कुपवाड़ा हमले में शहीद हुआ कानपुर का लाल, पिता ने कहा, ऐसी शहादत दर्द भरी
Rajeev Shukla 27 April 2017 10:38 PM GMT
कानपुर। ‘मेरा बेटा अगर लड़ाई में शहीद होता तो उन्हें गर्व होता, लेकिन इस प्रकार से आतंकियों का शिकार होना बहुत दर्द भरा है।’
ये दर्द उस पिता का है जिसका बेटा कुपवाड़ा में गुरुवार को सुबह-सुबह हुए फिदायीन हमले में शहीद हो गया। कैप्टन आयुष यादव के कानपुर स्थित घर में जैसे ही उनके घर पर उनके शहीद होने की सूचना पहुंची वैसे ही घर के साथ पूरे क्षेत्र में ही कोहराम मच गया। कैप्टन आयुष की मां सरला यादव का रो-रो कर बुरा हाल है। वहीं चित्रकूट में तैनात यूपी पुलिस इंस्पेक्टर पिता अरुणकांत को बेटे के शहीद होने का गहरा सदमा लगा है कि उनके मुंह से कुछ भी नहीं निकल रहा।
पिता ने अपने आंसुओं को पोछते हुए रुंधे हुए गले में बताया, ‘अभी कल (बुधवार) की ही शाम को फोन पर आयुष से बात हुई थी और उसने हम लोगों को कश्मीर घूमने के लिए बुलाया था। मैंने कहा कि वहां पर पत्थर चल रहे हैं तो उसने हंसते हुए कहा कि मैं कुपवाड़ा कैम्प में हूं, आप लोग क्यों चिंता करते हो।’ इतना कहते हुए वो फफक कर रो पड़े आस पास खड़े लोगों ने उनको सहारा देकर बैठाया।
इकलौते बेटे थे परिवार के
अभी पांच फरवरी को आयुष की बड़ी बहन की शादी हुई है। आयुष पिछली बार फरवरी में शादी के अवसर पर छुट्टी लेकर घर आए थे। आयुष अपने परिवार के इकलौते बेटे थे। बेटे के शहीद हो जाने मिलते ही परिवार सहित आस-पास के इलाके में कोहराम मच गया। कानपुर नगर के थाना चकेरी स्थित डिफेंस कॉलोनी निवासी ही नहीं बल्कि पूरे शहर के सैकड़ों लोग गमजदा परिवार का ढांढस बंधाने पहुंच गए।
जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में गुरुवार की सुबह चार बजे पंजगाम में सेना कैंप पर फिदायीन हमला हुआ था और सेना ने इस हमले में अपने तीन बहादुरों को खो दिया। सेना के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया की ओर से इस हमले के बारे में जानकारी दी गई।
शहीद आयुष के घर सेना के कर्नल दुष्यन्त सिंह भी पहुंचे और आयुष के पिता अरुण कान्त यादव को ढांढस बंधाया ।
जुलाई में जाना था गुरदासपुर
गमगीन पिता ने खुद को सम्हालते हुए बताया, ‘आयुष की पहली पोस्टिंग देहरादून में हुई थी, वहां से श्रीनगर और अब श्रीनगर से गुरदासपुर पोस्टिंग हो गई थी। जुलाई में उसे गुरदासपुर जाना था, पिता ने आगे बताया, ‘आयुष बचपन से ही पढ़ने में बहुत अच्छा था और आर्मी में जाना चाहता था। तीन-चार साल पहले ही आयुष की नौकरी लगी थी।’
कैप्टन आयुष यादव जिनकी उम्र महज 26 वर्ष थी और वह कुछ वर्षों पहले ही सेना में कमीशंड हुए थे। कैप्टन आयुष के साथ एक जूनियर कमांडिग ऑफिसर और एक जवान भी शहीद हो गया। कैप्टन आयुष इस वर्ष किसी आतंकी हमले में शहीद होने वाले इंडियन आर्मी के दूसरे ऑफिसर हैं।
पिछले साल भारत ने खोए कई जवान
इससे पहले फरवरी में मेजर सतीश दाहिया इंदवाडा में हुए एक एनकांउटर में शहीद हो गए थे। इसके अलावा एक और ऑफिसर मेजर अमरदीप सिंह चहल 23 फरवरी को जम्मू कश्मीर के शोपियां में इंडियन आर्मी की पेट्रोलिंग पार्टी पर एक आतंकी हमले में बुरी तरह जख्मी हो गए थे। पिछले वर्ष इंडियन आर्मी ने अपने कई युवा ऑफिसर्स को आतंकी हमलों में गंवा दिया था।
शुरुआत फरवरी 2016 में पंपोर आतंकी हमले से हुई थी, जिसमें कैप्टन तुषार महाजन और कैप्टन पवन बेनीवाल शहीद हुए थे। वहीं इस वर्ष का अंत नगरोटा में हुए आतंकी हमले के साथ हुआ था। इस हमले में इंडियन आर्मी ने अपने पांच ऑफिसर्स की शहादत थी।
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