोट काटा गया। जिम्मेदारों ने कारण तो नहीं बताया, लेकिन वोट बनाने का आष्वासन जरूर दिया। जांच आख्या में हवाला दिया कि कारण इसलिए नहीं बताया जा सकता है कि रिकार्ड उपलब्ध नहीं हैं।’’

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जो लोग निस्तारण से संतुष्ट नहीं हैं वह हम लोगों को अपनी पीड़ा बता सकते हैं। सरकार की मंशा है सबका साथ सबका विकास। जो अधिकारी नियम विरूद्ध काम कर रहे हैं उनकी शिकायत शासन से की जाएगी।
सुब्रत पाठक, भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष

निस्तारण पर खड़े होते सवाल

  • शिकायतकर्ता जो वास्तविक अपनी पीड़ा बताते हैं उस पर ध्यान क्यों नहीं दिया जाता है
  • निस्तारण के वक्त आखिर दोनों पक्षों को क्यों नहीं सुना जाता है
  • जांच मौके पर पहुंचकर आखिर क्यों नहीं होती है
  • अगर निस्तारण गुणवत्तापरक है तो एक ही शिकायतकर्ता बार-बार क्यों परेशान होता है
  • निचले स्तर के अफसर जो आख्या लगा देते हैं उच्चाधिकारी उस पर आंख बंदकर भरोसा कर लेते हैं
  • गुणवत्तापरक निस्तारण की जगह मनमाना सौ फीसदी निस्तारण क्यों कर रहे हैं अफसर

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