भाजपा के झूठे वादें किसानों की जान ले रहे हैं: सपा

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भाजपा के झूठे वादें किसानों की जान ले रहे हैं: सपासमाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमण्डल ने राज्यपाल से मिलकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा

लखनऊ। केन्द्र और राज्य सरकार की नीतियों की वजह से अन्नदाता स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहा है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने किसानों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि कृषि लागत के डेढ़ गुने मूल्य व कर्ज माफी के झूठे वायदे किसानों की जान ले रहे हैं।

इसी मुद्दे को लेकर गुरुवार को समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमण्डल ने राज्यपाल से मिलकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। इस बारे में जानकारी देते हुए समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया है कि देश भर का किसान आंदोलित है। तमिलनाड़ु, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान अनेक राज्यों में किसान बदहाल हैं। मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों पर जो बर्बर अत्याचार हुआ है उसकी मिसाल नहीं। यूपी का किसान भी अपनी अनदेखी से क्षुब्ध है। यही हाल अन्य प्रदेशों का भी है। किसान आंदोलन कभी भी विकराल रूप ले सकता है।

उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन भारतीय जनता पार्टी की किसान विरोधी नीतियों का परिणाम है। लोकसभा चुनाव में किसानों, गरीबों, नौजवानों को झूठे सपने दिखाए गए थे। तमाम वादे किए गए थे लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं हुआ। दो करोड़ नौजवानों को रोजगार देने का वादा किया था जबकि पहले से नौकरी कर रहे तीन वर्ष में ही डेढ़ करोड़ नौजवानों को बेरोज़गार बना दिया हैं। 36 हजार किसान तीन वर्षों में आत्महत्या कर चुके हैं।

राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन में देश के किसानों की चिंता करते हुए डॉ. राममनोहर लोहिया ने उनकी समस्याओं को देशव्यापी स्तर पर उठाया था उसका जिक्र किया गया है। चौधरी चरण सिंह जब केंद्र में वित्तमंत्री बने उन्होंने केंद्रीय बजट की 70 प्रतिशत राशि किसानों व कृषि की तरक्की के लिए निर्धारित की थी। यूपी में जब 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी सरकार रही कृषि एवं किसान के हित में बजट की 75 प्रतिशत धनराशि खर्च की गई।

लेकिन जबसे केंद्र और राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकारें बनी हैं, गांव-खेती-किसान उपेक्षित हो रहे हैं। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी की आर्थिक नीतियां कारपोरेट घरानों की पक्षधर रही है और गरीब, किसान नौजवान के हितों से उनका कोई वास्ता नहीं रहा है। इसीलिए किसानों को राहत देने की जगह बड़े 50 पूंजी घरानों का डेढ़ लाख करोड़ का कर्ज माफ कर दिया गया है और उनके संरक्षण की नीतियां बनाई जा रही है। कई बड़े कर्जदार बैंकों को धोखा देकर विदेश भाग गए है।

      

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