रामपुरमथुरा (सीतापुर, यूपी)। 68 साल के अंगनू की मई 2020 में मौत हो गई थी, लेकिन 9 अगस्त को उनके नाम से कोविड-19 का टीका लगने का सर्टिफिकेट जारी हो गया। अंगनू के साथ उनकी पत्नी को भी कागजों में टीका लगा है, जिनकी 4 महीने पहले मौत हो चुकी है। अंगनू के बेटे का कहना है उन्हें पता नहीं ये कैसे हुआ, वहीं जिले की सीएमओ ने कहा कि किसी दूसरे मृतकों के आधार का दुरुपयोग किया है, जांच के बाद उनपर रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी। इसमें विभाग की कोई लापरवाही नहीं है।
एक तरफ जहां कई जिलों में लोग प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर टीके के लिए लाइन लगा रहे हैं वहीं मृतकों के नाम पर टीके लगे हैं। गांव कनेक्शन ने अगस्त के पहले हफ्ते में यूपी के कई जिलों से ग्राउंड रिपोर्ट में दिखाया था कि पहले जिन इलाकों में लोग बुलाने पर भी टीके लगवाने नहीं आते थे, कोरोना की तीसरी लहर की आशंका और राज्य सरकार के जागरुकता कार्यक्रमों के बाद लोगों टीके लगवाने के लिए लंबी-लंबी कतारों में लग रहे हैं, इस दौरान लगाम लोगों ने बताया था कि कैसे वो कई दिन चक्कर लाने के बाद वैक्सीन नहीं लगवा पाए। वहीं स्थानीय अधिकारियों ने माना था कि उन्हें मिलने वाली डोज से दोगुने लोग सेंटर पहुंच रहे हैं। इसी बीच मृतकों के नाम पर वैक्सीन लगने का मामला सामने आया है।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर में जिला मुख्यालय से करीब 120 किलोमीटर दूर रामपुरमथुरा ब्लॉक के हरदिहापुरवा में रहने वाले बालकराम के माता-पिता की मौत हो चुकी है लेकिन 9 अगस्त को उनके नाम से टीकाकरण प्रमाणपत्र जारी हुए। मृतकों के नाम पर टीका लगने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा है।
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अंगनू के बड़े बेटे बालकराम (40वर्ष) गांव कनेक्शन को बताते हैं, “वैक्सीन कैसे लगी हमका नहीं पता है। हमारे बाप (पिता) को मरे एक साल हो गया है। महतारी (मां) को मरे भी भी 4 महीने हो चुके हैं। हमको तो गांव के लोगों से ही पता चला की उनके नाम पर टीके लगे हैं। हम पढ़े नहीं लिखे हैं, हमारे घर में भी किसी को टीका नहीं लगा है, बाकी हमें कुछ नहीं पता।”
उनकी बात खत्म होने से पहले बगल में बैठी उनके छोटे भाई की पत्नी सावित्री सवाल करती हैं “जो जिंदा नहीं उनके टीका कैसे लग जाई? गांव के कुछ लोगों को आधार कार्ड दिया था लेकिन उन्होंने क्यों लिया था, नहीं पता था उन्होंने क्या किया।”
इस पूरे मामले पर सीतापुर जिले की मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मधु गौरैला ने 12 अगस्त को मीडिया को बताया कि मृत व्यक्ति का आधार कार्ड लेकर कोई आया होगा और वैक्सीन लगवा ली। आधार कार्ड से ये सब वेरीफाई नहीं हो सकता है। इसलिए हमारे विभाग की तरफ से लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि हमारे पास वैक्सीन लगवाने वाले लोग ज्यादा है। हम पता कर रहे हैं कि किसने आधारकार्ड का दुरुपयोग किया है, जांच जारी है, पता चलने पर एफआईआर करवाएंगे।”
उन्होंने आगे कहा, “मीडिया कह रहा है फर्जी रिपोर्टिंग की गई, जो निराधार और गलत है। हमारे पास वैक्सीन लगावाने लोगों की लाइन लगी है, हमारे पास वैक्सीन नहीं है। तो फर्जी डाटा क्यों भरेंगे।”
हरदिहापुरवा, रामपुरमथुरा ब्लॉक की ग्राम पंचायत गढ़चपा के अंतर्गत आता है। इसी गांव में रहने वाले अंगनू की 27 मई 2020 को मौत हो गई थी। जबकि इसी वर्ष 4 महीने पहले उनकी बुजुर्ग पत्नी रामदेई की भी मृत्यु हो गई।
ग्राम पंचायत की पूर्व प्रधान मंजू तिवारी ने गांव कनेक्शन को बताया कि अंगनू की मौत 27-5-2020 को हुई थी, 15-06-2020 को उनकी मृत्यु का प्रमाणपत्र जारी किया गया।” अंगनू की पत्नी रामदेई की मौत 4 महीने पहले पंचायत चुनाव के दौरान हुई थी, उनका प्रमाणपत्र जारी नहीं हुआ है।
भारत में अब तक 54.4 करोड़ लोगों को टीकाकरण हुआ है, जिसमें से 12.1 करोड़ लोगों को दोनों टीके लग चुके हैं। करोड़ों लोग अभी टीके के इंतजार में हैं। जिसमें अंगनू का परिवार भी है। उनके परिवार में किसी को भी टीका नहीं लगा है।
गांव कनेक्शन से बात करते हुए सीएमओ सीतापुर डॉ. मधु गौरैला ने कहा, “अभी जांच जारी है, ये नहीं पता चला है कि वैक्सीन किसने लगवाई। जानकारी होने पर हम लोग रिपोर्ट दर्ज करावाएंगे। यहां पर ये भी देखने वाला है कि उस आधार कार्ड पर क्या क्या हुआ होगा।”
आधार कार्ड के दुरुपयोग से रोजाना सैकड़ों मामले सामने आते रहते हैं। अंगनू के बेटे बालकराम ने कहा, “डॉक्टरों की टीम आई थी थी पूछ रही थी, उनके नाम का राशनकार्ड भी है। हमने कहा, हम तो ब्लॉक से लेकर तहसील तक बता कर आए कि बाप मर गया है, अब राशनकार्ड में नाम क्यो हैं हमें नहीं पता। हम पढ़े लिखे नहीं ये सब क्या कैसे होता है इसकी जानकारी नहीं है।”
गांव कनेक्शन ने इस बारे में गढचपा ग्राम पंचायत में सरकारी राशन की दुकान के लाइसेंसधारक (कोटेदार) – लवकेश गुप्ता से फोन पर बात की। उन्होंने कहा, “हरदिहापुरवा का राशन हमारी ही दुकान से जाता है। लेकिन अंगनू के बारे में देखकर बता पाऊंगा कि नाम है या नहीं। दूसरा हमारे पार आपूर्ति विभाग से जिनका नाम आता है, हम उन्हें राशन देते हैं।”